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बाल विवाह: समाप्त करने की भारत की योजना

बाल विवाह

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बाल विवाह: समाप्त करने की भारत की योजना- चर्चा में क्यों है?

बाल विवाह को समाप्त करने से संबंधित यूएनएफपीए-यूनिसेफ वैश्विक कार्यक्रम की संचालन समिति राज्य के हस्तक्षेप को देखने के लिए भारत की यात्रा पर है जिसने बाल विवाह के प्रसार को कम करने में सहायता की है।

  • यूएनएफपीए-यूनिसेफ का अनुमान है कि विश्व स्तर पर महामारी के परिणामस्वरूप 10 मिलियन बच्चे बाल वर/वधू बन सकते हैं।

बाल विवाह क्या है?

  • बाल विवाह 18 वर्ष से कम आयु के बच्चे एवं एक वयस्क तथा दूसरे बच्चे के मध्य किसी भी औपचारिक विवाह या अनौपचारिक मिलन को संदर्भित करता है।
  • बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक, 2021, महिलाओं के लिए विवाह योग्य आयु के रूप में 21 वर्ष निर्धारित करता है।

बाल विवाह: एक सिंहावलोकन

  • बाल विवाह का एक बड़ा हिस्सा मुख्य रूप से निर्धनता एवं विलंब से विवाह से जुड़े दहेज की भारी लागत के बोझ के कारण होता है।
  • यह विभिन्न क्षेत्रों एवं संस्कृतियों में सामाजिक मानदंडों के कारण है कि माता-पिता एक बालिका के यौवन तक पहुंचने के पश्चात उसके विवाह की तैयारी प्रारंभ कर देते हैं।
  • संघर्ष उन असमानताओं को बढ़ाता है जो बालिकाओं को बाल विवाह तथा इसके परिणाम के प्रति संवेदनशील बनाती हैं। परिवार बालिकाओं के लिए विवाह की व्यवस्था कर सकते हैं, यह विश्वास करते हुए कि विवाह उनकी बेटियों को हिंसा से बचाएगा।

बाल विवाह: मुद्दे

  • विश्व स्तर पर, बालकों के मध्य बाल विवाह का प्रचलन बालिकाओं की तुलना में मात्र छठा भाग है।
  • बाल विवाह से बालिकाओं की बाल्यावस्था को छीन लिया जाता है एवं उनके जीवन तथा स्वास्थ्य को खतरा होता है।
  • यह प्रथा बालिकाओं को परिवार एवं मित्रों से भी अलग कर सकती है तथा उन्हें अपने समुदायों में भाग लेने से बाहर कर सकती है, जिससे उनके शारीरिक एवं मनोवैज्ञानिक कल्याण पर व्यापक दुष्प्रभाव पड़ता है।
  • 18 वर्ष से पूर्व विवाह करने वाली बालिकाओं में घरेलू हिंसा का अनुभव होने की संभावना अधिक होती है तथा विद्यालय जाने की संभावना कम होती है।
  • बाल वधू प्रायः किशोरावस्था के दौरान गर्भवती हो जाती हैं, जब उनके एवं उनके शिशुओं के लिए मृत्यु का जोखिम होता है।
  • बालिकाओं को शारीरिक एवं मानसिक रूप से तैयार होने से पूर्व ही वयस्क होने हेतु बाध्य किया जाता है।
  • बाल विवाह भारतीय अर्थव्यवस्था को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है एवं निर्धनता के एक अंतर-पीढ़ी चक्र को जन्म दे सकता है।
  • बच्चों के रूप में विवाहित बालिकाओं एवं बालकों के पास अपने परिवारों को निर्धनता से बाहर निकालने  एवं अपने देश के सामाजिक तथा आर्थिक विकास में योगदान करने के लिए आवश्यक कौशल, ज्ञान एवं नौकरी की संभावनाओं की कमी होने की अधिक संभावना है।

बाल विवाह: वैश्विक परिदृश्य

  • यूनिसेफ के आंकड़ों के अनुसार, बाल्यावस्था में विवाहित बालिकाओं की कुल संख्या 12 मिलियन प्रति वर्ष है।
  • यह- सतत विकास लक्ष्यों में निर्धारित लक्ष्य, 2030 तक इस प्रथा को समाप्त करने हेतु प्रयासरत है ।

बाल विवाह: भारत की बाल विवाह को समाप्त करने की योजना

  • बाल विवाह के समग्र प्रसार में गिरावट की प्रवृत्ति बढ़ रही है।
  • भारत में, बाल विवाह 2005-06 में 47.4% से घटकर 2015-16 में 26.8% हो गया, इस दशक के दौरान 21% अंकों की गिरावट दर्ज की गई।
  • नवीनतम राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण -5 के आंकड़ों के अनुसार,विगत पांच वर्षों में, यह 2020-21 में 3.5% अंकों की गिरावट के साथ 23.3% तक पहुंच गया।
  • यद्यपि, 141.2 करोड़ की आबादी वाले देश में 3% अभी भी एक तकलीफदेह उच्च प्रतिशत है।
  • कुछ राज्यों में राष्ट्रीय औसत से अधिक प्रसार है – पश्चिम बंगाल, बिहार एवं त्रिपुरा इस सूची में शीर्ष पर हैं, जहां 20-24 वर्ष की आयु की 40% से अधिक महिलाओं का विवाह 18  वर्ष से कम आयु में होता है (एनएफएचएस)।
  • केरल में, 18 वर्ष की आयु से पूर्व विवाह करने वाली महिलाएं 2019-20 में 6.3% थीं, जो 2015-16 में 7.6% थीं।

बाल विवाह: भारत में कानून

ऐसे उल्लेखनीय कानून हैं जिनका उद्देश्य बच्चों को मानव एवं अन्य अधिकारों के उल्लंघन से बचाना है,जिसमें मुख्य रुप से सम्मिलित हैं-

  1. बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006  एवं
  2. यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012
  • एक संसदीय स्थायी समिति महिलाओं के लिए विवाह की आयु को बढ़ाकर 21 वर्ष करने के गुण एवं दोषों पर विचार विमर्श कर रही है, जिसे केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है।
  • बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना: इसका उद्देश्य गिरते बाल लिंग अनुपात (चाइल्ड सेक्स  रेशियो/सीएसआर) के मुद्दे को हल करना है।
  • कन्याश्री योजना: पश्चिम बंगाल की यह योजना उच्च अध्ययन करने की इच्छुक बालिकाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
  • बालिकाओं को विद्यालय तक सुरक्षित पहुँचाने के लिए बिहार एवं अन्य राज्य एक साइकिल योजना लागू कर रहे हैं तथा उत्तर प्रदेश में बालिकाओं को विद्यालय में पुनः प्रवेश हेतु प्रोत्साहित करने की एक योजना है।

बाल विवाह: आगे की राह

  • महिलाओं को कम से कम 12 वर्ष तक की शिक्षा पूरी करने को सुनिश्चित करके बहुत से लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं।
  • बांग्लादेश दर्शाता है कि महिलाओं की शिक्षा में सुधार एवं उन्हें आधुनिक कौशल प्रदान करना जिससे उनकी रोजगार क्षमता में वृद्धि हो, बाल विवाह में कमी आती है तथा उनके स्वास्थ्य और पोषण में सुधार होता है।
  • ऐसी योजनाएं जो विवाह के वित्तीय बोझ को कम करती हैं, किंतु जिनके पात्रता मानदंड अनिवार्य रूप से  आयु के अतिरिक्त शिक्षा प्राप्ति से जुड़ी होनी चाहिए, ध्यान देने की आवश्यकता है।
  • विवाह की आयु बढ़ाने के लिए एक कानूनी दृष्टिकोण सकारात्मक परिणाम तभी प्रदान करेगा जब इससे महिलाओं की शिक्षा एवं रोजगार के लिए कौशल प्राप्ति में सुधार होगा।
  • महिलाओं की  विद्यालयी शिक्षा या कौशल में वृद्धि के अभाव में, बाल विवाह को समाप्त करने के लिए एक कानूनी दृष्टिकोण प्रतिकूल हो सकता है।

 

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