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भारत में शहरी नियोजन क्षमता में सुधारों पर रिपोर्ट

प्रासंगिकता

  • जीएस 2: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकार की नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा उनकी अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

 

प्रसंग

  • नीति आयोग ने हाल ही में भारत में शहरी नियोजन क्षमता में सुधार के लिए भारत में शहरी नियोजन क्षमता में सुधार पर एक रिपोर्ट का विमोचन किया है।

भारत में शहरी नियोजन क्षमता में सुधारों पर रिपोर्ट_3.1

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शहरी नियोजन क्षमता में सुधार: क्यों आवश्यक है?

  • भारत कुल वैश्विक शहरी जनसंख्या के 11% का आवास है। 2027 तक भारत विश्व के सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश के रूप में चीन को पीछे छोड़ देगा।
  • अनियोजित शहरीकरण, यद्यपि, हमारे शहरों पर अत्यधिक दबाव डालता है।
  • वास्तव में, कोविड -19 महामारी ने हमारे शहरों की योजना एवं प्रबंधन की सख्त आवश्यकता को रेखांकित किया है।
  • शहरी नियोजन शहरों, नागरिकों एवं पर्यावरण के एकीकृत विकास की नींव है।
  • दुर्भाग्यवश, अब तक इस पर उचित ध्यान नहीं दिया गया है। वर्तमान शहरी नियोजन एवं शासन की संरचना जटिल है, जो प्राय: अस्पष्टता एवं जवाबदेही की कमी की ओर अग्रसर करता है।

एनसीआर क्षेत्रीय योजना प्रारूप -2041

प्रमुख सिफारिशें

  • स्वस्थ शहरों की योजना हेतु कार्यक्रम संबंधी अंतःक्षेप
    • प्रत्येक शहर को 2030 तक ‘सभी के लिए स्वस्थ शहर’ बनने की आकांक्षा रखनी चाहिए।
    • रिपोर्ट में 5 वर्ष की अवधि हेतु एक केंद्रीय क्षेत्र योजना ‘500 स्वस्थ शहर कार्यक्रम’ की सिफारिश की गई है, जिसमें राज्यों एवं स्थानीय निकायों द्वारा संयुक्त रूप से प्राथमिकता वाले शहरों तथा कस्बों का चयन किया जाएगा।
  • शहरी भूमि के इष्टतम उपयोग हेतु कार्यक्रम संबंधी अंतःक्षेप
    • प्रस्तावित ‘स्वस्थ शहर कार्यक्रम’ के अंतर्गत सभी शहरों तथा कस्बों को शहरी भूमि की दक्षता को अधिकतम करने हेतु वैज्ञानिक साक्ष्य के आधार पर विकास नियंत्रण नियमों को सशक्त बनाना चाहिए।
    • रिपोर्ट, इस उद्देश्य के लिए एक उप-योजना ‘विकास नियंत्रण विनियमों की तैयारी / संशोधन’ की सिफारिश करती है।
  • मानव संसाधन का विस्तार

सार्वजनिक क्षेत्र में शहरी योजनाकारों के अभाव से निपटने के लिए, रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों को  निम्नलिखित की आवश्यकता हो सकती है

  • नगर नियोजकों के रिक्त पदों को भरने में तेजी लाना, तथा
  • इसके अतिरिक्त, न्यूनतम 3 वर्ष एवं अधिकतम 5 वर्ष की अवधि के लिए पार्श्व प्रवेश पदों के रूप में 8268 नगर योजनाकारों के पदों को अंतराल को पूरा करने हेतु स्वीकृति प्रदान करना।
  • शहरी नियोजन करने हेतु योग्य पेशेवरों को सुनिश्चित करना
    • राज्य के नगर एवं ग्राम नियोजन विभागों को नगर नियोजकों की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है।
    • नगर-नियोजन पदों पर योग्य उम्मीदवारों के प्रवेश को सुनिश्चित करने हेतु राज्यों को अपने भर्ती नियमों में अपेक्षित संशोधन करने की आवश्यकता हो सकती है।
  • शहरी शासन की पुन: अभियांत्रिकी
    • शहरी चुनौतियों का समाधान करने हेतु अधिक संस्थागत स्पष्टता एवं बहु-विषयक विशेषज्ञता को सम्मिलित करने की आवश्यकता है।
    • रिपोर्ट वर्तमान शहरी नियोजन शासन संरचना को फिर से तैयार करने हेतु एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति के गठन की सिफारिश करती है।

 

शहरी जल संतुलन योजना

 

  • टाउन एंड कंट्री प्लानिंग एक्ट का संशोधन
    • अधिकांश राज्यों ने टाउन एंड कंट्री प्लानिंग अधिनियम बनाए हैं, जो उन्हें क्रियान्वयन हेतु मास्टर प्लान तैयार करने एवं अधिसूचित करने में सक्षम बनाते हैं। हालांकि, इनमें से अनेक की समीक्षा तथा सुधार की आवश्यकता है।
    • इसलिए, योजना विधानों की नियमित समीक्षा करने केतु राज्य स्तर पर एक शीर्ष समिति के गठन की सिफारिश की जाती है।
  • योजना का रहस्योद्घाटन और नागरिकों को शामिल करना
    • हालांकि मास्टर प्लान की तकनीकी दृढ़ता को अनुरक्षित रखना महत्वपूर्ण है, प्रासंगिक चरणों में नागरिकों की भागीदारी को सक्षम करने हेतु उनका रहस्योद्घाटन करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
    • इसलिए, समिति शहरी नियोजन को रहस्योद्घाटित करने हेतु एक ‘नागरिक पहुंच अभियान’ की जोरदार सिफारिश करती है।
  • निजी क्षेत्र की भूमिका बढ़ाने हेतु कदम
    • रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि देश में समग्र योजना क्षमता में सुधार के लिए निजी क्षेत्र की भूमिका को सशक्त करने हेतु अनेक स्तरों पर ठोस उपाय किए जाने चाहिए।
  • शहरी नियोजन शिक्षा प्रणाली को सशक्त करने हेतु कदम
    • अन्य सभी राज्यों / संघ राज्य क्षेत्रों में केंद्रीय विश्वविद्यालयों एवं तकनीकी संस्थानों को चरणबद्ध रूप से देश में योजनाकारों की आवश्यकताओं को पूर्ण करें स्नातकोत्तर डिग्री कार्यक्रम (एमटेक योजना) की पेशकश करने हेतु प्रोत्साहित किया जाता है।
  • मानव संसाधन को सशक्त करने के उपाय एवं मांग-आपूर्ति को परस्पर अनुरूप बनाना
    • रिपोर्ट भारत सरकार के एक सांविधिक निकाय के रूप में एक ‘नेशनल काउंसिल ऑफ टाउन एंड कंट्री प्लानर्स’ के गठन की सिफारिश करती है।
    • इसके अतिरिक्त, एमओएचयूए (आवास एवं शहरी मामलों का मंत्रालय) के नेशनल अर्बन इनोवेशन स्टैक के भीतर एक ‘नेशनल डिजिटल प्लेटफॉर्म ऑफ टाउन एंड कंट्री प्लानर्स’ बनाने का सुझाव दिया गया है।
    • यह पोर्टल सभी योजनाकारों के स्व-पंजीकरण को सक्षम बनाएगा एवं संभावित नियोक्ताओं तथा शहरी योजनाकारों के लिए एक बाज़ार के रूप में विकसित होगा।

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