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प्रारूप डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक 2022

प्रारूप डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक 2022

डिजिटल निजी डेटा सुरक्षा विधेयक: निजी डेटा सुरक्षा एक लोकतांत्रिक समाज में किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत गोपनीयता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।  प्रारूप डिजिटल निजी डेटा सुरक्षा विधेयक का उद्देश्य भारतीय नागरिकों के लिए डिजिटल गोपनीयता को सुरक्षित करना है। ड्राफ्ट डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2022 यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा (संवैधानिक संरक्षण एवं विधायी उपाय)  तथा यूपीएससी  मुख्य परीक्षा (जीएस पेपर 2- संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए विधायी उपाय) के लिए महत्वपूर्ण है।

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डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक 2022 चर्चा में क्यों है?

  • इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय डिजिटल व्यक्तिगत डेटा तथा इसके संरक्षण के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श कर रहा है एवं ‘डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक 2022’ शीर्षक से एक  प्रारूप विधेयक तैयार किया है।

 

डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक क्या है?

  • डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक को ‘डिजिटल नागरिकों’ या नागरिकों के अधिकारों  तथा कर्तव्यों की रूपरेखा निर्मित करने हेतु तैयार किया जा रहा है, जबकि कंपनियों के लिए डेटा संग्रह की प्रक्रिया और नियम निर्धारित किए जा रहे हैं।
  • प्रमुख उद्देश्य: डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक का प्रारूप निम्नलिखित को प्रदान  करने हेतु है-
    • डिजिटल व्यक्तिगत डेटा का प्रक्रमण इस तरीके से जो व्यक्तियों के व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा के अधिकार एवं
    • वैध उद्देश्यों के लिए व्यक्तिगत डेटा को संसाधित करने की आवश्यकता तथा उससे जुड़े या प्रासंगिक मामलों के लिए दोनों को मान्यता प्रदान करता है।

 

डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक के क्या सिद्धांत हैं?

प्रारूप डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक 2022 निम्नलिखित सात सिद्धांतों पर आधारित है-

  • पहला सिद्धांत: संगठनों द्वारा व्यक्तिगत डेटा का उपयोग इस तरह से किया जाना चाहिए जो वैध, संबंधित व्यक्तियों के लिए उचित एवं व्यक्तियों के लिए पारदर्शी हो।
  • दूसरा सिद्धांत: इसमें कहा गया है कि व्यक्तिगत डेटा का उपयोग केवल उसी उद्देश्य के लिए किया जाना चाहिए जिसके लिए इसे एकत्र किया गया था।
  • तीसरा सिद्धांत: यह डेटा न्यूनीकरण की बात करता है।
  • चौथा सिद्धांत: जब डाटा के संग्रह की बात आती है तो यह डेटा की परिशुद्धता पर बल देता है।
  • पाँचवाँ सिद्धांत: यह इस बारे में बात करता है कि व्यक्तिगत डेटा जो एकत्र किया जाता है, उसे “डिफ़ॉल्ट रूप से स्थायी रूप से संग्रहित” नहीं किया जा सकता है तथा भंडारण एक निश्चित अवधि तक सीमित होना चाहिए।
  • छठा सिद्धांत: यह टिप्पणी करता है कि यह सुनिश्चित करने के लिए उचित रक्षोपाय होने चाहिए कि “व्यक्तिगत डेटा का कोई अनधिकृत संग्रह या प्रक्रमण न हो।
  • सातवाँ सिद्धांत: यह कहता है कि जो व्यक्ति व्यक्तिगत डेटा के प्रक्रमण का उद्देश्य एवं साधन निर्धारित करता है, उसे इस तरह के प्रक्रमण के लिए जवाबदेह होना चाहिए।

 

डेटा सिद्धांत, डेटा न्यासीय (फ़िड्यूशरी) एवं महत्वपूर्ण डेटा न्यासीय कौन हैं?

  • डेटा प्रिंसिपल:  प्रारूप डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक “डेटा प्रिंसिपल” शब्द का उपयोग उस व्यक्ति को निरूपित करने के लिए करता है जिसका डेटा एकत्र किया जा रहा है।
    • कानून यह भी मान्यता प्रदान करता है कि बच्चों के मामले में- 18 वर्ष से कम आयु के सभी उपयोगकर्ताओं के रूप में परिभाषित- उनके माता-पिता या वैध अभिभावकों को उनका ‘डेटा प्रिंसिपल’ माना जाएगा।
  • डेटा प्रत्ययी: यह इकाई है (एक व्यक्ति, कंपनी, व्यावसायिक कंपनी, राज्य इत्यादि हो सकती है), जो “किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत डेटा के प्रक्रमण का उद्देश्य एवं साधन” निर्धारित करती है।

 

महत्वपूर्ण डेटा प्रत्ययी कौन है?

