Categories: हिंदी

समान नागरिक संहिता पर निजी सांसद के विधेयक को राज्यसभा में पेश किया गया

यूसीसी पर निजी सांसद के विधेयक की यूपीएससी के लिए प्रासंगिकता

यूसीसी पर निजी सदस्य का विधेयक: यूसीसी पर निजी सदस्य का विधेयक यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के जीएस 2 के निम्नलिखित टॉपिक्स के लिए प्रासंगिक है: मूल अधिकार, राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांत, महिलाओं से संबंधित मुद्दे।

निजी सदस्य विधेयक चर्चा में क्यों है?

  • भारत में समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए एक निजी सदस्य का विधेयक शुक्रवार को राज्यसभा में पेश किया गया, जिसमें 63 मत पक्ष में एवं 23 मत विरोध में पड़े।
  • भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा द्वारा लाया गया विधेयक समान नागरिक संहिता की तैयारी एवं भारत के  संपूर्ण क्षेत्र में इसके कार्यान्वयन के लिए राष्ट्रीय निरीक्षण एवं जांच समितिके गठन का प्रावधान करता है।

 

यूसीसी पर निजी सदस्य विधेयक की पृष्ठभूमि

  • अतीत में, यद्यपि भारत में समान नागरिक संहिता विधेयक, 2020 को पेश करने के लिए सूचीबद्ध किया गया था, किंतु इसे उच्च सदन में स्थानांतरित नहीं किया गया था।
  • इस बार भी विपक्षी सदस्यों ने विधेयक को वापस लेने की मांग की, हालांकि, राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने विभाजन का आह्वान किया एवं विधेयक को पेश करने का प्रस्ताव 63 मतों के पक्ष में और 23 के विरुद्ध पारित हुआ।

 

निजी सदस्यों का विधेयक क्या है?

  • निजी सदस्यों का विधेयक संसद सदस्य (सांसद) द्वारा पेश किया गया एक विधेयक है जो मंत्री नहीं है, अर्थात गैर-सरकारी सदस्य है।
  • सत्ता पक्ष एवं विपक्ष दोनों के संसद सदस्य एक निजी सदस्य विधेयक पेश कर सकते हैं।
  • यद्यपि, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि एक गैर-सरकारी सदस्य एक सत्र के दौरान गैर-सरकारी सदस्यों के विधेयकों को पेश करने के लिए अधिकतम तीन सूचनाएं दे सकता है।
  • निजी सदस्य विधेयक, एक अधिनियम बनने के लिए, दोनों सदनों में पारित होना चाहिए। एक बार दोनों सदनों में पारित होने के बाद विधेयक को अधिनियम बनने के लिए राष्ट्रपति की सहमति भी अनिवार्य है।
  • ऐसे विधेयकों को केवल शुक्रवार को पेश किया जा सकता है एवं उन पर चर्चा की जा सकती है।
  • निजी सदस्यों के विधेयक को संसद में पारित होने के लिए सरकार के समर्थन की आवश्यकता होती है।

 

निजी सदस्य के विधेयक की स्वीकार्यता

  • निजी सदस्य के विधेयक की स्वीकार्यता राज्यसभा के सभापति एवं लोकसभा के मामले में लोकसभा अध्यक्ष द्वारा निर्धारित की जाती है।
  • विधेयक को पेश करने के लिए सूचीबद्ध किए जाने से पूर्व सदस्य को कम से कम एक एक माह का नोटिस देना चाहिए।
  • सदन सचिवालय लिस्टिंग से पूर्व संवैधानिक प्रावधानों एवं विधान पर नियमों के अनुपालन के लिए इसकी जांच करता है।

 

यूसीसी पर निजी सदस्य का विधेयक क्या चाहता है?

  • यूसीसी पर निजी सदस्य का विधेयक धर्म पर विचार किए बिना सभी नागरिकों के व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनों के संग्रह की परिकल्पना करता है।
  • सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने समान नागरिक संहिता की तैयारी एवं संपूर्ण भारत में इसके कार्यान्वयन के लिए राष्ट्रीय निरीक्षण एवं जांच समिति के गठन तथा निजी सदस्य के सरोकार के दौरान उससे जुड़े मामलों के लिए प्रावधान करने हेतु विधेयक पेश करने की अनुमति के लिए यूसीसी पर निजी सदस्य का विधेयक पेश किया।

 

यूसीसी क्या है?

  • समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड/यूसीसी) संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत आती है।
  • समान नागरिक संहिता (यूसीसी) भारत के लिए एक कानून निर्मित करने की मांग करती है, जो विवाह,  विवाह विच्छेद (तलाक), विरासत, दत्तक ग्रहण (गोद लेने) जैसे मामलों में सभी धार्मिक समुदायों पर लागू होगा।
  • यह मुद्दा एक सदी से अधिक समय से राजनीतिक आख्यान एवं बहस के केंद्र में रहा है।

 

अनुच्छेद 44 का महत्व

  • डॉ बी. आर. अम्बेडकर ने संविधान निर्मित करते समय कहा था कि एक समान नागरिक संहिता वांछनीय है किंतु फिलहाल यह स्वैच्छिक रहना चाहिए एवं इस प्रकार संविधान के प्रारूप के अनुच्छेद 35 को संविधान के भाग IV में अनुच्छेद 44 के रूप में भारतीय संविधान  के राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों के हिस्से के रूप में समाविष्ट किया गया था।
  • इसे संविधान में एक पहलू के रूप में समावेश किया गया था जो तब पूर्ण होगा जब राष्ट्र इसे स्वीकार करने के लिए तैयार होगा एवं समान नागरिक संहिता को सामाजिक स्वीकृति दी जा सकती है।

 

समान नागरिक संहिता की उत्पत्ति

  • समान नागरिक संहिता की उत्पत्ति औपनिवेशिक भारत में हुई जब ब्रिटिश सरकार ने 1835 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें अपराधों, साक्ष्यों तथा संविदा से संबंधित भारतीय कानून के संहिताकरण में एकरूपता की आवश्यकता पर बल दिया गया था, विशेष रूप से यह सिफारिश की गई थी कि हिंदुओं एवं मुसलमानों के स्वीय विधियों (व्यक्तिगत कानूनों) को इस तरह के संहिताकरण के बाहर रखा जाए।
  • ब्रिटिश शासन के अंत में व्यक्तिगत मुद्दों से निपटने वाले विधान में वृद्धि ने सरकार को 1941 में हिंदू विधि को संहिताबद्ध करने के लिए बी. एन. राव समिति का निर्माण करने हेतु बाध्य किया।
  • हिंदू विधि समिति का कार्य सामान्य हिंदू विधियों की आवश्यकता के प्रश्न की जांच करना था। समिति ने शास्त्रों के अनुसार, एक संहिताबद्ध हिंदू विधि की सिफारिश की, जो महिलाओं को समान अधिकार प्रदान करेगा।
  • 1937 के अधिनियम की समीक्षा की गई एवं समिति ने हिंदुओं के लिए विवाह तथा उत्तराधिकार के नागरिक संहिता की सिफारिश की।

 

समान नागरिक संहिता पर भारत के सर्वोच्च न्यायालय के क्या विचार हैं?

  • भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सदैव राष्ट्र में समान नागरिक संहिता को लागू करने का आह्वान किया है।
  • शाह बानो वाद (मामले) के साथ, उनके धार्मिक विश्वास के बावजूद सभी को विधियों का समान संरक्षण प्रदान करने के लिए यूसीसी पर बहस शुरू हुई।
  • मध्य प्रदेश के इंदौर की रहने वाली शाहबानो को तलाक के बाद उसके पूर्व पति ने गुजारा भत्ता देने से मना कर दिया था।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने शाह बानो के पक्ष में अपने निर्णय में कहा, “यह खेद का विषय है कि हमारे संविधान का अनुच्छेद 44 एक अप्रचलित कानून बनकर रह गया है … एक समान नागरिक संहिता परस्पर विरोधी विचारधारा वाले कानूनों के प्रति अलग-अलग निष्ठाओं को हटाकर राष्ट्रीय एकता की प्राप्ति के लक्ष्य में सहायता करेगी।

 

समान नागरिक संहिता (यूसीसी) क्या करेगी?

  • समान नागरिक संहिता का उद्देश्य महिलाओं एवं धार्मिक अल्पसंख्यकों सहित डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा परिकल्पित कमजोर वर्गों को सुरक्षा प्रदान करना है, साथ ही एकता के माध्यम से राष्ट्रवादी उत्साह को प्रोत्साहित करना है।
  • अधिनियमित होने पर कोड हिंदू संहिता विधेयक, शरीयत कानून एवं अन्य जैसे धार्मिक विश्वासों के आधार पर वर्तमान में अलग किए गए कानूनों को सरल बनाने के लिए कार्य करेगा।
  • संहिता विवाह समारोहों, विरासत, उत्तराधिकार, दत्तक ग्रहण के आसपास के जटिल कानूनों को सरल करेगा एवं उन सभी को सम्मिलित कर एक कानून का रूप प्रदान करेगा।
  • एकल नागरिक कानून तब समस्त नागरिकों पर लागू होगा चाहे उनकी आस्था कुछ भी हो।

 

समान नागरिक संहिता पर निजी सदस्य के विधेयक का विरोध किसने किया?

तृणमूल कांग्रेस (TMC), मरुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (MDMK), राष्ट्रीय जनता दल (RJD), समाजवादी पार्टी (SP), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (मार्क्सवादी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के विपक्षी सदस्यों तथा कांग्रेस ने समान नागरिक संहिता पर निजी सदस्य के विधेयक का विरोध किया।

 

आगे क्या?

देश में समान नागरिक संहिता को शीघ्र से शीघ्र लागू करने से सभी के लिए समान अधिकार को बढ़ावा मिलेगा। यह सामाजिक सद्भाव में वृद्धि करेगा, लैंगिक न्याय को बढ़ावा देगा, महिला सशक्तिकरण को मजबूत करेगा एवं देश की विशिष्ट सांस्कृतिक-आध्यात्मिक पहचान तथा वातावरण की रक्षा में सहायता करेगा।

 

समान नागरिक संहिता पर निजी सदस्य के विधेयक के संदर्भ में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न

प्र. शाहबानो कौन थी?

उत्तर. मध्य प्रदेश के इंदौर की रहने वाली शाहबानो को तलाक के बाद उसके पूर्व पति ने गुजारा भत्ता देने से मना कर दिया था।

प्र. समान नागरिक संहिता (यूसीसी) क्या है?

उत्तर. समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड/यूसीसी) भारत के लिए एक कानून निर्मित करने की मांग करती है, जो विवाह, तलाक, विरासत, दत्तक ग्रहण जैसे मामलों में सभी धार्मिक समुदायों पर लागू होगा।

प्र. भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद समान नागरिक संहिता के बारे में कहता है?

उत्तर. समान नागरिक संहिता (यूसीसी) संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत वर्णित है।

 

लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए पीएम पुरस्कार 2022 अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के 17वें एशिया प्रशांत क्षेत्रीय बैठक में सिंगापुर घोषणा क्या है? वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (डब्ल्यूएलपीए), 1972 में नवीनतम संशोधन क्या है? |आज का संपादकीय विश्लेषण क्या है ‘सिंधुजा-1′?| महासागरीय तरंग ऊर्जा परिवर्तक (ओशन वेव एनर्जी कन्वर्टर’)
शौचालय 2.0 अभियान- शहरी क्षेत्रों में सार्वजनिक/सामुदायिक शौचालयों का रूपांतरण सार्क मुद्रा विनिमय व्यवस्था (सार्क करेंसी स्वैप फ्रेमवर्क) क्या है? |भारतीय रिजर्व बैंक ने करार के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए यूपीएससी दैनिक समसामयिकी – 09 दिसंबर 2022 | प्रीलिम्स बिट्स एक जिला एक उत्पाद (ODOP) पहल को क्रियात्मक रूप से ‘डिस्ट्रिक्ट्स एज़ एक्सपोर्ट हब (DEH)’ पहल के साथ विलय
भारतीय पशु कल्याण बोर्ड: इसका अधिदेश क्या है? एनएसए की भारत-मध्य एशिया पहली बैठक: क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए महत्व? भारत के राष्ट्रीय प्रतीक, उनका महत्व, प्रासंगिकता एवं अर्थ यूपीएससी के लिए दैनिक समसामयिकी- 08 दिसंबर 2022 | प्रीलिम्स बिट्स
manish

Recent Posts

JPSC Civil Services Exam Preparation Tips and Best Books

Every year, the Jharkhand Public Service Commission conducts the JPSC Civil Services Examination. This article…

12 hours ago

JPSC Admit Card 2024, Download link at jpsc.gov.in

The JPSC Mains Admit Card 2024 will be available on the Jharkhand Public Service Commission's…

16 hours ago

JPSC Notification 2024, Check JPSC Mains Exam Date

The JPSC Mains exam date has been released on the official website of Jharkhand. The…

17 hours ago

UPSC Prelims 2024, Eligibility Criteria, Syllabus and Exam Pattern

The Union Public Service Commission (UPSC) annually organises the Civil Services Examination which consists of…

18 hours ago

Rajasthan Judiciary Previous Year Question Papers PDF

The implementation of justice throughout the state of Rajasthan is mostly dependent on the Rajasthan…

18 hours ago

HPPSC HPAS Exam Date 2024, Check HPPSC Prelims Exam Schedule

Himachal Pradesh Public Service Commission (HPPSC) has released the HPPSC Exam Date 2024 on the…

18 hours ago