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यूपीएससी के लिए दैनिक समसामयिकी- 08 दिसंबर 2022 | प्रीलिम्स बिट्स

जियो-लद्दाख‘- केंद्र शासित प्रदेश-लद्दाख के लिए स्थानिक डेटा अवसंरचना जियोपोर्टल

 

जियो-लद्दाख के लिए स्थानिक डेटा अवसंरचना जियोपोर्टल चर्चा में क्यों है?

  • केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि केंद्र शासित प्रदेश-लद्दाख सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश-लद्दाख के लिए “स्थानिक डेटा अवसंरचना जियोपोर्टल ‘जियो-लद्दाख’ विकसित करने के लिए भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (इंडियन इंस्टीट्यूट आफ रिमोट सेंसिंग/आईआईआरएस) से संपर्क किया है।”
    • भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (IIRS) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की एक इकाई है।
  • वर्तमान में, इसरो अंतरिक्ष यान एवं अंतरिक्ष वस्तुओं पर नज़र रखने के लिए हानले में एक ऑप्टिकल टेलीस्कोप स्थापित कर रहा है।

 

भू-लद्दाख क्या है?

  • भू-लद्दाख परियोजना में सुदूर संवेदन, भू-स्थानिक तकनीकों एवं इस डेटाबेस को होस्ट करने के लिए एक भू-पोर्टल के विकास का उपयोग करके स्थानिक डेटाबेस निर्माण (जल संसाधन, वनस्पति एवं ऊर्जा क्षमता) शामिल हैं।
  • भू-लद्दाख परियोजना का उद्देश्य केंद्र शासित प्रदेश-लद्दाख के अधिकारियों को भू-स्थानिक तकनीकों एवं अनुप्रयोगों पर प्रशिक्षण देना भी है।
  • भू-लद्दाख पोर्टल केंद्र शासित प्रदेश-लद्दाख के लिए भू-स्थानिक डेटा प्रत्यक्षीकरण (विज़ुअलाइज़ेशन) एवं  विश्लेषण प्रदान करता है, जिसमें स्थानिक प्रेक्षक, कार्बन तटस्थता, भू-स्थानिक उपादेयता मानचित्रण तथा भू-पर्यटन शामिल हैं।
  • उपरोक्त कार्य को संपादित करने के लिए 1 जनवरी, 2022 को भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (IIRS) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एवं केंद्र शासित प्रदेश-लद्दाख प्रशासन के मध्य एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए गए।
  • निम्नलिखित पर स्थानिक डेटाबेस निर्मित करने के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की क्षमता का उपयोग किया जा सकता है-
    • समय श्रृंखला हिम आवरण,
    • स्वच्छ जल की उपलब्धता,
    • नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता (सौर एवं पवन) के लिए स्थल,
    • प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के लिए अल्पाइन चरागाहों की उपलब्धता एवं
    • आवधिक अंतराल पर परिवर्तन मूल्यांकन।

 

नाविक प्रणाली- भारत में उपयोग में वृद्धि

नाविक प्रणाली चर्चा में क्यों है?

  • हाल ही में, केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में बताया कि भारत में भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (NaviC प्रणाली) के उपयोग में वृद्धि हुई है।

NaviC प्रणाली के उपयोग में वृद्धि क्यों हो रही है?

  • NavIC ने सार्वजनिक यातायात सुरक्षा, पावर ग्रिड तुल्यकालन (सिंक्रोनाइजेशन), वास्तविक समय (रीयल-टाइम) ट्रेन सूचना प्रणाली, मछुआरों की सुरक्षा इत्यादि सदृश राष्ट्रीय परियोजनाओं में उपयोगिता पाई है।
  • अन्य आगामी पहलें जैसे कॉमन अलर्ट प्रोटोकॉल-आधारित आपातकालीन चेतावनी, समय प्रसार, जियोडेटिक नेटवर्क, मानव रहित हवाई वाहन इत्यादि, नाविक प्रणाली को अपनाने की प्रक्रिया में हैं।
  • देश में मोबाइल फोन मॉडल में पहले से ही NavIC अनुकूलता है।
  • अंतरिक्ष विभाग मोबाइल फोन एवं चिपसेट के निर्माताओं को उनके उपकरणों में नाविक (एनएवीआईसी) संगतता जोड़ने के लिए तकनीकी रूप से सहयोग प्रदान करने हेतु लगातार उनके साथ जुड़ा हुआ है।

नाविक प्रणाली क्या है?