  • महत्वपूर्ण डेटा प्रत्ययी: डेटा संरक्षण विधेयक ‘महत्वपूर्ण डेटा प्रत्ययी’ की भी बात करता है, जो व्यक्तिगत डेटा की उच्च मात्रा को प्रबंधित करते हैं।
  • मानदंड: भारत की संप्रभुता एवं अखंडता पर संभावित प्रभाव के नुकसान के जोखिम के लिए संसाधित व्यक्तिगत डेटा की मात्रा से लेकर विभिन्न कारकों के आधार पर केंद्र सरकार परिभाषित करेगी कि इस श्रेणी के तहत किसे नामित किया गया है।
    • विधेयक के व्याख्यात्मक नोट के मुताबिक, महत्वपूर्ण डेटा फिडुशरी श्रेणी को अपने व्यवहारों की अधिक जांच करने के लिए कुछ अतिरिक्त दायित्वों को पूरा करने की आवश्यकता है।
  • डेटा सुरक्षा अधिकारी: ऐसी संस्थाओं को एक ‘डेटा सुरक्षा अधिकारी’ नियुक्त करना होगा जो उनका प्रतिनिधित्व करेगा।
    • वे शिकायत निवारण के लिए संपर्क बिंदु होंगे।
  • स्वतंत्र डेटा अंकेक्षक: उन्हें एक स्वतंत्र डेटा अंकेक्षक (ऑडिटर) भी नियुक्त करना होगा जो अधिनियम के अनुपालन का मूल्यांकन करेगा।

 

डेटा को समाप्त करने का अधिकार तथा डेटा को नामांकित करने का अधिकार

  • डेटा प्रिंसिपल के पास डेटा फिड्यूशरी द्वारा एकत्र किए गए डेटा को समाप्त करने एवं सुधार की मांग करने का अधिकार होगा।
    • उनके पास एक ऐसे व्यक्ति को नामित करने का भी अधिकार होगा जो डेटा प्रिंसिपल की मृत्यु या अक्षमता की स्थिति में इन अधिकारों का प्रयोग करेगा।
  • यह विधेयक उपभोक्ताओं को यह अधिकार भी प्रदान करता है कि यदि कंपनी से उन्हें संतोषजनक प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं होती है तो वे डेटा संरक्षण बोर्ड के पास ‘डेटा फिड्यूशरी’ के विरुद्ध शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

 

सीमा पारीय डेटा अंतरण

  • विधेयक सीमा पार भंडारण तथा डेटा को “कुछ अधिसूचित देशों एवं क्षेत्रों” में अंतरित करने की भी अनुमति प्रदान करता है।
  • यद्यपि, डेटा संरक्षण विधेयक में यह भी उल्लेख किया गया है कि केंद्र सरकार द्वारा प्रासंगिक कारकों का आकलन इस तरह की अधिसूचना से पूर्व होगा।

 

डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक 2022 के तहत दंड/जुर्माने के प्रावधान

  • डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण का प्रारूप भी उन व्यवसायों पर महत्वपूर्ण दंड लगाने का प्रस्ताव करता है जो डेटा उल्लंघनों का अनुभव करते हैं या उल्लंघन होने पर उपयोगकर्ताओं को सूचित करने में विफल रहते हैं।
  • व्यक्तिगत डेटा उल्लंघनों को रोकने के लिए “उचित सुरक्षा उपाय” करने में विफल रहने वाली संस्थाओं पर 250 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
  • सरकार कुछ व्यवसायों को उपयोगकर्ताओं की संख्या एवं इकाई द्वारा संसाधित व्यक्तिगत डेटा की मात्रा के आधार पर प्रारूप डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक के प्रावधानों का पालन करने से छूट दे सकती है।
  • यह देश के स्टार्ट-अप्स को ध्यान में रखते हुए किया गया है जिन्होंने शिकायत की थी कि विधेयक का विगत संस्करण अत्यधिक “अनुपालन गहन” था।

 

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