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पारिस्थितिक संकट रिपोर्ट 2021

पारिस्थितिक संकट रिपोर्ट 2021: प्रासंगिकता

  • जीएस 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं अवक्रमण, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन।

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पारिस्थितिक संकट रिपोर्ट 2021: संदर्भ

  • हाल ही में, इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पीस द्वारा जारी इकोलॉजिकल थ्रेट रजिस्टर रिपोर्ट के दूसरे संस्करण ने पर्यावरणीय क्षति के कारण संघर्ष एवं विस्थापन के उच्चतम जोखिम पर 26 बिलियन लोगों को सतर्क किया है।

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पारिस्थितिक संकट रिपोर्ट 2021: प्रमुख बिंदु

  • पारिस्थितिक संकट रजिस्टर 2021 (ईटीआर) के अमेरिकी आभासी विमोचन (यूएस वर्चुअल लॉन्च) में, रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्षों को साझा किया गया एवं पारिस्थितिक रूप से सर्वाधिक कमजोर देशों के समर्थन में वैश्विक शासन में सुधार के लिए व्यावहारिक कदमों पर चर्चा की गई।

 

पारिस्थितिक संकट रिपोर्ट 2021: प्रमुख निष्कर्ष

 

संघर्ष एवं पारिस्थितिक संकट

  • रिपोर्ट का मुख्य निष्कर्ष यह है कि पारिस्थितिक क्षरण एवं संघर्ष के मध्य एक चक्रीय संबंध उपस्थित होता है।
  • यह एक दुष्चक्र है, जिसमें संसाधनों के ह्रास से संघर्ष होता है, जिससे संसाधनों का और क्षरण होता है।
  • सबसे खराब पर्यावरणीय संकट वाले 15 देशों में से ग्यारह को वर्तमान में संघर्षरत होने के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • अन्य चार को शांति में व्यापक कमी के उच्च जोखिम वाले देशों के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जो संसाधनों के क्षरण एवं संघर्ष के मध्य संबंधों को चिन्हांकित करता है।

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पारिस्थितिक संकट एवं प्रवास

  • पारिस्थितिक संकट की रिपोर्ट 2021 ने पाया है कि 30 अतिक्षेत्र (हॉटस्पॉट) देशों में 26 बिलियन से अधिक लोग निवास करते हैं, जो अत्यधिक पारिस्थितिक जोखिम एवं प्रतिस्थितित्व के निम्न स्तर दोनों से पीड़ित हैं।
  • इन देशों के नवीन पारिस्थितिक संकटों का शमन करने एवं अनुकूलित होने में सक्षम होने की न्यूनतम संभावना है, जिससे  व्यापक पैमाने पर विस्थापन होने की संभावना है।
  • कोविड-19 ने खाद्य असुरक्षा में वृद्धि कर दी है एवं शरणार्थियों को घर लौटने से रोक दिया है।

जलवायु प्रेरित प्रवासन एवं आधुनिक दासता

जलवायु परिवर्तन के प्रति दृष्टिकोण

  • कार्बन डाइऑक्साइड के सबसे महत्वपूर्ण उत्सर्जक वे देश हैं जहां उनके नागरिक जलवायु परिवर्तन से न्यूनतम संबंधित हैं। वे विश्व के कुछ  सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश भी हैं।
  • चीन के मात्र 23% नागरिक जलवायु परिवर्तन को एक बहुत ही गंभीर संकट के रूप में देखते हैं, जबकि भारत में मात्र 35%  अभिलेखित किया गया है।

खाद्य असुरक्षा

  • 2014 के पश्चात से, वैश्विक स्तर पर पर्याप्त भोजन तक पहुंच के बिना लोगों की संख्या मेंप्रत्येक वर्ष 44% की वृद्धि हुई है। खाद्य असुरक्षा में वृद्धि शांति में गिरावट के साथ जुड़ी हुई है।
  • 2050 तक, भोजन की वैश्विक मांग में 50% की वृद्धि होने की संभावना है।

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 जल संकट

  • पारिस्थितिक संकट रजिस्टर रिपोर्ट से पता चलता है कि 2040 तक 4 अरब से अधिक लोग अत्यधिक जल संकट का सामना कर रहे देशों में निवास कर रहे होंगे।
  • उप-सहारा अफ्रीकी आबादी का 70% सुरक्षित रूप से प्रबंधित जल तक अपर्याप्त पहुंच से पीड़ित है, जो उच्च जनसंख्या वृद्धि से और जटिल होगा।

स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार

पारिस्थितिक प्रतिस्थितित्व निर्माण

  • स्वास्थ्य, भोजन, जल, शरणार्थी राहत, वित्त, कृषि प्रबंधन सहित नीतिगत सिफारिशें विकसित करें जो वैश्विक पारिस्थितिक प्रतिस्थितित्व को बढ़ावा देते हो।
  • यद्यपि सैन्य हस्तक्षेप आवश्यक हैं, वे संघर्षों को संचालित करने वाले अंतर्निहित पारिस्थितिक मुद्दों को हल नहीं करेंगे।
  • अफगानिस्तान से सबक यह है कि सुनियोजित एवं निष्पादित विकास व्यय के बिना शांति प्राप्त करना असंभव है।
  • 2020 में संघर्ष के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था को 600 बिलियन डॉलर की कीमत चुकानी पड़ी, पारिस्थितिक संकट रजिस्टर रिपोर्ट से ज्ञात होता है कि संघर्ष के संवाहकों के गहन होने से पूर्व कॉप 26 वार्ता को पारिस्थितिक हॉटस्पॉट के लिए प्रतिस्थितित्व निधि को स्वीकृति प्रदान करने की आवश्यकता है।

 

इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) वर्किंग ग्रुप I की छठी आकलन रिपोर्ट

 

 

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