शहरी बाढ़: अवलोकन, कारण और सुझावात्मक उपाय
प्रासंगिकता
- जीएस पेपर III- संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और अवक्रमण, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन; आपदा और आपदा प्रबंधन।
प्रसंग
- हाल ही में मुंबई, महाराष्ट्र में अनवरत वर्षा होने के कारण अनेक व्यक्तियों की मृत्यु हो गई है, जिससे भारतीय शहरों में शहरी बाढ़ की समस्या की गंभीरता को और प्रबलित किया है।
- इससे पूर्व अक्टूबर 2020 में तेलंगाना के हैदराबाद में भी ऐसी ही एक घटना घटित हुई थी, जिसमें 50 से अधिक व्यक्तियों की मृत्यु हो गई थी।
शहरी बाढ़
- परिभाषा: बाढ़ को ” सामान्य तौर पर जल प्लावित नहीं होने वाले क्षेत्रों में जल के एक बड़े निकाय के अतिप्रवाह” के रूप में परिभाषित किया गया है। इस प्रकार, शहरी क्षेत्रों में बाढ़ तीव्र और/या दीर्घकालीन वर्षा के कारण होती है, जो जल निकासी व्यवस्था की क्षमता को जलप्लावित कर देती है।
- शहरी बाढ़ ग्रामीण बाढ़ से प्रभावित जनसंख्या के परिमाण और आकार दोनों के संदर्भ में भिन्न होती है, ऐसा इसलिए है क्योंकि:-
- नगरीकरण से बाढ़ का खतरा 3 गुना तक बढ़ जाता है, अधिकतम प्रवाह में वृद्धि से बाढ़ अत्यन्त शीघ्रता से आते हैं।
- शहरी क्षेत्रों में उच्च जनसंख्या घनत्व के कारण यह बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करता है।
शहरी बाढ़ को प्रेरित करने वाले प्राकृतिक कारक
- मौसम संबंधी कारक: भारी वर्षा, चक्रवाती तूफान और तड़ित झंझावातों के कारण आचित शहरी क्षेत्रों से जल तीव्र गति से प्रवाहित होता है एवं निचले इलाकों में अवरुद्ध हो जाता है।
- जलीय कारक: तटवर्ती प्रवाह प्रणालियों का संजाल, तटीय शहरों में जल निकासी में बाधा उत्पन्न करने वाले उच्च ज्वार की घटनाएं शहरी बाढ़ के लिए उत्तरदायी प्रमुख जलीय कारक हैं।
- जलवायु परिवर्तन द्वारा संचालित वर्षा प्रतिरूप में परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के लिए अंतर्राष्ट्रीय पैनल का सुझाव है कि भविष्य में वर्षा की प्रचंडता, अवधि और आवृत्ति में वृद्धि होने वाली है।
- आकस्मिक बाढ़: प्रायः चक्रवातीय संचलन की घटनाओं के कारण और जलवायु परिवर्तन के कारण बादल प्रस्फोट की घटनाएं बढ़ रही हैं। जर्मनी में हाल ही में आई आकस्मिक बाढ़ इसका एक उदाहरण है।
शहरी बाढ़ के लिए उत्तरदायी मानव जनित कारक
- अनियोजित शहरीकरण: इसके परिणामस्वरूप उपलब्ध संसाधनों का अत्यधिक और अनियोजित उपयोग होता है, जिससे शहर के बुनियादी ढांचे पर दबाव पड़ता है, जिसमें जल निकासी व्यवस्था, न्यूनीकृत अवस्रवण और बिल्डरों और ठेकेदारों द्वारा अतिक्रमण शामिल है।
- अपर्याप्त अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली: घरेलू, वाणिज्यिक और औद्योगिक अपशिष्ट और निर्माण मलबे को उचित संग्रहणऔर उपचारण के बिना नालियों में सन्निक्षेपण करना, जल निकासी प्रणाली की क्षमता को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
- अनुपयुक्त अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली, अवसादन के कारण तूफान-जल नालियों का अवरुद्ध होना, गैर-जैव निम्नीकरणीय अपशिष्टों और निर्माण मलबे का संचयन प्रमुख चिंताएँ हैं।
- जलमार्गों और आर्द्रभूमियों का अविवेकपूर्ण अतिक्रमण: नदियों और जलमार्गों के किनारे कस्बों और शहरों में बढ़ती बस्तियों के कारण उनका अतिक्रमण हो गया है, जिससे उच्च वृष्टि परिदृश्यों के दौरान शहरी बाढ़ आ गई।
