Categories: हिंदी

परमाणु संलयन एवं स्वच्छ ऊर्जा का भविष्य

परमाणु संलयन और स्वच्छ ऊर्जा का भविष्य की यूपीएससी के लिए प्रासंगिकता

परमाणु संलयन एवं स्वच्छ ऊर्जा का भविष्य: जलवायु परिवर्तन आज की विश्व की सबसे बड़ी समस्या है एवं परमाणु संलयन ऊर्जा की दिशा में प्रत्येक सफल कदम का अत्यधिक महत्व है। अतः, कैलिफोर्निया में लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लेबोरेटरी (एलएलएनएल) में अमेरिकी वैज्ञानिकों की सफलता एक प्रमुख मील का पत्थर है एवं एक महत्वपूर्ण प्रगति है जिसके बारे में प्रत्येक यूपीएससी उम्मीदवार को पता होना चाहिए। ‘परमाणु संलयन एवं स्वच्छ ऊर्जा का भविष्य’ शीर्षक जीएस 3 के निम्नलिखित टॉपिक अंतर्गत है: पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण, जलवायु परिवर्तन, अंतर्राष्ट्रीय संधियां एवं समझौते।

परमाणु संलयनचर्चा में क्यों है?

  • परमाणु संलयन को पुनर्निर्मित करने की दौड़ में अमेरिकी वैज्ञानिकों द्वारा एक बड़ी सफलता की घोषणा की गई है।
  • प्रयोग कैलिफोर्निया में लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लेबोरेटरी (एलएलएनएल) में राष्ट्रीय प्रज्वलन संस्थान में हुआ।
  • इस प्रयोग में उन्होंने जितनी ऊर्जा उत्पन्न की है वह अत्यल्प है – बस कुछ केतलियों को उबालने के लिए पर्याप्त है। किंतु यह जो प्रदर्शित करता है वह बहुत बड़ा है।

एलएलएनएल में लक्ष्य कक्ष का आंतरिक भाग, जहां परमाणु संलयन होता है [/ कैप्शन]

 

प्रयोग कैसे होता है?

  • वैज्ञानिकों ने काली मिर्च के दाने के आकार के एक कैप्सूल में थोड़ी मात्रा में हाइड्रोजन डाला।
  • तत्पश्चात एक शक्तिशाली 192- पुंज लेजर का उपयोग हाइड्रोजन ईंधन को गर्म करने एवं संपीड़ित करने के लिए किया जाता है।
  • लेजर इतना प्रबल है कि यह कैप्सूल को 100 मिलियन डिग्री सेल्सियस तक गर्म कर सकता है – सूर्य के केंद्र की तुलना में गर्म एवं इसे पृथ्वी के वायुमंडल के 100 अरब गुना से अधिक तक संकुचित कर सकता है।
  • इन बलों के तहत कैप्सूल स्वयं में अंतःस्फोट शुरू कर देता है, हाइड्रोजन परमाणुओं को फ्यूज करने एवं  ऊर्जा मुक्त करने हेतु बाध्य करता है।

 

परमाणु संलयन क्या है?

  • नाभिकीय संलयन वह प्रक्रिया है जो सूर्य को उसकी ऊर्जा प्रदान करती है।
  • 50 से अधिक देशों के वैज्ञानिक 1960 के दशक से इसे पृथ्वी पर पुननिर्मित करने का प्रयत्न कर रहे हैं।
  • उन्हें उम्मीद है कि यह अंततः विश्व के लिए बड़ी मात्रा में स्वच्छ ऊर्जा प्रदान कर सकता है।
  • परमाणु संलयन में, परमाणु कहे जाने वाले छोटे कणों के युग्मों को गर्म किया जाता है तथा एक साथ एक को भारी परमाणु बनने हेतु बाध्य किया जाता है।
  • यह परमाणु विखंडन के विपरीत है, जिसमें भारी परमाणु अलग हो जाते हैं। परमाणु ऊर्जा स्टेशन वर्तमान में विद्युत उत्पन्न करने के लिए परमाणु विखंडन का उपयोग करते हैं।

 

परमाणु संलयन को ऊर्जा उत्पादन कापवित्र मृगतृष्णाक्यों कहा जाता है?

  • परमाणु विखंडन से अत्यधिक मात्रा में रेडियोधर्मी अपशिष्ट का उत्पादन करता है, जो खतरनाक हो सकता है एवं इसे सुरक्षित रूप से संग्रहित किया जाना चाहिए ।
  • परमाणु संलयन द्वारा उत्पन्न अपशिष्ट कम रेडियो सक्रिय होता है एवं बहुत अधिक तेज़ी से क्षय होता है।
  • परमाणु संलयन के लिए तेल या गैस जैसे जीवाश्म ईंधन की आवश्यकता नहीं होती है। यह हरित गृह (ग्रीन हाउस) गैसों को भी उत्पन्न नहीं करता है, जो सूर्य की गर्मी को प्रग्रहित करती हैं एवं जलवायु परिवर्तन के  हेतु उत्तरदायी हैं।
  • अधिकांश संलयन प्रयोग हाइड्रोजन का उपयोग करते हैं, जिसे समुद्री जल एवं लिथियम से कम लागत में निष्कर्षित जा सकता है, जिसका अर्थ है कि ईंधन की आपूर्ति लाखों वर्षों तक जारी रह सकती है।
  • इसे ऊर्जा उत्पादन की “पवित्र मृगतृष्णा” के रूप में वर्णित किया गया है।

 

परमाणु संलयन किस प्रकार कार्य करता है?

