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राज्यसभा सचिवालय की संस्तुतियां

राज्य सभा: प्रासंगिकता

  • जीएस 2: संसद एवं राज्य विधानसभाएं- संरचना, कार्यकरण, कार्यों का संचालन, शक्तियां  एवं विशेषाधिकार तथा इनसे उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

भारत का उच्च सदन: संदर्भ

  • हाल ही में, राज्यसभा सचिवालय ने राज्यसभा सचिवालय को पूर्ण रूप से कायापलट करने हेतु संस्तुतियों की एक श्रृंखला का सुझाव दिया है।

राज्य सभा सचिवालय: प्रमुख बिंदु

  • राज्य सभा सचिवालय 1952 में लगभग 200 अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ अस्तित्व में आया कथा  वर्तमान में इसमें कर्मियों की संख्या बढ़ाकर 1,700 तक कर दी गई है।
  • राज्य सभा सचिवालय में ‘सिस्टम इम्प्रूवमेंट’ पर सर्वप्रथम व्यापक अध्ययन में पारदर्शी, अनुश्रवण योग्य  तथा जवाबदेह तरीके से सेवाओं के वितरण की सिफारिश की गई है।
  • अध्ययन में समिति के खंडों के कामकाज को भी सम्मिलित किया गया तथा स्थायी समितियों के कार्यकाल को वर्तमान एक वर्ष से बढ़ाकर दो वर्ष करने की सिफारिश की गई।
  • अध्ययन ने पारदर्शी, अनुश्रवण योग्य तथा जवाबदेह तरीके से त्वरित निर्णय निर्माण एवं सेवाओं के वितरण के लिए एक बदलाव की भी मांग की है।
  • इसके अतिरिक्त, अध्ययन ने यह भी संस्तुति की है कि वर्ष में दो यात्राओं एवं दस दिनों से अधिकतम 15 दिनों के लिए क्षेत्र के दौरे को तीन यात्राओं तक बढ़ाया जाना चाहिए।
  • इसके अतिरिक्त, अध्ययन यह भी अपेक्षा करता है कि विभिन्न हितधारकों द्वारा प्रस्तुत ज्ञापन सार्वजनिक  कार्य क्षेत्र (डोमेन) में उपलब्ध कराया जाए।
  • सरलता से समझने के लिए रिपोर्ट की एक मानक संरचना का भी सुझाव दिया गया है।
  • मीडिया द्वारा स्थायी समिति की रिपोर्ट को पर्याप्त रूप से कवर नहीं करने की शिकायतों के समाधान के लिए, यह सुझाव दिया जाता है कि पैनल अध्यक्ष प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करें।
  • अध्ययन ने प्रशासनिक एवं वित्तीय शक्तियों के स्पष्ट प्रत्यायोजन का भी सुझाव दिया ताकि लगभग 75 प्रतिशत मुद्दों को निचले एवं मध्यम स्तर पर निपटाया जा सके।
  • रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि मौजूदा 10-परत पदानुक्रम को चार से पांच परतों में समाहित किया जाए।
  • रिपोर्ट में 64 खंडों में से प्रत्येक के अधिदेश की स्पष्ट परिभाषा एवं कार्य के दोहराव से बचने के लिए 14 डिवीजनों में उनके पुनर्गठन की भी मांग की गई थी।
  • प्रमंडल/संभाग प्रमुखों, जो संयुक्त सचिव का रैंक धारण करते हैं, की वित्तीय शक्ति को निचले स्तरों पर तदनुरूपी वृद्धि के साथ 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने की सिफारिश की गई है।
  • कर्मचारियों के मध्य कार्य के वातावरण एवं सौहार्द को सक्षम करने हेतु, रिपोर्ट में आईटी गैजेट्स, कार्य स्थान, आवासीय समायोजन, नियमित सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों एवं एक त्रैमासिक समाचार पत्र के पर्याप्त प्रावधान की सिफारिश की गई है।

 

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