  • NavIC, या भारतीय नक्षत्र के साथ नौवहन (नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन), भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा विकसित एक स्वतंत्र स्टैंड-अलोन नौवहन उपग्रह प्रणाली है।
  • NavIC को मूल रूप से 2006 में 174 मिलियन डॉलर की लागत से स्वीकृत किया गया था।
  • इसके 2011 के अंत तक पूरा होने की संभावना थी,  किंतु यह 2018 में क्रियाशील हो पाया।
  • NavIC में आठ उपग्रह शामिल हैं तथा यह भारत के संपूर्ण भूभाग एवं इसकी सीमाओं से 1,500 किमी (930 मील) तक के क्षेत्र को समाहित करता है।

नाविक प्रणाली के उपयोग

  • नाविक प्रणाली स्थापन के लिए संकेत प्रदान करती है।
  • गूगल मैप्स जैसे एप्लिकेशन नाविक या अन्य समान प्रणालियों के माध्यम से प्राप्त स्थापन  का उपयोग कर सकते हैं एवं इसे सरल प्रत्यक्षीकरण (विज़ुअलाइज़ेशन) के लिए मानचित्र या अन्य उपयोगकर्ता इंटरफ़ेस पर प्रदर्शित कर सकते हैं।
  • नाविक प्रणाली द्वारा प्रदान किए जाने वाले संकेत एंड-यूज़र एप्लिकेशन के लिए संशयवादी हैं।
  • अतः, एक मोबाइल फोन जिसमें नाविक अनुकूलता है, स्वचालित रूप से मानचित्र पर स्थिति दिखाते समय नाविक संकेतों का उपयोग करता है।
    • नाविक प्रणाली का प्रदर्शन अन्य पोजिशनिंग सिस्टम के समतुल्य है।

 

निर्यातित उत्पादों पर शुल्क एवं करों की छूट (RoDTEP) योजना

RoDTEP योजना

  • हाल ही में, केंद्र सरकार ने RoDTEP योजना (रिमिशन ऑफ़ ड्यूटीज एंड टैक्सेज ऑन एक्सपोर्टेड प्रोडक्ट्स/निर्यातित उत्पादों पर शुल्कों और करों की छूट) के दायरे का विस्तार किया।

 

आरओडीटीईपी योजना का बढ़ा हुआ दायरा

  • आरओडीटीईपी योजना में मदों के आईटीसी (एचएस) अनुसूची के अध्याय 28, 29, 30 एवं 73 के तहत रासायनिक क्षेत्र, औषधि क्षेत्र से किए गए निर्यात एवं लौह तथा इस्पात की वस्तुओं का निर्यात शामिल है।
  • RoDTEP योजना के तहत मदों की विस्तारित सूची 15 दिसंबर, 2022 से किए गए निर्यात के लिए लागू होगी।
  • आरओडीटीईपी योजना के दायरे का विस्तार वैश्विक बाजारों में हमारे निर्यात एवं प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देने, रोजगार उत्पन्न करने तथा समग्र अर्थव्यवस्था में योगदान करने में एक लंबा मार्ग तय करेगा।
  • परिशिष्ट 4 आर के तहत पात्र निर्यात मदों (वस्तुओं) की विस्तारित सूची वर्तमान 8,731 निर्यात वस्तुओं (8 अंकों की टैरिफ लाइनें) से बढ़कर 10,342 निर्यात वस्तुओं (8 अंकों की टैरिफ लाइनें) हो जाएगी।

RoDTEP योजना क्या है?

