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राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति | यूपीएससी के लिए आज का द हिंदू संपादकीय विश्लेषण

यूपीएससी के लिए राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति का महत्व

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा पाठ्यक्रम के तहत, राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति में जीएस पेपर 1: जनसंख्या एवं संबद्ध मुद्दे, जीएस पेपर 2: सरकारी नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा स्वास्थ्य शामिल हैं।

राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति चर्चा में क्यों है?

  • हाल ही में, भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति (नेशनल सुसाइड प्रीवेंशन स्टेटस) प्रकाशित की।
  • इसके आने में काफी समय हो गया है, किंतु रणनीति, अंततः सार्वजनिक क्षेत्र में, देश में आत्महत्याओं के भारी बोझ पर ध्यान आकर्षित करती है।

 

राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीतिके माध्यम से प्राप्त किए जाने वाले लक्ष्य क्या हैं?

  • राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति देश में अपनी तरह की प्रथम रणनीति है, जिसमें 2030 तक आत्महत्या मृत्यु दर में 10% की कमी लाने के लिए समयबद्ध कार्य योजना एवं बहु-क्षेत्रीय सहयोग है।
  • रणनीति आत्महत्या की रोकथाम के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की दक्षिण पूर्व-एशिया क्षेत्र रणनीति के अनुरूप है।
  • साथ ही, इसने समयबद्ध कार्य योजना के साथ आगे की गति को मापा है जो भारत में पृथक पृथक जमीनी स्थिति की गंभीर वास्तविकताओं को ध्यान में रखता है।
  • महत्वपूर्ण रूप से, दस्तावेज़ टिप्पणी करता है कि विश्वास के विपरीत, अधिकांश आत्महत्याएं रोकी जा सकती हैं।

 

आत्महत्या के सर्वाधिक सामान्य कारण क्या हैं?

  • सर्वाधिक सामान्य कारणों में पारिवारिक समस्याएं एवं रोग शामिल हैं, जबकि अन्य कारणों में वैवाहिक संघर्ष, प्रेम संबंध, दिवालियापन, मादक द्रव्यों के सेवन तथा निर्भरता शामिल हैं।
  • इसके अतिरिक्त, लगभग 10% मामलों में, आत्महत्या का कारण अज्ञात रहता है।

 

आत्महत्या एक वैश्विक समस्या कैसे है?

डब्ल्यूएचओ के आंकड़े क्या कहते हैं?

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के अनुसार, विश्व स्तर पर, आत्महत्या 15-29 वर्ष की आयु के मध्य मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है एवं 15-19 वर्ष की आयु की महिलाओं के लिए मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण भी है।

राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो (नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो/एनसीआरबी) के आंकड़े क्या कहते हैं ?

  • भारत में प्रत्येक वर्ष एक लाख से अधिक व्यक्तियों की मृत्यु आत्महत्या के कारण होती है।
  • विगत तीन वर्षों में, आत्महत्या की दर प्रति 1,00,000 जनसंख्या पर 10.2 से बढ़कर 11.3 हो गई है।
  • राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल एवं कर्नाटक में आत्महत्या का प्रतिशत सर्वाधिक (2018-2020) है, जो 8% से 11% के मध्य है।

 

राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति के प्रमुख प्रावधान क्या हैं?

  • राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति आत्महत्याओं की संख्या को कम करने के लिए साक्ष्य आधारित व्यवहार के साथ निर्मित की गई है, जो दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की रणनीति से प्रेरित है तथा एक सुसंगत रणनीति प्रदान करने एवं आत्महत्याओं की संख्या में इच्छित कमी को प्राप्त करने  हेतु विभिन्न क्षेत्रीय सहयोगों को जोड़ती है।
  • आगामी तीन वर्षों के भीतर प्रभावी निगरानी तंत्र स्थापित करने एवं पांच वर्षों में सभी जिलों में मनश्चिकित्सीय बाह्य रोगी (आउट पेशेंट) विभागों को स्थापित करने के अतिरिक्त, रणनीति का उद्देश्य आगामी आठ वर्षों के भीतर शैक्षिक संस्थानों में पाठ्यक्रम में मानसिक स्वास्थ्य पर लिखने का भी है।
  • भारत के लिए प्रासंगिक मुद्दों को संबोधित करते हुए, जिसमें कीटनाशकों तक पहुंच एवं मद्यपान शामिल है, ने लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में रणनीति निर्धारित की है।

 

आगे की राह

  • एक अस्वस्थता को हल करने की दिशा में सर्वोत्तम पहला कदम यह पहचानना है कि यह मौजूद है, जो कि सरकार द्वारा आत्महत्या को एक गंभीर समस्या मानते हुए उचित तौर पर पहचाना गया है।
  • यद्यपि, 2030 तक आत्महत्या मृत्यु दर में 10% की कमी लाने के लिए राज्यों के स्तर पर और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है, क्योंकि भारत जैसे संघीय देश में कोई भी सफलता तभी संभव है जब राज्य रोल आउट में उत्साही रूप से भागीदार हों।
  • समस्या वास्तव में विकट है एवं लक्षित अंतःक्षेप कार्यक्रमों एवं कलंक को कम करने की रणनीतियों के बिना, विशाल अनुपात का एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट आसन्न है।

 

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