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अनुकूलन अंतराल रिपोर्ट 2021

अनुकूलन अंतराल रिपोर्ट 2021: प्रासंगिकता

  • जीएस 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन।

 

अनुकूलन अंतराल रिपोर्ट 2021: प्रसंग

  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) नेएडेप्टेशन गैप रिपोर्ट 2021: द गैदरिंग स्टॉर्मशीर्षक से एक नई रिपोर्ट जारी की है, जहां इसने जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों के अनुकूल होने के लिए डिज़ाइन किए गए कार्यों के वित्तपोषण एवं क्रियान्वयन में वृद्धि करने हेतु त्वरित प्रयास करने का आह्वान किया है

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अनुकूलन अंतराल रिपोर्ट 2021: मुख्य बिंदु

  • रिपोर्ट में पाया गया है कि जहां जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन हेतु नीतियों एवं योजनाओं में वृद्धि हो रही है, वहीं वित्तपोषण एवं क्रियान्वयन अभी भी अत्यधिक पीछे हैं जहां उन्हें होना चाहिए।
  • जैसा कि विश्व हरित गृह गैस उत्सर्जन में कटौती के प्रयासों को आगे बढ़ाना चाहती है – ऐसे प्रयास जो अभी भी कहीं भी पर्याप्त से सुदृढ़ नहीं हैं।

अनुकूलन अंतराल रिपोर्ट 2021: मुख्य निष्कर्ष

अनुकूलन का वित्तपोषण अपर्याप्त है

  • रिपोर्ट में पाया गया है कि अनुकूलन की लागत 2030 तक प्रति वर्ष अनुमानित 140-300 बिलियन अमरीकी डालर एवं मात्र विकासशील देशों हेतु 2050 तक 280-500 बिलियन अमरीकी डालर के उच्चतर सीमा में होने की संभावना है

 

कोविड-19 के अवसर चूक रहे हैं

  • अध्ययन किए गए 66 देशों में से एक तिहाई से भी कम ने जून 2021 तक जलवायु जोखिमों को दूर करने हेतु स्पष्ट रूप से कोविड-19 उपायों को वित्त पोषित किया था।
  • साथ ही, ऋण चुकाने की बढ़ी हुई लागत, घटे हुए सरकारी राजस्व के साथ, अनुकूलन पर भविष्य के सरकारी व्यय में, विशेष रूप से विकासशील देशों में बाधा उत्पन्न कर सकती है

 

योजना एवं क्रियान्वयन में कुछ प्रगति

  • लगभग 79 प्रतिशत देशों ने कम से कम एक राष्ट्रीय स्तर के अनुकूलन योजना उपकरण, जैसे कि एक योजना, रणनीति, नीति अथवा विधान को अंगीकृत किया है।
  • यह 2020 के बाद से सात प्रतिशत की वृद्धि है।

 

अधिक कार्रवाई की आवश्यकता है

  • विश्व को प्रत्यक्ष निवेश के माध्यम से एवं निजी क्षेत्र की सहभागिता में बाधाओं को दूर करके सार्वजनिक अनुकूलन वित्त में वृद्धि करने की आवश्यकता है।
  • रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि सरकारों को महामारी से वित्तीय पुनर्स्थापना का उपयोग उन अंतःक्षेपों को प्राथमिकता देने हेतु करना चाहिए जो आर्थिक विकास एवं जलवायु परिवर्तन प्रतिरोधक क्षमता दोनों को प्राप्त करते हैं।

 

हाल ही में जारी जलवायु संबंधी रिपोर्ट

manish

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