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कैबिनेट ने ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर फेज-2 को स्वीकृति प्रदान की

हरित ऊर्जा गलियारा (जीईसी): प्रासंगिकता

  • जीएस 3: आधारिक अवसंरचना: ऊर्जा, बंदरगाह, सड़कें, हवाई अड्डे, रेलवे इत्यादि।

 

हरित ऊर्जा गलियारा (जीईसी): संदर्भ

  • हाल ही में, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने इंट्रा-स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम (इनएसटीएस) के लिए ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर (जीईसी) चरण- II पर योजना को स्वीकृति प्रदान की है।

हरित ऊर्जा गलियारा (जीईसी): प्रमुख बिंदु

  • यह योजना सात राज्यों गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, राजस्थान, तमिलनाडु एवं उत्तर प्रदेश में लगभग 20 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा (रिन्यूएबल एनर्जी) ऊर्जा परियोजनाओं के ग्रिड एकीकरण एवं विद्युत रिक्तीकरण की सुविधा प्रदान करेगी।
  • इस योजना को लगभग 12,000 करोड़ रुपये की कुल अनुमानित लागत एवं परियोजना लागत के 33 प्रतिशत की दर से केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) के साथ स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है।
  • पारेषण प्रणाली वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक पांच वर्ष की अवधि में निर्मित की जाएगी।
  • केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) अंतरराज्यीय पारेषण (इंट्रा-स्टेट ट्रांसमिशन) शुल्क के प्रति संतुलन में सहायता करेगी एवं इस प्रकार ऊर्जा (विद्युत) की लागत को कम रखेगी।
  • यह योजना 2030 तक 450 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के स्थापित लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता करेगी।
  • यह योजना देश की दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा में भी योगदान देगी और कार्बन फुटप्रिंट को कम करके पारिस्थितिक रूप से सतत विकास को बढ़ावा देगी। यह विद्युत एवं अन्य संबंधित क्षेत्रों में कुशल तथा अकुशल कर्मियों दोनों के लिए प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार के व्यापक अवसर सृजित करेगा।
  • यह योजना जीईसी-चरण- I के अतिरिक्त है जो पहले से ही आंध्र प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान एवं तमिलनाडु राज्यों में 24 गीगावॉट के नवीकरणीय ऊर्जा के ग्रिड एकीकरण एवं  विद्युत रिक्तीकरण के लिए कार्यान्वयन के अधीन है एवं इसके 2022 तक पूरा होने की संभावना है।

 

हरित ऊर्जा गलियारा/ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर क्या हैं?

  • ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर परियोजना का उद्देश्य ग्रिड में पारंपरिक ऊर्जा केंद्रों के साथ नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों, जैसे सौर एवं पवन ऊर्जा से उत्पादित विद्युत को समक्रमिक बना देना (सिंक्रनाइज़ करना) है।

 

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