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नीति आयोग ने निर्यात तत्परता सूचकांक 2021 जारी किया

निर्यात तत्परता सूचकांक यूपीएससी: प्रासंगिकता

  • जीएस 3: भारतीय अर्थव्यवस्था एवं आयोजना,संसाधनों का अभिनियोजन, वृद्धि, विकास एवं रोजगार से संबंधित मुद्दे।

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निर्यात तत्परता सूचकांक: संदर्भ

  • हाल ही में, नीति आयोग ने प्रतिस्पर्धात्मकता संस्थान (इंस्टिट्यूट ऑफ़  कॉम्पेटिटिवनेस) के साथ साझेदारी में निर्यात तत्परता सूचकांक (एक्सपोर्ट प्रेपरेडनेस इंडेक्स/ईपीआई) 2021 का दूसरा संस्करण जारी किया है।

 

निर्यात तत्परता सूचकांक 2021: प्रमुख बिंदु

  • निर्यात तत्परता सूचकांक उप-राष्ट्रीय निर्यात संवर्धन के लिए महत्वपूर्ण मूलभूत क्षेत्रों का अभिनिर्धारण करने हेतु एक डेटा-संचालित प्रयास है।
  • ईपीआई का प्राथमिक लक्ष्य सभी भारतीय राज्यों (‘तटीय’, ‘स्थल रुद्ध’/लैंडलॉक्ड’, ‘हिमालयन’, तथा ‘ केंद्र शासित प्रदेश/ नगर राज्यों/सिटी-स्टेट्स’) के मध्य प्रतिस्पर्धा उत्पन्न करना है।
  • राज्यों  तथा केंद्र शासित प्रदेशों के मध्य स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करने हेतु सूचकांक सरकार एवं नीति निर्माताओं के लिए एक मूल्यवान उपकरण सिद्ध हो सकता है, जिससे वैश्विक निर्यात बाजार में भारत की प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।

 

ईपीआई के उद्देश्य

  • अनुकूल निर्यात-संवर्धन नीतियों को समावेशित करना,
  • उप राष्ट्रीय (सब-नेशनल) निर्यात को प्रोत्साहित करने नियामक ढांचे को सरल बनाना,
  • निर्यात के लिए आवश्यक आधारिक अवसंरचना तैयार करना, तथा
  •  निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार के लिए रणनीतिक सिफारिशों की पहचान करने में सहायता करना।

 

निर्यात तत्परता सूचकांक: प्रमुख निष्कर्ष

  • समग्र रैंकिंग: गुजरात लगातार दूसरी बार प्रथम स्थान पर है।
  • अधिकांश तटीय राज्य सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्य हैं।
  • तटीय राज्य: तटीय राज्यों की सूची में गुजरात सबसे ऊपर है।
  • भू-आबद्ध राज्यों से, हरियाणा एक शीर्ष प्रदर्शनकर्ता के रूप में उभरा है।
    • व्यापार समर्थन एवं निर्यात वृद्धि  तथा अभिविन्यास को छोड़कर, राज्य ने सभी स्तंभों एवं उप-स्तंभों में  अभूतपूर्व प्रदर्शन किया है।
  • हिमालयी राज्य: हिमालयी राज्यों की सूची में उत्तराखंड सबसे ऊपर है।
    • उत्तराखंड ने विगत तीन वर्षों में महत्वपूर्ण निवेश आकर्षित किया है।
    • इसने एकल बिंदु समाशोधन (सिंगल-विंडो क्लीयरेंस), निर्यातकों के लिए एक ऋण योजना, एक व्यापार गाइड तथा निर्यात बाजार में और सुधार जैसी पहल की है।
  • केंद्र शासित प्रदेशों में: केंद्र शासित प्रदेशों की सूची में दिल्ली सबसे ऊपर है।
    • उच्च एफडीआई अंतर्वाह, बेहतर परिवहन संपर्क, लॉजिस्टिक्स तथा निवेश आकर्षित होने के कारण दिल्ली  ने ईपीआई पर अच्छा प्रदर्शन किया है।

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भारत के निर्यात प्रोत्साहन के समक्ष चुनौतियां

EPI 2021 भारत के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए तीन प्रमुख चुनौतियों को प्रकट करती है।

  • निर्यात आधारिक अवसंरचना में अंतर तथा अंतर-क्षेत्रीय अंतर
  • राज्यों में कमजोर व्यापार समर्थन तथा विकास अभिविन्यास; तथा
  • जटिल  एवं  विशिष्ट निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान एवं विकास संबंधी आधारिक संरचना की कमी।

 

ईपीआई स्तंभ तथा उप-स्तंभ

ईपीआई राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को 4 मुख्य स्तंभों पर रैंक करता है

  1. नीति: एक व्यापक व्यापार नीति निर्यात तथा आयात के लिए एक रणनीतिक दिशा प्रदान करती है।
  2. व्यावसायिक पारिस्थितिकी तंत्र/बिजनेस इकोसिस्टम: एक कुशल बिजनेस इकोसिस्टम निवेश को आकर्षित करने  तथा व्यवसायों के विकास के लिए एक सक्षम आधारिक अवसंरचना निर्मित करने में सहायता कर सकता है।
  3. निर्यात पारिस्थितिकी तंत्र: इस स्तंभ का उद्देश्य कारोबारी माहौल का आकलन करना है, जो निर्यात के लिए विशिष्ट है।
  4. निर्यात प्रदर्शन: यह एकमात्र निर्गम (आउटपुट)-आधारित स्तंभ है तथा राज्यों  एवं केंद्र शासित प्रदेशों के निर्यात पदचिह्नों की पहुंच की जांच करता है।

 

ईपीआई 11 उप-स्तंभ

  • निर्यात संवर्धन नीति; संस्थागत ढांचा; व्यापारिक वातावरण; आधारभूत संरचना; परिवहन कनेक्टिविटी; वित्त तक पहुंच; निर्यात अवसंरचना; व्यापार सहायता; शोध एवं विकास अवसंरचना (आर एंड डी इंफ्रास्ट्रक्चर); निर्यात विविधीकरण; तथा विकास अभिविन्यास।

 

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