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लाइट मैन्टल्ड अल्बाट्रॉस

लाइट मैन्टल्ड अल्बाट्रॉस- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • सामान्य अध्ययन III- संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन।

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लाइट मैन्टल्ड अल्बाट्रॉस चर्चा में क्यों है

  • द लाइट मैंटल्ड अल्बाट्रॉस को तमिलनाडु में रामेश्वरम तट पर देखा गया था। 

 

लाइट मैन्टल्ड अल्बाट्रोस

  • सर्वप्रथम जोहान रेनहोल्ड फोर्स्टर द्वारा फोएबेट्रिया पालपेब्रेटा के रूप में वर्णित किया गया था, 1785 में लाइट-मैन्टल्ड अल्बाट्रॉस को ग्रे-मेंटल्ड अल्बाट्रॉस या लाइट-मैन्टल्ड सूटी अल्बाट्रॉस के रूप में भी जाना जाता है।
  • प्रतीति: सिर के चारों ओर गहरे भागों एवं पीठ और पंखों के सिरे पर हल्के भागों के साथ धूसर रंग का।  ब्लैक बिल। आंख के ठीक ऊपर विशिष्ट सफेद पट्टी।
  • लाइट मैन्टल्ड अल्बाट्रोस आम तौर पर सतह पर मछली पकड़ने वाले होते हैं, औसतन मात्र 5 मीटर की  गहराई तक गोता लगाते हैं।
  • लाइट मैन्टल्ड अल्बाट्रोस समुद्र में रहते हुए एकान्त होते हैं एवं संभोग के मौसम के दौरान केवल शिथिल रूप से जुड़े प्रजनन कालोनियों का निर्माण करते हैं।
  • पवन की धाराओं एवं गुरुत्वाकर्षण के संयोजन का उपयोग करके (जिसे “डायनेमिक सोअरिंग” कहा जाता है) लाइट-मैन्टल्ड अल्बाट्रॉस केवल 5 मीटर की एक पातन के साथ 110 मीटर उड़ सकता है। वे 110 किमी प्रति घंटे से अधिक की गति से उड़ सकते हैं।
  • विस्तृत वेलापवर्ती (पेलजिक) व्यवहार के साथ लाइट-मैन्टल्ड अल्बाट्रॉस, दक्षिणी महासागर में एक परिध्रुवीय (सर्कंपोलर) वितरण को बनाए रखता है।
  • यह अनेक उप-अंटार्कटिक द्वीपों पर प्रजनन करता है, जैसे मैक्वेरी द्वीप समूह, हर्ड द्वीप एवं मैकडोनाल्ड द्वीप समूह (ऑस्ट्रेलिया), दक्षिण जॉर्जिया द्वीप (ब्रिटिश प्रवासी क्षेत्र), प्रिंस एडवर्ड आइलैंड्स (दक्षिण अफ्रीका), इल्स केर्गुएलन एवं इल्स क्रोज़ेट (फ्रांस) तथा ऑकलैंड, कैंपबेल और एंटीपोड्स आइलैंड्स (न्यूजीलैंड)।
  • प्रजातियाँ अंटार्कटिका के शीतल जल में दक्षिण की ओर ग्रीष्म ऋतु में प्रवाही हिमपुंज अपने भोजन की तलाश में बढ़ती हैं।

 

आईयूसीएन लाल सूची स्थिति

  • संकटापन्न-आईयूसीएन लाल सूची मुख्य रूप से लंबी रेखा मत्स्य क्षेत्रों में बाईकैच के रूप में फंसने के कारण घटती आबादी के कारण तथा संभवतः, बाहरी शिकारियों के प्रभाव के कारण भी (बर्डलाइफ इंटरनेशनल 2022)।
  • 1998 में संपूर्ण विश्व में जनसंख्या 21,600 प्रजनन जोड़े होने का अनुमान लगाया गया था।

 

शोधकर्ताओं के विचार 

  • रामेश्वरम द्वीप के पाक खाड़ी की ओर अंटार्कटिका के स्थानिक लाइट मेंटल अल्बाट्रॉस को देखना महत्वपूर्ण है एवं जब ये अंटार्कटिक पक्षी एशिया में प्रवास कर जाते हैं, तो यह शोधकर्ताओं के लिए नई चुनौतियां प्रस्तुत करता है।
  • शोधकर्ता प्रसिद्ध तथा स्थापित मार्गों एवं स्थलों से दूर पक्षी प्रवास की तलाश करने हेतु बाध्य होंगे। वह स्थान जहां अल्बाट्रॉस को देखा गया था, वह पाक खाड़ी का हिस्सा है एवं मन्नार की खाड़ी के समीप, भारत के दक्षिण-पूर्वी तट पर एक ‘महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र’ है।
  • पक्षी की उपस्थिति का निकटतम अभिलिखित (दर्ज) स्थल रामेश्वरम से लगभग 5,000 किमी दूर है, शोधकर्ताओं को ऐसा प्रतीत होता है कि वायुमंडलीय दबाव में परिवर्तन अल्बाट्रॉस के भारतीय तट पर उतरने के कारणों में से एक हो सकता है।

 

शोधकर्ताओं के अनुसार प्रेरक तंत्र

  • वैश्विक तापन (ग्लोबल वार्मिंग) के कारण पवन के प्रतिरूप में परिवर्तन अपरिचित पक्षियों को हमारे क्षेत्र में ला रहा है।
  • वायुमंडलीय तापमान में वृद्धि के कारण पवन के प्रतिरूप में हो रहे परिवर्तन से अल्बाट्रॉस जैसे पक्षी प्रभावित हो रहे हैं, जो कि पवन के उपयोग द्वारा गतिमान रहते हैं एवं उड़ानों के दौरान अपनी ऊर्जा बचाते हैं।
  • तापमान में मामूली परिवर्तन से पवन के प्रतिरूप में भारी बदलाव आ सकता है एवं पक्षी सुदूर के स्थानों पर उतर सकते हैं जो स्थल उनसे परिचित नहीं हैं।

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प्रवासी पक्षियों का संरक्षण – क्या किया जा सकता है?

  • पक्षियों में प्रवास की प्रवृत्तियों का अनुश्रवण, ​​रोगों की निगरानी एवं गणना।
  • पक्षी प्रवास के महत्व एवं इसके प्रभाव के बारे में जनता में जागरूकता का प्रसार करना।
  • प्रवास के मौसम के दौरान तटीय क्षेत्रों या जल निकायों के साथ वाणिज्यिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए।
  • जल निकायों के प्रदूषण को नियंत्रित किया जाना चाहिए।
  • लोगों को परिदृश्य एवं पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का सतत उपयोग सुनिश्चित करने की आवश्यकता है, जो प्रवासी पक्षियों के स्थल, प्रजातियों एवं उनकी आबादी का समर्थन कर सकते हैं।
  • पक्षियों को बसाने एवं उनके घोंसले बनाने में सहायता करने हेतु देशी प्रजातियों के साथ आर्द्रभूमि, घास के मैदानों, प्राकृतिक आवासों तथा वनों का संरक्षण
  • एकल उपयोग वाले प्लास्टिक (सिंगल यूज प्लास्टिक) पर प्रतिबंध लगाना तथा सिंगल यूज प्लास्टिक को जल निकायों में डंप करने से बचना
  • राष्ट्रों के मध्य विशिष्ट नियम, विनियम, अधिनियम एवं संधियाँ तथा प्रवासी पक्षियों के संरक्षण का समर्थन करने हेतु सख्त अनुपालन।

 

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