मैरीटाइम एंटी पाइरेसी बिल 2022 की यूपीएससी के लिए प्रासंगिकता
समुद्री जलदस्युता रोधी विधेयक 2022: समुद्री मार्गों से 90 प्रतिशत से अधिक व्यापार हो रहा है, अतः एक मजबूत समुद्री जलदस्युता रोधी विधेयक समय की आवश्यकता थी। हमारा टॉपिक ”समुद्री जलदस्युता रोधी विधेयक 2022” जीएस 2: सरकारी नीतियां एवं अंतः क्षेप एवं जीएस 3: सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियां तथा उनका प्रबंधन शामिल है।
समुद्री जलदस्युता रोधी विधेयक 2022 चर्चा में क्यों है?
संसद ने समुद्री जलदस्युता रोधी विधेयक 2022 को राज्यसभा की विकृति के साथ पारित कर दिया है। विधेयक लोकसभा से पहले ही पारित हो चुका है।
जलदस्युता (पायरेसी) क्या है?
- जलदस्युता को महासागरों पर एक निजी जलयान या निजी विमान के चालक दल या यात्रियों द्वारा हिंसा या निरोध के रूप में परिभाषित किया गया है, जो किसी अन्य जहाज अथवा विमान एवं/या लोगों या संपत्ति के विरुद्ध निर्देशित है।
- 2008 एवं 2011 के बीच समुद्री जलदस्युता की 27 घटनाएं हुईं जिनमें 288 भारतीय नागरिक शामिल थे। जबकि 2014 से 2022 में जलदस्युता की 19 घटनाएं हुईं जिसमें 155 भारतीय चालक दल के सदस्य (क्रू मेंबर्स) शामिल थे।
- 2014-19 से, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के कारण समुद्री जलदस्युता की घटनाओं में कमी आई है।
समुद्री जलदस्युता रोधी विधेयक 2022 की क्या आवश्यकता है?
- पूर्व में, भारतीय दंड संहिता, 1860 (इंडियन पीनल कोड/आईपीसी) के तहत समुद्री लुटेरों पर अभियोग चलाया जाता था, किंतु वर्तमान संदर्भ में अंतर्राष्ट्रीय समुद्र में विदेशियों के लिए आईपीसी मान्य नहीं है।
- भारत की संप्रभुता को उसके क्षेत्रीय समुद्र (तट से 12 समुद्री मील) की बाहरी सीमा द्वारा सीमांकित किया गया है।
- भारत के क्षेत्रीय समुद्र के बाहर एक विदेशी द्वारा किए गए समुद्री डकैती के कृत्य भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध नहीं हो सकते हैं एवं समुद्री डकैती के मामलों में अभियुक्तों को क्षेत्राधिकार के अभाव के कारण बरी कर दिया गया है।
- समुद्री जलदस्युता की घटनाएं: बड़ी संख्या में समुद्री डकैती की घटनाओं के कारण अदन की खाड़ी महासागरों में सर्वाधिक घातक क्षेत्रों में से एक रही है। अदन की खाड़ी में बढ़ी हुई नौसैनिक उपस्थिति के कारण, यह देखा गया है कि समुद्री डकैती के अभियान पूर्व एवं दक्षिण की ओर स्थानांतरित हो रहे हैं, जिससे भारत के पश्चिमी तट से उनकी निकटता बढ़ जाती है। उदा. कच्चे तेल के वाहक जलपोत पर सवार 18 भारतीयों को पिछले साल (2021) नाइजीरिया के तट से अगवा कर लिया गया था।
विधेयक का उद्देश्य क्या है?
- विश्व को और अधिक समुद्री जलदस्युता मुक्त बनाने के लिए अन्य देशों के साथ एक भागीदार के रूप में भारत की साख को मजबूत करना।
- समुद्री जलदस्युता से निपटने के लिए एक प्रभावी विधिक साधन प्रदान करना, न केवल विशेष आर्थिक क्षेत्र में भारत के क्षेत्रीय समुद्र में बल्कि महासागरों में भी।
- भारत की वैश्विक साख में वृद्धि करना तथा समुद्री सुरक्षा को मजबूत करना।
समुद्री जलदस्युता रोधी विधेयक 2022 के बारे में जानिए
- समुद्री जलदस्युता रोधी विधेयक 2022 भारतीय अधिकारियों को गहरे समुद्र में समुद्री जलदस्युता के विरुद्ध कार्रवाई करने में सक्षम बनाता है।
- यह विशेष आर्थिक क्षेत्र से परे समुद्र पर लागू होता है, जो भारत के समुद्र तट से 200 समुद्री मील से परे है।
- विधेयक समुद्री जलदस्युता को एक निजी जलयान अथवा विमान के चालक दल या यात्रियों द्वारा निजी उद्देश्यों के लिए किसी जलयान, विमान, व्यक्ति के विरुद्ध हिंसा, हिरासत या विनाश के किसी भी अवैध कार्य के रूप में परिभाषित करता है।
समुद्री जलदस्युता रोधी विधेयक 2022 के संभावित लाभ
- 90 प्रतिशत से अधिक व्यापार समुद्री मार्गों से होता है। अतः समुद्री जलदस्युता रोधी विधेयक समय की आवश्यकता थी क्योंकि विधेयक गहरे समुद्र पर कार्रवाई करने का अधिकार प्रदान करेगा।
- यह विधेयक विश्व को और अधिक समुद्री जलदस्युता मुक्त बनाने के लिए अन्य देशों के साथ एक भागीदार के रूप में भारत की साख को मजबूत करेगा।
- यह विधेयक समुद्री डकैती से निपटने के लिए, न केवल विशेष आर्थिक क्षेत्र में भारत के क्षेत्रीय समुद्र में बल्कि महासागरों में भी एक प्रभावी कानूनी साधन प्रदान करेगा।
- एक मजबूत समुद्री-रोधी विधेयक लाकर, भारत ने बहुपक्षीय मंच पर समुद्री सुरक्षा के मुद्दे पर नेतृत्व किया है। इससे भारत की वैश्विक साख में वृद्धि होगी तथा समुद्री सुरक्षा मजबूत होगी।