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सतत जल प्रबंधन के लिए बांध सुरक्षा विधेयक 

सतत जल प्रबंधन के लिए बांध सुरक्षा विधेयक- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • सामान्य अध्ययन II- सरकारी योजनाएं / नीतियां, वैधानिक, नियामक एवं विभिन्न अर्ध-न्यायिक निकाय।

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सतत जल प्रबंधन के लिए बांध सुरक्षा विधेयक चर्चा में क्यों है?

  • ओडिशा में महानदी बेसिन में हाल की बाढ़ ने बांध सुरक्षा के दोषपूर्ण प्रबंधन को सामने लाया है, जो बाढ़ का शमन करने हेतु ना कि उनका कारण बनने हेतु निर्मित किए गए थे।

 

एक बांध क्या है?

  • बांध एक अवरोध है जो जल के प्रवाह को रोकता है एवं इसके परिणामस्वरूप जलाशय का निर्माण होता है।
  • बांध मुख्य रूप से जलविद्युत उत्पादन के लिए निर्मित किए जाते हैं।
  • बांधों द्वारा बनाए गए जलाशय न केवल बाढ़ पर रोक लगाते हैं बल्कि सिंचाई, मानव उपभोग, औद्योगिक उपयोग, जलीय कृषि एवं नौगम्यता जैसी गतिविधियों के लिए जल भी उपलब्ध कराते हैं।

 

बांध सुरक्षा अधिनियम, 2021 क्या है?

  • अधिनियम आपदाओं को रोकने के लिए बांधों के अनुश्रवण, ​​निरीक्षण, संचालन एवं रखरखाव को नियंत्रित करता है।

विशेषताएं

  • राष्ट्रीय बांध सुरक्षा समिति (नेशनल कमिटी ऑन डैम सिक्योरिटी/एनसीडीएस): इसकी अध्यक्षता केंद्रीय जल आयोग के अध्यक्ष करेंगे।
  • इसके कार्यों में बांध सुरक्षा मानकों एवं बांध विफलताओं की रोकथाम के संबंध में नीतियां तथा विनियम तैयार करना, प्रमुख बांध विफलताओं के कारणों का विश्लेषण करना एवं बांध सुरक्षा पद्धतियों में बदलाव का सुझाव देना शामिल होगा।
  • राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण (नेशनल डैम सेफ्टी अथॉरिटी/एनडीएसए): इसका नेतृत्व एक अधिकारी करेगा, जो अतिरिक्त सचिव के पद से नीचे का नहीं होगा, जिसे केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाएगा।
  • इस प्राधिकरण के मुख्य कार्य में एनसीडी द्वारा तैयार की गई नीतियों को लागू करना, राज्य बांध सुरक्षा संगठनों (स्टेट डैम सेफ्टी ऑर्गेनाइजेशंस/एसडीएसओ), या एसडीएसओ एवं उस राज्य में किसी भी बांध  स्वामित्व धारी के मध्य मुद्दों को हल करना, बांधों के निरीक्षण एवं जांच के लिए नियमों को निर्दिष्ट करना शामिल है।
  • राज्य बांध सुरक्षा संगठन (एसडीएसओ) : इसका कार्य सतत निगरानी रखना, निरीक्षण करना, बांधों के संचालन एवं रखरखाव का अनुश्रवण करना, सभी बांधों का डेटाबेस रखना तथा बांधों के स्वामित्व धारकों को सुरक्षा उपायों की सिफारिश करना होगा।
  • बांध सुरक्षा इकाई: निर्दिष्ट बांधों के स्वामित्व धारकों को प्रत्येक बांध में एक बांध सुरक्षा इकाई  उपलब्ध कराना अनिवार्य है।
  • यह इकाई मानसून सत्र से पूर्व एवं पश्चात में और किसी भी आपदा या संकट के संकेत के दौरान तथा बाद में बांधों का निरीक्षण करेगी।
  • आपातकालीन कार्य योजना: बांध स्वामित्व धारकों को एक आपातकालीन कार्य योजना तैयार करने एवं निर्दिष्ट नियमित अंतराल पर प्रत्येक बांध के लिए जोखिम मूल्यांकन अध्ययन करने की अनिवार्यता होगी।
  • कतिपय अपराध: अधिनियम में दो प्रकार के अपराधों का प्रावधान है – किसी व्यक्ति को उसके कार्यों के निर्वहन में बाधा डालना एवं प्रस्तावित कानून के तहत जारी निर्देशों का पालन करने से इनकार करना।

 

बांध पुनर्वास और सुधार कार्यक्रम (डीआरआईपी)

  • भारत सरकार ने विश्व बैंक से वित्तीय सहायता के साथ अप्रैल 2012 में बांध पुनर्वास एवं सुधार परियोजना (डैम रिहैबिलिटेशन एंड इंप्रूवमेंट प्रोजेक्ट/डीआरआईपी) प्रारंभ किया, जिसका उद्देश्य प्रणाली व्यापक प्रबंधन दृष्टिकोण के साथ बांध सुरक्षा संस्थागत सुदृढ़ीकरण के साथ-साथ चयनित मौजूदा बांधों की सुरक्षा  एवं परिचालन प्रदर्शन में सुधार करना है।

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निष्कर्ष

  • विधेयक का उद्देश्य सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को समान बांध सुरक्षा प्रक्रियाओं को अपनाने में  सहायता प्रदान करना है जो बांधों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी एवं ऐसे बांधों से लाभ की रक्षा करेगी।
  • विधेयक में मतभेदों एवं मुद्दों को दूर करने के लिए केंद्र सरकार को राज्य सरकारों को ध्यान में रखना चाहिए।
  • यह भारत में बांधों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में एक लंबा मार्ग तय करेगा, जो बड़े बांधों की संख्या के मामले में विश्व में तीसरे स्थान पर है।

 

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