- अनधिकृत कॉलोनियां व अतिरेक निर्माण कार्य : परिणामस्वरूप अंत:स्यंदन कम हो जाती है और भूमि अंतः शोषण कम हो जाता है और सतही प्रवाह की गति और मात्रा में वृद्धि हो जाती है, जिससे शहरी बाढ़ आती है।
- नगरीय जल निकासी बुनियादी ढांचे के साथ समस्या: क्षमता और प्रबंधन दोनों स्तरों पर नगरीय जल निकासी व्यवस्था के साथ एक समस्या है।
- शहरों में पर्याप्त जल निकासी के बुनियादी ढांचे का अभाव है, जिससे उच्च प्रचंडता वाली वर्षा के दौरान शहरी बाढ़ आ जाती है।
- विद्यमान जल निकासी बुनियादी ढांचे के अनुरक्षण का अभाव: उदाहरण के लिए, मानसून के मौसम से पहले तूफान-जल की नालियों का वि-अवरोधन करने से जल निकासी व्यवस्था अपक्रियात्मक हो जाती है, जिससे शहरी बाढ़ आती है।
- पूर्व–आपदा योजना की उपेक्षा: भारत में, शहरी बाढ़ का प्रत्युत्तर देने के लिए पूर्व-योजना के बजाय मुख्य रूप से आपदा उपरांत राहत प्रयासों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
- सामुदायिक भागीदारी का अभाव: भारतीय शहरों में नियोजन से लेकर आरोपण के चरणों तक लोगों की भागीदारी का अभाव है। यह मुख्य रूप से सरकारी अधिकारियों, नगर निकायों के सदस्यों की उदासीनता और शहर के लोगों में जागरूकता के अभाव के कारण है।
- निस्यन्दन को कम करना: भारतीय शहर न केवल बढ़ते हुए निर्माण के कारण बल्कि उपयोग की जाने वाली सामग्रियों की प्रकृति के कारण भी जल के लिए अप्रवेश्य होते जा रहे हैं।
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सुझावात्मक उपाय: शहरी बाढ़ का शमन
- वर्षा का बेहतर पूर्वानुमान: संबंधित संगठन द्वारा। इसके बाद संबंधित अधिकारियों और सामान्य रूप से लोगों को बाढ़ की चेतावनी का सद्य अनुक्रिया प्रसार किया जाना चाहिए।
- प्रभावी आपदा पूर्व नियोजन: शहर के निवासियों सहित सभी हितधारकों को शामिल करके स्थानीय स्तर पर प्रत्येक शहर के लिए।
- संबंधित अधिकारियों को शहरों में बाढ़ संभावित क्षेत्रों को विशिष्ट रूप से दर्शाना चाहिए और उस क्षेत्र में किसी भी आपातकालीन बुनियादी ढांचे के निर्माण का परिवर्जन करना चाहिए। उस क्षेत्र के लोगों को भी ऐसी स्थितियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सूचित और प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
- प्रत्येक शहर की अपनी बाढ़ शमन योजनाएं शहर के महायोजना के भीतर सशक्त रूप से अंतर्निहित होनी चाहिए।
- जल निकास अवसंरचना: पर्याप्त जल निकास अवसंरचना निर्मित की जानी चाहिए और मौजूदा अवसंरचना को अच्छी तरह से अनुरक्षित रखा जाना चाहिए।
- इस संबंध में स्थानीय निकायों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है।
- चीन के शहरों के अनुरूप ‘स्पंज‘ शहरों का विकास करें: इसमें सतही जल की बेहतर घुसपैठ सुनिश्चित करने के लिए कंक्रीट के फर्शों को सरंध्री फुटपाथों से प्रतिस्थापित करने की परिकल्पना की गई है। इसका उद्देश्य वर्षा जल के बेहतर अंतः शोषण के लिए आर्द्रभूमि को बहाल करना, वर्षा उद्यान और छत उद्यान विकसित करना है।
- शहरी बाढ़ प्रबंधन पर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन (एनडीएमए) दिशानिर्देशों का प्रभावी कार्यान्वयन।
- उन्नत अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली: प्रत्येक शहर में पर्याप्त संग्रहण और उपचारण के बुनियादी ढांचे को सुनिश्चित करके। इससे जल निकास प्रणाली के अवरुद्ध होने की समस्या का समाधान हो जाएगा।