Categories: हिंदी

बहु संरेखण की भारत की वर्तमान नीति

बहु संरेखण की भारत की वर्तमान नीति- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • सामान्य अध्ययन II – द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह तथा भारत से जुड़े समझौते।

बहु संरेखण की भारत की वर्तमान नीति: सन्दर्भ

  • समरकंद, उज्बेकिस्तान में आगामी शंघाई सहयोग संगठन (शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन/एससीओ) शिखर सम्मेलन भारत को बहु संरेखण की ओर ले जा रहा है।

 

पृष्ठभूमि

  • गुटनिरपेक्षता के संस्थापक से बहु-संरेखण तक भारत की विदेश नीति की यात्रा। अपनी पुस्तक द इंडिया वे में, विदेश मंत्री एस. जयशंकर भारत की “गुटनिरपेक्षता” की पारंपरिक नीति की आलोचना  प्रस्तुत करते हैं, जहां वे अतीत के “आशावादी गुटनिरपेक्षता” के मध्य अंतर करते हैं, जो उन्हें लगता है कि विफल हो गया है, जो अधिक यथार्थवादी “भविष्य के बहुल अनुबंधों” को मार्ग प्रदान करें।

 

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ)

  • शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) एक यूरेशियाई राजनीतिक, आर्थिक एवं सुरक्षा संगठन है।
  • यह विश्व का सर्वाधिक वृहद क्षेत्रीय संगठन है,
  • विश्व जनसंख्या का 40%,
  • वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 30% से अधिक।
  • सदस्य: 8-चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस एवं ताजिकिस्तान, उजबेकिस्तान, भारत तथा पाकिस्तान।

 

एससीओ शिखर सम्मेलन, 2022

  • मेजबान- उज्बेकिस्तान,
  • उज्बेकिस्तान सम्मेलन के पूर्ण रूप से मेजबानी करेगा: चार मध्य एशियाई राज्यों, चीन, भारत, पाकिस्तान  एवं रूस के आठ सदस्य राज्यों सहित 15 नेतृत्वकर्ता, प
  • र्यवेक्षक राज्य: बेलारूस, मंगोलिया एवं ईरान (जो इस वर्ष सदस्य बनेंगे) –
  • अफगानिस्तान को आमंत्रित नहीं किया गया है।
  • अतिथि देशों के नेता – आर्मेनिया, अजरबैजान, तुर्की एवं तुर्कमेनिस्तान।

 

गुटनिरपेक्षता क्या है?

  • यह एक नीति है, जो नेहरू के मस्तिष्क की उपज है। गुटनिरपेक्ष आंदोलन का उदय द्वितीय विश्व युद्ध के  पश्चात हुआ।
  • गुटनिरपेक्षता का अर्थ किसी भी महाशक्ति,  सोवियत संघ (यूएसएसआर) अथवा यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका (यूएसए) के साथ गठबंधन नहीं करना है। एशिया एवं अफ्रीका के औपनिवेशीकृत राष्ट्र मोटे तौर पर इस समूह का हिस्सा थे।

 

गुटनिरपेक्षता की भारत की नीति

  • 1955 में बांडुंग सम्मेलन में गुटनिरपेक्ष आंदोलन भारत के संस्थापक सदस्यों में से एक के रूप में प्रारंभ हुआ।
  • गुटनिरपेक्षता की नीति के साथ भारत ने यूएसए या यूएसएसआर की ओर आकर्षित होने से इनकार कर दिया।
  • भारत गुटनिरपेक्षता का नेतृत्वकर्ता था।

 

भारत की बहु-संरेखण की वर्तमान नीति क्या है?

  • 2014 से अपने कार्यकाल के प्रारंभ के पश्चात से, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुटनिरपेक्ष के किसी भी सम्मेलन में सम्मिलित नहीं हुए हैं।
  • विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने अपनी पुस्तक ‘द इंडियन वे’ में गुटनिरपेक्षता की आलोचना की है।
  • पूर्व विदेश सचिव विजय गोखले के शब्दों में भारत अब गुटनिरपेक्ष राष्ट्र नहीं रहा।

 

एक बहु संरेखण नीति कैसी है?

  • भारत प्रत्येक वृहद समूह का हिस्सा बनकर वास्तव में बहु गठबंधन या सभी से जुड़ा हुआ है।
  • भारत ब्रिक्स का हिस्सा है एवं प्रधानमंत्री मोदी समरकंद में एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे हैं।
  • प्रतिद्वंद्वी समूहों के समानांतर भारत भी क्वाड एवं हिंद प्रशांत (इंडो-पैसिफिक) आर्थिक ढांचे का हिस्सा है।
  • भारत रियायती दरों पर रूसी तेल का क्रय रहा है एवं पश्चिमी देशों तथा अमेरिका के दबाव में झुकने से इनकार कर रहा है।
  • S-400 की खरीद हो रही है एवं भारत ने अमेरिका से प्रतिबंधों की गोली से बचकर निकल गया है।
  • भारत ऑस्ट्रेलिया एवं संयुक्त अरब अमीरात के साथ द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते का चयन कर रहा है  तथा आरसीईपी एवं हाल ही में आईपीईएफ जैसे समूहों से हट गया है। यह नीति भारत के आर्थिक हित में बताई जा रही है।

 

बहु संरेखण के लाभ

  • भारत अब P5 सुरक्षा परिषद से चूकने की गलती को दोहराना नहीं चाहता (“द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात पांच राज्यों को उनके महत्व के आधार पर सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता प्रदान की गई थी)।
  • यदि कोई समूह आपके हित के प्रतिकूल कार्य करता है तो बाहर रहने एवं कुछ न करने के स्थान पर समूह का हिस्सा बनना बेहतर है।
  • पीछे हटने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका एवं उसके ढहते आधिपत्य के साथ विश्व अनेक ध्रुवीय विश्व व्यवस्था की ओर बढ़ रही है।

 

क्षति

  • गुटनिरपेक्षता से प्रमुख हानि यह है कि मित्र देशों की प्रतिकूल नीति पर अब आपका प्रभाव नहीं है।
  • उदाहरण के लिए, रूस भारत को S-400 का विक्रय करता है किंतु वह चीन को भी वही हथियार बेचता है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका एवं भारत रणनीतिक रूप से दिन-प्रतिदिन करीब आ रहे हैं किंतु यूएसए ने हाल ही में पाकिस्तान को 45 करोड़ डॉलर के एफ-16 लड़ाकू विमानों के विक्रय को अपनी स्वीकृति प्रदान की है।

 

निष्कर्ष

  • बहु संरेखण भारत के सर्वोत्तम राष्ट्रीय हित के निमित्त सेवा प्रदान करेगा।
  • अब तक भारत ने अपने विदेश नीति के उद्देश्यों को सुरक्षित करने हेतु विश्व स्तर पर प्रतिद्वंद्वी दलों को प्रबंधित किया है, किंतु रूसी आक्रामकता एवं चीनी दावे तथा विभाजित विश्व भारत की बहु संरेखण नीति के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती प्रस्तुत करेंगे।

 

अरत्तुपुझा वेलायुधा पनिकर सामाजिक कार्यकर्ता-लेखक अन्नाभाऊ साठे एशिया कप के विजेताओं की सूची आईपीईएफ का व्यापार स्तंभ
नए दत्तक नियम नागरिकता संशोधन अधिनियम कश्मीरी पंडित कुशियारा नदी संधि
भारत में शराब कानून दारा शिकोह प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान का शुभारंभ सतत एवं हरित पर्यटन (सस्टेनेबल एंड ग्रीन टूरिज्म
manish

Recent Posts

Himalayan Ranges: Exploring the Greater, Middle, and Shiwalik Ranges

The Himalayan mountain range delineates the boundary between the Indian subcontinent and the Tibetan Plateau…

11 hours ago

India’s Geographical Extent and Frontiers: A Detailed Overview

India, the seventh-largest country in the world, is distinguished from the rest of Asia by…

11 hours ago

Haryana Judiciary Eligibility Criteria 2024, Age Limit and Qualifications

The Haryana Judiciary offers a prestigious and rewarding career path for individuals aspiring to become…

14 hours ago

Rajasthan Judiciary Exam Date 2024, Check New Exam Date

In a recent notice, the Rajasthan High Court released the new exam date for the…

15 hours ago

UPSC Calendar 2025 Announced at upsc.gov.in, Download PDF

The Union Public Service Commission (UPSC) has unveiled the UPSC Calendar 2025 on its official…

15 hours ago

HPPSC HPAS Salary 2024, Check Job Profile, Allowances

On April 5th, the Himachal Pradesh Public Service Commission (HPPSC) issued a new notification announcing…

15 hours ago