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संपादकीय विश्लेषण- वेक-अप कॉल

भूस्खलन- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 1: विश्व के भौतिक भूगोल की प्रमुख विशेषताएं- भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी क्रियाएं, चक्रवात  इत्यादि सदृश महत्वपूर्ण भू भौतिकीय घटनाएं।

समाचारों में मणिपुर में भूस्खलन

  • हाल ही में मणिपुर में एक रेलवे निर्माण स्थल पर हुए भूस्खलन में 40 से अधिक लोगों की मौत हो गई है।
  • उत्तर-पूर्वी भारतीय राज्य मणिपुर में बचाव दल बड़े पैमाने पर भूस्खलन के बाद 20 लापता लोगों की तलाश कर रहे हैं।

 

मणिपुर में भूस्खलन

  • भूस्खलन का कारण: इजाई नदी को अवरुद्ध करने वाले भूस्खलन के मलबे से दुखद आपदा बढ़ गई है, जिससे जल का एक व्यापक जमाव हो गया है जो “बांध” जैसी संरचना के टूटने पर निचले इलाकों में जलमग्न हो सकता है।
    • जहां प्रशासन ने संग्रहित जल से  जल के बहिर्वाह को कम करने का प्रयत्न किया है, वहीं खराब मौसम ने प्रयासों की गति को बाधित कर दिया है।
  • उठाए जाने वाले कदम: सरकार एवं आपदा प्रबंधन अधिकारियों को अब यह सुनिश्चित करने हेतु सावधानी बरतनी चाहिए कि आपदा के परिणाम आगे भी तेजी से वृद्धि ना करें।
  • बारंबारता: मणिपुर में ऐसी घटनाओं की संख्या बहुत अधिक है।
    • यद्यपि, सरकारी आंकड़ों के अनुसार, उत्तरी भारत के हिमालयी राज्यों  एवं केरल जैसे पहाड़ी/घाट इलाकों वाले अन्य राज्यों ने विगत एक दशक में भारी भूस्खलन दर्ज किया है।
  • चिंताएं: पर्यावरण मंत्रालय ने स्वयं स्वीकार किया है कि आपदाएं “मानव जनित” रूप से प्रेरित थीं जो राज्य के लिए गंभीर चिंता का विषय हैं। मंत्रालय ने निम्नलिखित के परिणाम स्वरुप मणिपुर में भूस्खलन के कारणों की पहचान की-
    • निर्माण के लिए ढलानों का रूपांतरण,
    • सड़क का चौड़ीकरण,
    • निर्माण सामग्री के लिए उत्खनन,
    • नाजुक लिथोग्राफी,
    • जटिल भूवैज्ञानिक संरचनाएं एवं
    • भारी वर्षा

 

भूस्खलन:

  • भूस्खलन के बारे में: भूस्खलन तब घटित होता है जब चट्टान, पृथ्वी या मलबे का ढेर ढलान से नीचे चला जाता है। मलबे का प्रवाह, जिसे मडस्लाइड के रूप में भी जाना जाता है, एक सामान्य प्रकार का तेज़ गति वाला भूस्खलन है जो नालों (चैनलों) में प्रवाहित होता है।
  • कारण: भूस्खलन एक ढलान की प्राकृतिक स्थिरता में विक्षोभ के कारण घटित होता है।
    • वे भारी वर्षा के साथ हो सकते हैं या सूखे, भूकंप या ज्वालामुखी विस्फोट के पश्चात घटित हो सकते हैं।
    • मडस्लाइड तब विकसित होते हैं जब पानी तेजी से भूमि पर जमा हो जाता है एवं इसके परिणामस्वरूप जल-संतृप्त चट्टान, पृथ्वी तथा मलबे का उछाल आता है।
    • मडस्लाइड आमतौर पर खड़ी ढलानों पर प्रारंभ होते हैं एवं प्राकृतिक आपदाओं से सक्रिय हो सकते हैं।
    • वे क्षेत्र जहां जंगल की आग या भूमि के मानव द्वारा रूपांतरण ने ढलानों पर वनस्पति को नष्ट कर दिया है, विशेष रूप से भारी बारिश के दौरान एवं बाद में भूस्खलन की चपेट में हैं।
  • भूस्खलन संभावित क्षेत्र: कुछ क्षेत्रों में भूस्खलन या कीचड़ के प्रवाह की संभावना अधिक होती है, जिनमें सम्मिलित हैं:
    • वे क्षेत्र जहां जंगल की आग या भूमि के मानव संशोधन ने वनस्पति को नष्ट कर दिया है;
    • जिन क्षेत्रों में पूर्व समय में भूस्खलन हुआ है;
    • खड़ी ढलानें तथा ढलानों या घाटियों के तल पर क्षेत्र;
    • ढलान, जो भवनों एवं सड़कों के निर्माण के लिए परिवर्तित कर दिए गए हैं;
    • एक धारा या नदी के किनारे वाहिकाएं; तथा
    • वे क्षेत्र जहाँ सतही अपवाह निर्देशित है।

आगे की राह

  • कार्योत्तर अभ्यास के रूप में, राज्य सरकार को यह देखना चाहिए कि तुपुल क्षेत्र में रेलवे निर्माण कार्य के लिए स्थल का चयन करने से पूर्व पर्याप्त  रूप से मृदा एवं स्थिरता परीक्षण किए गए थे अथवा नहीं।
    • शोधकर्ताओं ने इस तथ्य की पुष्टि की है कि पश्चिमी मणिपुर में राष्ट्रीय राजमार्गों को जोड़ने वाले क्षेत्र बहुत अधिक, उच्च अथवा मध्यम खतरे वाले क्षेत्रों के अंतर्गत आते हैं।
  • सरकार द्वारा राष्ट्रीय भूस्खलन संवेदनशीलता मानचित्रण परियोजना के माध्यम से राज्य में अति संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान करने के बावजूद तुपुल क्षेत्र में गंभीर भूस्खलन घटित हुआ।
    • वर्षा की अनिश्चित प्रकृति, इस वर्ष मानसून के पूर्वानुमान की तुलना में अधिक तीव्र होने के कारण समस्या और व्यापक हो गई है।
  • भूस्खलन के लिए एक आरंभिक चेतावनी प्रणाली (अर्ली वार्निंग सिस्टम) अभी भी भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण द्वारा विकसित  तथा परिष्कृत की जा रही है एवं इससे ऐसी आपदाओं की तीव्रता को कम करने में  सहायता प्राप्त हो सकती है, जिन्हें एक बार संवेदनशील राज्यों में परिनियोजित किया गया था।

 

निष्कर्ष

  • यद्यपि यह बोधगम्य (समझ में आने योग्य) है कि पूर्वोत्तर के राज्य अपेक्षाकृत आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्र के उत्थान के लिए संपर्क (कनेक्टिविटी) परियोजनाओं में तेजी लाने के इच्छुक हैं, तुपुल में भूस्खलन जैसी आपदाएं वनोन्मूलन से संबंधित पारिस्थितिक चुनौतियों को गंभीरता से नहीं लेने के खतरों की ओर संकेत करती हैं।

 

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