वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए), 1980- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 3: पर्यावरण- संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण
वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए), 1980- संदर्भ
- हाल ही में, केंद्र सरकार ने वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए), 1980 के कुछ हिस्सों में संशोधन प्रस्तावित किया।
- वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए), 1980 में संशोधन के प्रारूप की विभिन्न विशेषताओं की वनों की कटाई एवं वन क्षरण को सुविधाजनक बनाने के कारण अनेक व्यक्तियों द्वारा व्यापक रूप से आलोचना की जा रही है।
स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार
वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए), 1980- प्रमुख संशोधन प्रस्तावित
- प्रारूप संशोधन में गैर-वानिकी उद्देश्यों के लिए वन भूमि का उपयोग करने की अनुमति हेतु केंद्र से संपर्क करने से आधारिक अवसंरचना परियोजना विकासकों (डेवलपर्स) की कुछ श्रेणियों को उन्मुक्तियां प्रदान करने का प्रस्ताव है।
- वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए) में संशोधन के प्रारूप में राष्ट्रीय सुरक्षा परियोजनाओं एवं सीमा अवसंरचना परियोजनाओं में सम्मिलित एजेंसियों को केंद्र से वन पूर्व अनुमति प्राप्त करने से मुक्त करने का प्रस्ताव है।
- वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए) के प्रारूप में संशोधनों में एफसीए के दायरे से भूमि को उन्मुक्ति प्रदान करने का भी प्रस्ताव है, जिसे रेल मंत्रालय जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के निकायों द्वारा 1980 से पूर्व अधिग्रहित किया गया था, जब एफसीए को कानून बनना अभी शेष था।
- वर्तमान में, रेल, एनएचएआई, पीडब्ल्यूडी, इत्यादि जैसे भूमि धारा संगठनों को अधिनियम के अंतर्गत अनुमोदन प्राप्त करने एवं निर्धारित प्रतिपूरक उद्ग्रहण (लेवी) का भुगतान करने की आवश्यकता है।
- दंड:
- संशोधित अधिनियम के अंतर्गत अपराधों को एक वर्ष तक की अवधि के लिए साधारण कारावास से दंडनीय बनाने एवं इसे संज्ञेय तथा गैर-जमानती बनाने का प्रस्ताव है।
- पूर्व में हो चुकी हानि की क्षतिपूर्ति के लिए दण्डात्मक मुआवजे के प्रावधान का प्रस्ताव है।
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण
वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए), 1980- प्रमुख प्रावधान
- वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए) के बारे में: वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए), 1980 भारत के वनों में जारी वनों की कटाई को नियंत्रित करने हेतु संसद द्वारा अधिनियमित किया गया था।
- वन संरक्षण अधिनियम भारत में वनों की कटाई को नियंत्रित करने वाला प्रमुख विधान है।
- प्रमुख उद्देश्य: वन संरक्षण अधिनियम, 1980 का उद्देश्य है-
- वनों की अखंडता और क्षेत्र को संरक्षित करते हुए इसके वनस्पतियों, जीवों एवं अन्य विविध पारिस्थितिक घटकों सहित वनों की रक्षा करना।
- वन जैव विविधता की वृद्धि को सुगम बनाना
- वन भूमि को कृषि, चरागाह अथवा किसी अन्य व्यावसायिक उद्देश्यों एवं अभिप्रायों के लिए गैर-वन गतिविधियों में परिवर्तन को रोकना।
- मुख्य विशेषताएं: वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए), 1980 की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं-
- वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए) अधिनियम के उद्देश्यों को प्राप्त करने हेतु केंद्र सरकार को मुख्य प्राधिकारी बनाता है।
- वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए), 1980 अधिनियम के उल्लंघन के लिए दंड का प्रावधान करता है।
- वन संरक्षण के संबंध में केंद्र सरकार की सहायता के लिए एक सलाहकार समिति की स्थापना करता है।
- इस अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत, गैर-वन उद्देश्यों के लिए वन भूमि के अपयोजन (डायवर्जन) हेतु केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति आवश्यक है।
- वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए), 1980 वनों की चार श्रेणियों- आरक्षित वन, ग्रामीण वन, संरक्षित वन एवं निजी वन से संबंधित है।
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