  • RoDTEP वैश्विक स्तर पर स्वीकृत सिद्धांत पर आधारित है कि करों एवं प्रशुल्कों का निर्यात नहीं किया जाना चाहिए एवं निर्यात किए गए उत्पादों पर लगने वाले करों एवं प्रशुल्कों को या तो छूट दी जानी चाहिए अथवा निर्यातकों को परिहार प्रदान करना चाहिए।
  • RoDTEP योजना उन निर्यातकों को अंतः स्थापित केंद्रीय, राज्य एवं स्थानीय शुल्कों/करों में छूट/धनवापसी करती है जिन्हें अब तक छूट/वापसी नहीं दी जा रही थी।
  • यह योजना 1 जनवरी 2021 से लागू की जा रही है एवं छूट एक आद्योपान्त आईटी वातावरण में केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर तथा सीमा शुल्क बोर्ड (सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेस एंड कस्टम्स/CBIC) द्वारा एक हस्तांतरणीय इलेक्ट्रॉनिक स्क्रिप के रूप में जारी की जाती है।

 

वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ODOP) पहल का निर्यात हब (DEH) के रूप में जिलेपहल के साथ विलय हो गया

एक जिला एक उत्पाद (वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट/ODOP) पहल चर्चा में क्यों है?

  • हाल ही में, एक जिला एक उत्पाद पहल को डीजीएफटी, वाणिज्य विभाग की ‘डिस्ट्रिक्ट्स एज़ एक्सपोर्ट हब (DEH)’ पहल के साथ एक प्रमुख हितधारक के रूप में उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड/DPIIT) के साथ विलय कर दिया गया था।

एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) पहल

  • केंद्र सरकार ने देश के सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में एक जिला एक उत्पाद (वन डिस्टिक वन प्रोडक्ट/ओडीओपी) की शुरुआत की है, जो एक जिले की वास्तविक क्षमता को साकार करने, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, रोजगार एवं ग्रामीण उद्यमिता सृजित करने की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम के रूप में हमें आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य तक ले जा रहा है।
  • एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) पहल का उद्देश्य देश के सभी जिलों में संतुलित क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देना है, जिससे सभी क्षेत्रों में समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास संभव हो सके।
  • इसका उद्देश्य जिले में निर्यात क्षमता वाले उत्पादों का अभिनिर्धारण करके विनिर्माण एवं निर्यात केंद्र में परिवर्तित करने हेतु एक इकाई के रूप में देश के जिले पर ध्यान केंद्रित करना है।
  • वाणिज्य विभाग एक जिला एक उत्पाद की पहल को प्रोत्साहित करने हेत राज्य एवं केंद्र सरकार की एजेंसियों के साथ कार्य कर रहा है, जो एक सतत प्रक्रिया है।

एक जिला एक उत्पाद (ODOP) पहल की प्रमुख उपलब्धियां

  • एक जिला एक उत्पाद पहल GeM बाज़ार को 29 अगस्त 2022 को सरकारी ई- विपणन स्थल (गवर्नमेंट  ई-मार्केटप्लेस/GeM) पर विमोचित किया गया था, जिसमें देश भर में एक जिला एक उत्पाद पहल के उत्पादों की बिक्री तथा खरीद को बढ़ावा देने के लिए 200 से अधिक उत्पाद श्रेणियां निर्मित की गई थीं।
  • एक जिला एक उत्पाद पहल के उत्पादों को विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मंचों जैसे विश्व आर्थिक मंच, मई 2022 में दावोस, जून 2022 में न्यूयॉर्क, अमेरिका में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (आईवाईडी)  इत्यादि में प्रदर्शित किया गया है।

एक जिला एक उत्पाद पहल की पहचान अप्रैल, 2022 में एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) श्रेणी के माध्यम से समग्र विकास में लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रतिष्ठित प्रधानमंत्री पुरस्कार के लिए की गई है।

 

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