  • जब हाइड्रोजन जैसे हल्के तत्व के दो परमाणुओं को गर्म किया जाता है एवं एक ही भारी तत्व जैसे हीलियम निर्मित करने हेतु संघटित किया जाता है, तो रासायनिक प्रतिक्रिया भारी मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न करती है जिसे कैप्चर किया जा सकता है।
  • किंतु दो समरूप तत्वों को मिलाना वास्तव में बहुत कठिन है। क्योंकि उनके पास समान आवेश होता है – जैसे दो बैटरियों के धनात्मक सिरे – वे स्वाभाविक रूप से एक दूसरे को पीछे विकर्षित करते हैं।
  • इस प्रतिरोध को दूर करने के लिए बहुत अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
  • सूर्य में, यह लगभग दस मिलियन डिग्री सेल्सियस के अत्यधिक उच्च तापमान एवं पृथ्वी के वायुमंडल के 100 अरब गुना से अधिक महत्वपूर्ण दबाव के कारण होता है।
  • पृथ्वी पर, वैज्ञानिकों ने इन स्थितियों को पुनर्निर्मित करने का प्रयास करने के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया है।
  • किंतु लंबे समय तक आवश्यक उच्च तापमान एवं दबाव को बनाए रखना अत्यंत कठिन सिद्ध हुआ है।
  • अमेरिका की राष्ट्रीय प्रज्वलन केंद्र (नेशनल इग्निशन फैसिलिटी/एनआईएफ) ने घोषणा की है कि उसने 192-बीम लेजर का सफलतापूर्वक उपयोग करके हाइड्रोजन की एक छोटी मात्रा को लगभग 15 – 20 केतली को ऊर्जा प्रदान करने के लिए पर्याप्त ऊर्जा में बदल दिया है।
  • इसका तात्पर्य यह है कि – पहली बार – वैज्ञानिक प्रयोग में लेसरों की तुलना में अधिक शक्ति उत्पन्न करने में सक्षम थे।

क्या हमें+ वैश्विक तापन से लड़ने के लिए परमाणु संलयन को एकमात्र हथियार मानना ​​चाहिए?

  • परमाणु संलयन तेल या गैस जैसे जीवाश्म ईंधन पर निर्भर नहीं करता है एवं वैश्विक तापन (ग्लोबल वार्मिंग) को प्रेरित करने वाले ग्रीनहाउस गैसों में से कोई भी उत्पादन नहीं करता है।
  • सौर या पवन ऊर्जा के विपरीत यह मौसम की  लाभकारी स्थिति पर निर्भर नहीं है।
  • यह पृथ्वी पर पाए जाने वाले दो अपेक्षाकृत प्रचुर पदार्थों: लिथियम एवं हाइड्रोजन का उपयोग करता है।
  • परमाणु संलयन के व्यापक पैमाने पर उपयोग से देशों को 2050 तक “निवल शून्य” उत्सर्जन का उत्पादन करने के अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता मिल सकती है।
  • यद्यपि, हाल की प्रयोगात्मक सफलताओं को सार्थक रूप से बढ़ाने में अभी कई वर्ष लगेंगे।

 

इंडो-ग्रीक कॉन्फ्रेंस 2022 भारत की G20 अध्यक्षता के तहत G20  वित्त एवं केंद्रीय बैंकों के प्रतिनिधियों (फाइनेंस एंड सेंट्रल बैंक डेप्युटीज/FCBD) की प्रथम बैठक प्रारंभ यूपीएससी परीक्षा के लिए दैनिक समसामयिकी 14 दिसंबर 2022 |प्रीलिम्स बिट्स श्री अरबिंदो की 150वीं जयंती: यूपीएससी के लिए सबकुछ जानें
तवांग में भारत-चीन आमने-सामने: यूपीएससी के लिए सब कुछ जानें राष्ट्रीय नवीनीकरण की राजनीति- हिंदू संपादकीय विश्लेषण दैनिक समसामयिकी यूपीएससी प्रीलिम्स बिट्स – 13 दिसंबर 2022 न्यू इंडिया लिटरेसी प्रोग्राम (NILP) उद्देश्य, चुनौतियाँ एवं सरकार द्वारा उठाए गए कदम
पुरुषों में रक्ताल्पता- क्या लौह की कमी के कारण 10 में से 3 ग्रामीण पुरुषों में रक्ताल्पता पाई जाती है? क्या है केन-बेतवा नदी लिंक परियोजना? सरकार सहकारी समिति अधिनियम में संशोधन क्यों कर रही है? बिम्सटेक कैसे एक नई दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय व्यवस्था का निर्माण कर सकता है?: हिंदू संपादकीय विश्लेषण
manish

Recent Posts

India Mountain Passes: State Wise, Facts and Highest Pass

India Mountain Passes as a crucial route through mountainous terrain, acting as a gateway to…

8 hours ago

Himalayas Longitudinal Division- Insight, Facts, Explanation

The Himalayas Longitudinal Division encompasses three main divisions: the Kashmir/Punjab/Himachal Himalayas, the Kumaun Himalayas, and…

9 hours ago

India’s Varied Rock Systems: Archaean, Purana, Dravidian, and Aryan Explained

The subcontinent's geological past can be derived from the dynamic and complex process of classifying…

10 hours ago

National Council for Transgender Persons- Function, Composition

Established under the Transgender Persons Protection of Rights Act 2019 by the Ministry of Social…

13 hours ago

What is Article 370 of the Indian Constitution?, History

Last year on December 11, the Supreme Court ruled on the 2019 amendment to Article…

14 hours ago

Chhattisgarh Judiciary Previous Year Question Papers PDF

Accessing previous year question papers from the Chhattisgarh Judiciary provides invaluable insights and preparation opportunities…

14 hours ago