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राष्ट्रीय परिवार नियोजन सम्मेलन 2022- भारत ने प्रतिस्थापन स्तर टीएफआर हासिल किया

राष्ट्रीय परिवार नियोजन सम्मेलन 2022- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां- विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकार की नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा उनकी अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

राष्ट्रीय परिवार नियोजन सम्मेलन 2022 चर्चा में क्यों है?

  • हाल ही में, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री ने राष्ट्रीय परिवार नियोजन सम्मेलन, 2022 की अध्यक्षता की।
  • उन्होंने कहा कि भारत परिवार नियोजन के महत्व को जल्दी समझ गया एवं 1952 में राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम प्रारंभ करने वाला प्रथम देश बन गया।

 

राष्ट्रीय परिवार नियोजन सम्मेलन 2022

  • राष्ट्रीय परिवार नियोजन सम्मेलन 2022 के बारे में: परिवार नियोजन में विभिन्न राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों की उपलब्धियों को पहचानने एवं परिवार नियोजन के महत्व के बारे में जागरूकता सृजित करने के लिए राष्ट्रीय परिवार नियोजन सम्मेलन 2022 का आयोजन किया गया था।
  • थीम: राष्ट्रीय परिवार नियोजन सम्मेलन 2022 की थीम थी “सतत प्रयास, संचालन साझेदारी, परिवार नियोजन में आकार देने की दृष्टि – सबका साथ, सबका विश्वास, सबका प्रयास एवं सबका विकास”।
  • संगठन: केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय परिवार नियोजन सम्मेलन 2022 का आयोजन किया गया था।

 

राष्ट्रीय परिवार नियोजन सम्मेलन 2022- प्रमुख पहल

  • राष्ट्रीय परिवार नियोजन सम्मेलन 2022 के दौरान, मंत्री ने भारत परिवार नियोजन 2030 दृष्टि दस्तावेज का भी अनावरण किया एवं निम्नलिखित का विमोचन किया-
    • चिकित्सा पात्रता मानदंड (मेडिकल एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया/एमईसी) व्हील एप्लीकेशन,
    • परिवार नियोजन रसद प्रबंधन प्रणाली का ई-मॉड्यूल  (ई-मॉड्यूल ऑफ फैमिली प्लानिंग लॉजिस्टिक मैनेजमेंट सिस्टम/एफपीएलएमआईएस) एवं
    • डिजिटल अंतःक्षेप की श्रेणी के अंतर्गत परिवार नियोजन पर डिजिटल संग्रह।
  • समुदाय को सशक्त बनाने एवं समावेशी सेवाएं प्रदान करने के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने हेतु, मंत्रालय ने निम्नलिखित को भी प्रस्तुत किया-
    • राष्ट्रीय परिवार नियोजन हेल्पलाइन मैनुअल,
    • सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर/सीएचओ) पुस्तिका, एवं
    • आशा विवरणिका एवं पत्रक (परिवार नियोजन)।

 

भारत ने प्रतिस्थापन स्तर टीएफआर की उपलब्धि हासिल की

  • भारत ने प्रतिस्थापन स्तर की प्रजनन क्षमता हासिल कर ली है, जिसमें 31 राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों ने 2.1 या उससे कम की कुल प्रजनन दर हासिल कर ली है एवं आधुनिक गर्भनिरोधक उपयोग काफी हद तक 56.5% (एनएफएचएस 5) तक बढ़ गया है।
  • एनएफएचएस-5 डेटा अंतरण विधियों की ओर एक समग्र सकारात्मक परिवर्तन प्रदर्शित करता है जो मातृ एवं शिशु मृत्यु दर तथा रुग्णता को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने में सहायक होगा।

 

मिशन परिवार विकास (एमपीवी)-राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम

  • मिशन परिवार विकास (एमपीवी) 2016 ने राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम को और गति प्रदान की है।
  • राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम: इस योजना के तहत, नई पहल किट, सास बहू सम्मेलन एवं सारथी वैन के वितरण जैसी नवीन रणनीतियाँ समुदाय तक पहुँचने एवं परिवार नियोजन, स्वस्थ जन्म अंतरण तथा छोटे परिवारों के महत्व पर संवाद प्रारंभ करने में सहायता कर रही हैं।
    • नवविवाहितों को 17 लाख से अधिक नई पहल किट वितरित की जा चुकी हैं।
    • 7 लाख से अधिक सास बहू सम्मेलन आयोजित किए जा चुके हैं, एवं
    • प्रारंभ से अब तक सारथी वैन के माध्यम से 32 लाख से अधिक ग्राहकों को परामर्श दिया गया है।

 

परिवार नियोजन (एफपी) 2030 साझेदारी

  • परिवार नियोजन के बारे में: परिवार नियोजन (फैमिली प्लानिंग/एफपी) 2030 साझेदारी परिवार नियोजन हेतु एक वैश्विक पहल है जो हितधारकों को आमंत्रित करना, संरेखित करने, ज्ञान साझा करने, संसाधनों को साझा करने एवं क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए एक स्थान प्रदान करती है।
    • यह परिवार नियोजन 2020 की उत्तरवर्ती  है।
  • भारत की भागीदारी: इस साझेदारी के लिए भारत की प्रतिबद्धता के हिस्से के रूप में, परिवार नियोजन में 3 बिलियन अमरीकी डालर का निवेश किया गया है।
    • 2012 एवं 2020 के मध्य, भारत ने आधुनिक गर्भ निरोधकों के लिए 1.5 करोड़ से अधिक अतिरिक्त उपयोगकर्ता जोड़े जिससे आधुनिक गर्भनिरोधक उपयोग में अत्यधिक वृद्धि हुई।

प्रतिस्थापन दर टीएफआर (रिप्लेसमेंट लेवल टीएफआर) क्या है?

  • संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या प्रभाग के अनुसार, कम प्रतिस्थापन प्रजनन क्षमता का अनुभव करने वाले देश- प्रति महिला 2.1 से कम बच्चे- इंगित करते हैं कि एक पीढ़ी स्वयं को प्रतिस्थापित करने के लिए पर्याप्त बच्चे पैदा नहीं कर रही है, अंततः जनसंख्या में स्पष्ट रूप से एकमुश्त कमी की ओर अग्रसर है।

 

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