एक तीव्र आघात के साथ- आईएमडी के वर्षा पूर्वानुमान प्रारूप

आईएमडी का वर्षा पूर्वानुमान प्रारूप- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 1: भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी क्रियाएं, चक्रवात इत्यादि जैसी महत्वपूर्ण भू भौतिकीय घटनाएं;

आईएमडी का वर्षा पूर्वानुमान प्रारूप- संदर्भ

  • दक्षिण-पश्चिम मानसून आधिकारिक तौर पर भारत में जून एवं सितंबर के मध्य 4 सेंटीमीटर वर्षा के साथ समाप्त हो गया है, यह ऐतिहासिक औसत 88 सेंटीमीटर से सिर्फ 0.7% कम है।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी हेतु निशुल्क वीडियो प्राप्त कीजिए एवं आईएएस/ आईपीएस/ आईआरएस बनने के अपने सपने को साकार कीजिए

 

आईएमडी का वर्षा पूर्वानुमान प्रारूप- 2021 में मानसून

  • वर्षा की न्यूनता: अगस्त के अंत तक, भारत में लगभग 9% की अखिल भारतीय मानसून वर्षा की कमी प्रदर्शित हो रही थी।
    • यह मुख्य रूप से अगस्त में मानसून की बारिश के कारण हुआ था,  सामान्य तौर पर द्वितीय सर्वाधिक वर्षा वाला महीना, जिसमें 24% कम वर्षा हुई।
    • यद्यपि, सितंबर में वर्षा (सामान्य मासिक वर्षा से 35% अधिक) इतनी अधिक थी कि इसने कमी को पूर्ण रूप से समाप्त कर दिया एवं आईएमडी की उम्मीदों से काफी परे था।
  • आईएमडी पूर्वानुमान:
    • प्रारंभिक पूर्वानुमान: आईएमडी ने “सकारात्मक पक्ष की ओर रुझान” के साथ “सामान्य” वर्षा का पूर्वानुमान लगाया था।
    • नवीनतम पूर्वानुमान: आईएमडी ने कहा कि समग्र मॉनसून वर्षा अभी भी “सामान्य” है, जो निचली सीमा की ओर होगी।
  • विगत रुझान: मानसून 2021 ने तीन वर्ष की असामान्य अच्छी वर्षा की उच्चतम सीमा दर्ज की।
    • 2020 में, भारत को दीर्घ अवधि के औसत (एलपीए) का 109% एवं 2019 में एलपीए का 110% प्राप्त हुआ।
    • 1996, 1997 एवं 1998 के पश्चात से, भारत में लगातार तीन वर्ष सामान्य अथवा सामान्य से अधिक वर्षा नहीं हुई है।

आईएमडी एवं भारत में मौसम का पूर्वानुमान

मानसून 2021- भौगोलिक वितरण एवं संबद्ध प्रभाव

  • भौगोलिक वितरण: अधिकांश वर्षा दक्षिणी भारत पर केंद्रित थी, पूर्वोत्तर एवं पूर्वी भारत के बड़े हिस्से में सामान्य से कम वर्षा हुई, किंतु यह दो कारणों से संबद्ध नहीं है-
  1. भारत के शेष हिस्सों की तुलना में उत्तर पूर्वी क्षेत्रों में मानसूनी वर्षा का आधार स्तर अधिक है एवं
  2. इस क्षेत्र में प्रत्यागामी (वापस लौटने वाला) मानसून भी आता है जो सामान्य तौर पर अक्टूबर के अंत तक प्रारंभ होता है।
  • संबद्ध प्रभाव:
    • तीन वर्ष की अच्छी वर्षा ने भारत के प्रमुख जलाशयों में भंडारण में वृद्धि की है।
    • कृषि के लिए अनियमित सिद्ध हुआ: यह खरीफ बुवाई के मौसम (जुलाई और अगस्त) के दौरान मानसून की विफलता एवं सितंबर में अधिक वर्षा (अत्यधिक नमी के कारण फसल की हानि के कारण) के कारण हुआ है।
    • उच्च प्रत्याशित फसल उत्पादन: खरीफ फसलों के जून 2022 तक 5 मिलियन टन उत्पादन की संभावना है (विगत वर्ष 149.56 मिलियन टन उत्पादित किया गया)।

शहरी बाढ़: अवलोकन, कारण और सुझावात्मक उपाय

manish

Recent Posts

UPSC Eligibility Criteria 2024- Age Limit, Qualification

On the official website, the UPSC examination notification has been officially released. To choose officers…

14 mins ago

UP Higher Judiciary Notification 2024, Apply for 83 Posts

UP High Court of Judication at Allahabad has released a notification for the UP Higher…

27 mins ago

India Mountain Passes: State Wise, Facts and Highest Pass

India Mountain Passes as a crucial route through mountainous terrain, acting as a gateway to…

19 hours ago

Himalayas Longitudinal Division- Insight, Facts, Explanation

The Himalayas Longitudinal Division encompasses three main divisions: the Kashmir/Punjab/Himachal Himalayas, the Kumaun Himalayas, and…

20 hours ago

India’s Varied Rock Systems: Archaean, Purana, Dravidian, and Aryan Explained

The subcontinent's geological past can be derived from the dynamic and complex process of classifying…

21 hours ago

National Council for Transgender Persons- Function, Composition

Established under the Transgender Persons Protection of Rights Act 2019 by the Ministry of Social…

23 hours ago