Home   »   World Hepatitis Day- A Future Free...   »   World Hepatitis Day- A Future Free...

विश्व हेपेटाइटिस दिवस-हेपेटाइटिस से मुक्त भविष्य

विश्व हेपेटाइटिस दिवस- हेपेटाइटिस मुक्त भविष्य- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • सामान्य अध्ययन II- स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधन से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास एवं प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।

हिंदी

विश्व हेपेटाइटिस दिवस चर्चा में क्यों है

  • विषाणु जनित हेपेटाइटिस के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रत्येक वर्ष 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है एवं इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य संगठन (वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन/डब्ल्यूएचओ) हेपेटाइटिस देखभाल को जरूरतमंद लोगों के करीब लाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाल रहा है।
  • हेपेटाइटिस जीवन के लिए खतरा हो सकता है जब तक कि इसका समय पर पता न चल जाए एवं इसका समुचित उपचार उपलब्ध न हो। अतः, विश्व हेपेटाइटिस दिवस पर, अन्य बातों के अतिरिक्त, संक्रमण, इसके निदान एवं इसे कैसे रोका जाए, के बारे में अधिक वैश्विक जागरूकता के प्रसार पर बल दिया जाता है।

हिंदी

हेपेटाइटिस क्या है?

  • हेपेटाइटिस यकृत की सूजन – किसी भी कारण से यकृत कोशिकाओं की जलन अथवा सूजन को संदर्भित करता है।
  • यह यकृत की तीव्र-सूजन हो सकती है जो रोग के साथ प्रस्तुत करती है – पीलिया, बुखार, उल्टी या यकृत की स्थायी-सूजन जो छह माह से अधिक समय तक रहती है, किंतु अनिवार्य रूप से कोई लक्षण प्रदर्शित नहीं करती है
  •  यह लीवर (सिरोसिस) को स्थायी नुकसान पहुंचा सकता है एवं यहां तक ​​कि लीवर कैंसर का कारण भी बन सकता है ।

 

हेपेटाइटिस के प्रकार

  • हेपेटाइटिस ए एक संक्रामक यकृत संक्रमण है जो हेपेटाइटिस ए विषाणु के कारण होता है। इस प्रकार के हेपेटाइटिस से ग्रसित लोग हफ्तों या महीनों तक बीमार महसूस कर सकते हैं, हिंदू आमतौर पर  पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाते हैं एवं यकृत को कोई हानि नहीं पहुंचती है।
  • हेपेटाइटिस बी हेपेटाइटिस ए से अधिक गंभीर हो सकता है। कुछ लोगों के लिए, संक्रमण केवल कुछ हफ्तों तक रहता है; यह तीव्र हेपेटाइटिस बी है। जो लोग स्थायी (क्रोनिक) हेपेटाइटिस बी विकसित करते हैं उन्हें आजीवन संक्रमण होगा जो यकृत कैंसर, सिरोसिस अथवा मृत्यु का कारण बन सकता है।
  • तीसरा प्रकार, हेपेटाइटिस सी, तब प्रसारित होता है जब संक्रमित रक्त एक असंक्रमित व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करता है। यह तब हो सकता है जब सुई साझा करना, संक्रमित मां से शिशु का जन्म लेना अथवा अनियमित स्थानों से टैटू बनवाया जाए।
  • हेपेटाइटिस डी एक संक्रमण है जो मात्र पूर्व से ही हेपेटाइटिस बी से संक्रमित लोगों में हो सकता है। हेपेटाइटिस डी तीव्र अथवा स्थायी हो सकता है। हेपेटाइटिस बी के साथ संयुक्त हेपेटाइटिस डी विषाणु अकेले हेपेटाइटिस बी की तुलना में यकृत के रोग को तेजी से प्रगति कर सकता है। इसके उपचार हेतु कोई टीका उपलब्ध नहीं है, किंतु उन लोगों में हेपेटाइटिस बी के टीके से इसे रोका जा सकता है जो पूर्व से  हेपेटाइटिस से संक्रमित नहीं हैं।
  • विकसित देशों में हेपेटाइटिस ई आम नहीं है। विषाणु दूषित जल, सूअर के अधपके मांस अथवा हिरण के मांस  एवं शंख से फैल सकता है। यह प्रायः विषाणु के अन्य उपभेदों की तुलना में कम गंभीर होता है; अधिकांश रोगी पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाते हैं एवं तीव्र से स्थायी संक्रमण में विकसित होने की संभावना बहुत कम होती है।

 

कारण 

  • ए, बी, सी, डी एवं ई सहित यकृतवर्ती / हेपेटो ट्रोपिक (यकृत निर्देशित) विषाणु के रूप में जाने वाले  विषाणु के एक समूह के कारण होता है।
  • अन्य विषाणु जैसे कि वैरिसेला वायरस जो चिकन पॉक्स का कारण बनता है एवं सार्स – कोव-2 जो कोविड –19 का कारण बनता है, यकृत को भी क्षतिग्रस्त कर सकता है।
  • मादक द्रव्यों एवं अल्कोहल की अधिक मात्रा, यकृत में वसा का निर्माण (वसीय यकृत/ फैटी लीवर हेपेटाइटिस) अथवा एक स्वप्रतिरक्षी (ऑटोइम्यून) प्रक्रिया जिसमें एक व्यक्ति का शरीर रोग प्रतिकारक (एंटीबॉडी) बनाता है जो लीवर (ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस) पर हमला करता है।

 

प्रसार

  • विषाणु जनित हेपेटाइटिस ए एवं ई दूषित जल अथवा संक्रमित व्यक्ति के मल के संपर्क में आने से फैलता है।
  • हेपेटाइटिस बी, सी एवं डी रक्त तथा शरीर के तरल पदार्थों के माध्यम से फैलता है। असुरक्षित यौन संबंध, सुइयों को साझा करना तथा नेल कटर, रेजर इत्यादि जैसे अलंकरण के सामानों से फैलता है।
  • मां से बच्चे को प्रसारित हो सकता है।

हिंदी

रोकथाम

  • स्वच्छ एवं सुरक्षित पेयजल सुनिश्चित करें।
  • रेजर, नेल कटर, सुई इत्यादि साझा करने से बचें।
  • असुरक्षित यौन संबंध से बचें।
  • प्रत्येक नवजात बच्चे को इन विषाणुओं के प्रति टीका लगाया जाना चाहिए।
  • यकृत रोग से ग्रसित लोगों को विशेष रूप से टीका लगवाना चाहिए क्योंकि विषाणु जनित हेपेटाइटिस उनमें गंभीर हो सकता है।

उपचार

  • हेपेटाइटिस ए तथा ई स्व-सीमित रोग हैं एवं इसके लिए किसी विशिष्ट प्रति – विषाणु (एंटीवायरल) दवाओं की आवश्यकता नहीं होती है।
  • हेपेटाइटिस बी एवं सी के लिए प्रभावी दवाएं उपलब्ध हैं

 

सरकारी पहल

राष्ट्रीय विषाणु जनित हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम

लक्ष्य 

  • हेपेटाइटिस का प्रतिरोध करें एवं 2030 तक संपूर्ण देश में हेपेटाइटिस सी का उन्मूलन लक्ष्य प्राप्त करें।
  • हेपेटाइटिस बी एवं सी से जुड़ी संक्रमित आबादी, रुग्णता एवं मृत्यु दर, सिरोसिस  तथा हेपेटो-सेलुलर कार्सिनोमा (यकृत कैंसर) में उल्लेखनीय कमी लाना।
  • हेपेटाइटिस ए एवं ई के कारण जोखिम, रुग्णता तथा मृत्यु दर को कम करें।

उद्देश्य

  1. हेपेटाइटिस के बारे में सामुदायिक जागरूकता में वृद्धि करना एवं सामान्य आबादी विशेषकर उच्च जोखिम वाले समूहों तथा हॉटस्पॉट में निवारक उपायों पर जोर देना।
  2. स्वास्थ्य सेवा के सभी स्तरों पर वायरल हेपेटाइटिस का शीघ्र निदान एवं प्रबंधन प्रदान करना।
  3. विषाणु जनित हेपेटाइटिस एवं इसकी जटिलताओं के प्रबंधन के लिए मानक निदान एवं उपचार प्रोटोकॉल विकसित करना।
  4. देश के सभी जिलों में विषाणु जनित हेपेटाइटिस एवं इसकी जटिलताओं के प्रबंधन हेतु विस्तृत सेवाएं प्रदान करने के लिए मौजूदा बुनियादी सुविधाओं को मजबूत करना, मौजूदा मानव संसाधनों की क्षमता का निर्माण करना एवं जहां आवश्यक हो, अतिरिक्त मानव संसाधन अभिनियोजित करना।
  5. विषाणु जनित हेपेटाइटिस के लिए जागरूकता, रोकथाम, निदान एवं उपचार हेतु मौजूदा राष्ट्रीय कार्यक्रमों के साथ संबंध विकसित करना।
  6. वायरल हेपेटाइटिस एवं इसके अनुक्रम से प्रभावित व्यक्तियों का पंजीयन (रजिस्ट्री) बनाए रखने हेतु एक वेब आधारित ” विषाणु जनित हेपेटाइटिस सूचना एवं प्रबंधन प्रणाली” (वायरल हेपेटाइटिस इनफॉरमेशन एंड मैनेजमेंट सिस्टम) विकसित करना।

हिंदी

घटक

  1. निवारक घटक:
  • यह एनवीएचसीपी की आधारशिला बना हुआ है। इसमें सम्मिलित होगा-
  • जागरूकता सृजित करना
  • हेपेटाइटिस बी का टीकाकरण (जन्म खुराक, उच्च जोखिम समूह, स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ता)
  • रक्त एवं रक्त उत्पादों की सुरक्षा
  • इंजेक्शन सुरक्षा, सुरक्षित सामाजिक-सांस्कृतिक प्रथाएं
  • सुरक्षित पेयजल, आरोग्य एवं स्वच्छ शौचालय
  1. निदान और उपचार:
    • HBsAg के लिए गर्भवती महिलाओं की स्क्रीनिंग उन क्षेत्रों में की जाएगी जहां संस्थागत प्रसव <80 प्रतिशत हैं, ताकि जन्म के समय खुराक हेपेटाइटिस बी टीकाकरण के लिए संस्थागत प्रसव के लिए उनका परामर्श (रेफरल) सुनिश्चित किया जा सके।
    • हेपेटाइटिस बी एवं सी दोनों के लिए नि:शुल्क जांच, निदान तथा उपचार चरणबद्ध रूप से स्वास्थ्य देखभाल के सभी स्तरों पर उपलब्ध कराया जाएगा।
    • निदान एवं उपचार के लिए निजी क्षेत्र सहित गैर-लाभकारी संस्थानों के साथ संपर्क का प्रावधान।
    • उपचार एवं मांग सृजन के अनुपालन को बढ़ाने एवं सुनिश्चित करने हेतु समुदाय / सहकर्मी समर्थन के साथ जुड़ाव।
  1. अनुश्रवण एवं मूल्यांकन, निगरानी तथा अनुसंधान निगरानी प्रणाली के लिए प्रभावी संबंध स्थापित किए जाएंगे एवं स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ रिसर्च/डीएचआर) के माध्यम से परिचालन अनुसंधान किया जाएगा। मानकीकृत एम एंड ई संरचना विकसित की जाएगी एवं एक ऑनलाइन वेब आधारित प्रणाली स्थापित की जाएगी।
  2. प्रशिक्षण तथा क्षमता निर्माण: यह एक सतत प्रक्रिया होगी एवं इसे एनसीडीसी, आईएलबीएस एवं राज्य तृतीयक देखभाल संस्थानों द्वारा समर्थित किया जाएगा और एनवीएचसीपी द्वारा समन्वित किया जाएगा। स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों के सभी स्तरों के लिए हेपेटाइटिस प्रेरण एवं अद्यतन कार्यक्रम, प्रमुख (मास्टर) प्रशिक्षकों के माध्यम से प्रशिक्षण के पारंपरिक सोपानी प्रतिमान (कैस्केड मॉडल) एवं इलेक्ट्रॉनिक, ई-अधिगम (ई-लर्निंग) तथा ई- पाठ्यक्रम (ई-कोर्स) को सक्षम करने हेतु उपलब्ध विभिन्न प्लेटफार्मों का उपयोग करके उपलब्ध कराया जाएगा।

 

अंतर्राष्ट्रीय भूमि सीमाओं पर एकीकृत चेक पोस्ट (आईसीपी) की सूची 5 नई भारतीय आर्द्रभूमि को रामसर स्थलों के रूप में मान्यता संपादकीय विश्लेषण- वैश्विक संपर्क का एक मार्ग  सहकारिता पर राष्ट्रीय नीति
एशियाई सिंह संरक्षण परियोजना लाइट मैन्टल्ड अल्बाट्रॉस मानव-पशु संघर्ष: बाघों, हाथियों एवं लोगों की क्षति रक्षा क्षेत्र में एफडीआई
गैर-व्यक्तिगत डेटा साहसिक पर्यटन के लिए राष्ट्रीय रणनीति  पीएमएलए एवं फेमा – धन शोधन को नियंत्रित करना तटीय सफाई अभियान- स्वच्छ सागर, सुरक्षित सागर

Sharing is caring!

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *