Home   »   Capex push: Proactive Tax Devolution to...   »   One Nation, One ITR Form

एक राष्ट्र, एकल आयकर विवरणी फॉर्म: सीबीडीटी सभी के लिए एकल आईटीआर फॉर्म प्रस्तावित करता है!

Table of Contents

एक राष्ट्र, एकल आयकर विवरणी फॉर्म: वन नेशन, वन आईटीआर फॉर्म के बारे में

एक राष्ट्र, एकल आयकर विवरणी (वन नेशन, वन आईटीआर) फॉर्म सभी करदाताओं के लिए एक प्रस्तावित सरल सामान्य आयकर विवरणी (आईटीआर) फॉर्म है।

एक राष्ट्र, एकल आयकर विवरणी फॉर्म: सीबीडीटी सभी के लिए एकल आईटीआर फॉर्म प्रस्तावित करता है!_3.1

वन नेशन, वन आईटीआर फॉर्म: यूपीएससी के लिए प्रासंगिकता

जीएस 3: सरकारी नीतियां एवं अंतक्षेप, वृद्धि एवं विकास

 

एक राष्ट्र, एकल आयकर विवरणी फॉर्म: चर्चा में क्यों है?

  • 01 नवंबर को, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस/सीबीडीटी) ने सभी करदाताओं के लिए एक साधारण सामान्य आयकर विवरणी (आईटीआर) फॉर्म बनाने का सुझाव दिया।
  • प्रस्तावित नए आम आईटीआर फॉर्म पर, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 15 दिसंबर तक हितधारकों की टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।

 

क्या बदलाव प्रस्तावित किए जा रहे हैं?

  • सीबीडीटी के प्रस्तावित मसौदे के अनुसार आयकर विवरणी में आईटीआर-7 को छोड़कर आय के सभी मौजूदा रिटर्न को मिलाकर एक सामान्य आयकर विवरणी को प्रारंभ करने का प्रस्ताव है।
  • प्रस्ताव के अनुसार, सभी करदाता, ट्रस्ट एवं गैर-लाभकारी संगठनों (ITR-7) को छोड़कर, एक सामान्य  आइटीआर फॉर्म का उपयोग करने में सक्षम होंगे, जिसमें आभासी डिजिटल आस्तियों से आय के प्रकटीकरण के लिए एक अलग शीर्ष शामिल होगा।
  • नया आईटीआर फॉर्म पुराने फॉर्म आईटीआर-1 तथा आईटीआर-4 के साथ उपलब्ध होगा, किंतु आईटीआर-2, आईटीआर-3, आईटीआर-5 एवं आईटीआर-6 दाखिल करने वाले करदाताओं के पास पुराने फॉर्म भरने का विकल्प नहीं होगा।

 

अब किस तरह के आईटीआर फॉर्म हैं?

करदाताओं की श्रेणी के अनुसार से आईटीआर फॉर्म सात तरह के होते हैं। वे इस प्रकार हैं:

आईटीआर-1

इसे ‘सहज’ कहा जाता है एवं यह छोटे तथा मध्यम करदाताओं के लिए है। सहज फॉर्म 50 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों द्वारा, वेतन, एक गृह संपत्ति / अन्य स्रोतों (ब्याज आदि) से आय के साथ दाखिल किए जा सकते हैं।

आईटीआर-2

यह आवासीय संपत्ति से आय प्राप्त करने वाले लोगों द्वारा दायर किया जाता है।

आईटीआर-3

यह उन लोगों के लिए अभिप्रेत है जिनकी आय व्यवसाय / पेशे से लाभ के रूप में है।

आईटीआर-4 (सुगम)

आईटीआर-1 (सहज) की तरह, सुगम एक सरल रूप है तथा इसे व्यक्तियों, हिंदू अविभाजित परिवारों (HUF)एवं व्यवसाय तथा पेशे से 50 लाख रुपये तक की कुल आय वाली व्यावसायिक कंपनियों द्वारा दायर किया जा सकता है ।

आईटीआर-5 तथा 6

ITR-5 तथा 6 क्रमशः सीमित देयता भागीदारी (लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप/एलएलपी) एवं व्यवसायों के लिए हैं।

आईटीआर-7

यह न्यास (ट्रस्ट) तथा गैर-लाभकारी संगठनों द्वारा दायर किया जाता है।

 

वन नेशन, वन आईटीआर फॉर्म: सीबीडीटी ने नए बदलावों का प्रस्ताव क्यों दिया?

सर्वोत्तम अभ्यासों को लाने हेतु

  • प्रस्तावित मसौदा आईटीआर अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम अभ्यासों के साथ मिलकर रिटर्न फाइलिंग सिस्टम पर  पुनर्विचार करता है।
  • प्रारूप फॉर्म का उद्देश्य आयकर विवरणी दाखिल करना सरल बनाना है एवं व्यक्तियों तथा गैर-व्यावसायिक-प्रकार के करदाताओं द्वारा नौकरी के लिए लगने वाले समय को काफी कम करना है।

उपयोगकर्ता के अनुकूल सारणियां

  • करदाताओं को उन सारणियों को देखने की आवश्यकता नहीं होगी जो उन पर लागू नहीं होती हैं।
  • यह बेहतर व्यवस्था, तार्किक प्रवाह तथा प्री-फिलिंग के बढ़े हुए दायरे के साथ उपयोगकर्ता के अनुकूल तरीके से सारणियों के स्मार्ट डिजाइन काउद्देश्य रखता है।

उचित समाधान

  • यह करदाताओं पर अनुपालन बोझ को कम करने के लिए आईटीआर में रिपोर्ट किए जाने वाले डेटा के साथ-साथ आयकर विभाग के पास उपलब्ध तृतीय-पक्ष डेटा के उचित मिलान की सुविधा भी प्रदान करेगा।

अनुकूलित आईटीआर

  • प्रस्तावित आईटीआर फॉर्म करदाताओं के लिए उनके द्वारा उत्तर दिए गए कुछ प्रश्नों के आधार पर लागू  सारणियों के के साथ अनुकूलित किया जाएगा।
  • एक बार सामान्य आईटीआर फॉर्म अधिसूचित होने के बाद, हितधारकों से प्राप्त इनपुट को ध्यान में रखते हुए, आयकर विभाग द्वारा ऑनलाइन उपादेयता जारी की जाएगी।
  • ऐसी उपादेयता में, करदाता के लिए केवल लागू प्रश्नों तथा सारणियों वाला एक अनुकूलित आईटीआर उपलब्ध होगा।

 

वन नेशन, वन आईटीआर फॉर्म: सीबीडीटी के बारे में जानें

  1. कार्य और संगठन
  • केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, केंद्रीय राजस्व बोर्ड अधिनियम, 1963 के तहत कार्यरत एक सांविधिक प्राधिकरण है।
  • बोर्ड के अधिकारी अपनी पदेन क्षमता में मंत्रालय के एक प्रभाग के रूप में भी कार्य करते हैं जो प्रत्यक्ष करों के उद्ग्रहण और संग्रहण से संबंधित मामलों को देखता है।
  1. सीबीडीटी की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
  • केंद्रीय राजस्व बोर्ड, विभाग के शीर्ष निकाय के रूप में, करों के प्रशासन हेतु उत्तरदायी, केंद्रीय राजस्व बोर्ड अधिनियम, 1924 के परिणामस्वरूप अस्तित्व में आया।
  • प्रारंभ में बोर्ड प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष कर दोनों का प्रभारी था। हालांकि, जब करों का प्रशासन एक बोर्ड के लिए अत्यधिक बोझिल हो गया, तो बोर्ड दो भागों, अर्थात केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड  एवं केंद्रीय उत्पाद तथा सीमा शुल्क बोर्ड में  1.1.1964 से प्रभावी रूप में विभाजित हो गया।

 

वन नेशन, वन आईटीआर फॉर्म: निष्कर्ष

जब विशेष रूप से, व्यक्तियों के लिए रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को सरल बनाने की बात आती है तो प्रस्तावित नया सामान्य आईटीआर फॉर्म उचित दिशा में एक कदम है। यह उन पर लागू होने वाले फॉर्म को निर्धारित करने में आने वाली कठिनाइयों को कम करने में सहायता करेगा।

 

अंतरराष्ट्रीय संबंधों में सर्पिल प्रतिमान: रूस-नाटो स्पाइरल! PRAGeD मिशन: सीडीएफडी द्वारा एक पहल भारतीय विनिर्माण क्रय प्रबंधक सूचकांक (इंडियाज मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स/पीएमआई) एसपीसीबी: वायु प्रदूषण की लड़ाई में सबसे कमजोर कड़ी!
लोक लेखा समिति (पीएसी) संक्षिप्त इतिहास, भूमिका एवं कार्य चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की सत्यनिष्ठा पर समूह सरदार वल्लभ भाई पटेल- देश मना रहा है राष्ट्रीय एकता दिवस सिंधु घाटी सभ्यता में प्रमुख स्थलों एवं खोज की सूची
सिंधु घाटी सभ्यता (इंडस वैली सिविलाइजेशन/IVC) यूपीएससी प्रीलिम्स बिट्स: 01 नवंबर, 2022 संपादकीय विश्लेषण- सीक्वेंस ऑफ इंप्लीमेंटेशन, ईडब्ल्यूएस कोटा आउटकम्स  फीफा का फुटबॉल फॉर स्कूल्स (Football4Schools/F4S) पहल

Sharing is caring!

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *