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यूपीएससी परीक्षा के लिए दैनिक करेंट अफेयर्स 26 दिसंबर | प्रीलिम्स बिट्स

वीर बाल दिवस

वीर बाल दिवस चर्चा में क्यों है?

  • प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी 26 दिसंबर, 2022 को अपराह्न 12:30 बजे मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम, दिल्ली में ‘वीर बाल दिवस’ के ऐतिहासिक कार्यक्रम में भाग लेंगे।
  • कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री लगभग तीन सौ बाल कीर्तनियों द्वारा किए जाने वाले ‘शबद कीर्तन’ में सम्मिलित होंगे।
  • इस महत्वपूर्ण अवसर पर प्रधानमंत्री दिल्ली में लगभग तीन हजार बच्चों द्वारा मार्च-पास्ट को झंडी दिखाकर रवाना करेंगे।

वीर बाल दिवस

  • पृष्ठभूमि: श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के दिन, 9 जनवरी 2022 को, प्रधानमंत्री ने घोषणा की थी कि 26 दिसंबर को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा।
  • उद्देश्य: वीर बाल दिवस का उद्देश्य श्री गुरु गोबिंद सिंह के पुत्रों साहिबजादा बाबा जोरावर सिंह जी एवं साहिबजादा बाबा फतेह सिंह जी की शहादत को चिह्नित करना है।
  • मुख्य कार्यक्रम: साहिबजादों के अनुकरणीय वीरता की कहानी के बारे में नागरिकों, विशेष रूप से छोटे बच्चों को सूचित करने एवं शिक्षित करने के लिए सरकार संपूर्ण देश में अंतः क्रियात्मक (इंटरैक्टिव) एवं भागीदारी कार्यक्रम आयोजित कर रही है।
    • इस प्रयास में संपूर्ण देश के विद्यालयों तथा महाविद्यालयों में निबंध लेखन, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता एवं अन्य गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा।
    • रेलवे स्टेशनों, पेट्रोल पंपों, एयरपोर्ट इत्यादि सार्वजनिक स्थलों पर डिजिटल प्रदर्शनियां लगाई जाएंगी।
    • संपूर्ण देश में ऐसे कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे जहां गणमान्य व्यक्ति साहिबजादों की जीवन गाथा एवं बलिदान सुनाएंगे।

लोसर महोत्सव

लोसर महोत्सव चर्चा में क्यों है?

  • हाल ही में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने लोसर पर्व के अवसर पर बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं।
  • लोसर महोत्सव 2022, 25 दिसंबर, 2022 को लद्दाखी नव वर्ष के अवसर पर मनाया जा रहा है।

लोसर महोत्सव

  • लोसर महोत्सव के बारे में: लद्दाख में लोसर महोत्सव तिब्बती बौद्ध धर्म के पारंपरिक कार्यक्रम में नव वर्ष के आरंभ में मनाया जाता है।
  • शामिल समुदाय: यह लद्दाख क्षेत्र में बौद्ध समुदाय द्वारा मनाया जाता है।
  • अवधि: लोसर तिब्बती चंद्र कैलेंडर के प्रारंभ से 15 दिनों का त्योहार है, जो तिब्बती कैलेंडर में 11 महीनों के प्रथम दिन को चिह्नित करता है।
    • लोसर एक तिब्बती शब्द है जिसका अर्थ है ‘ नव वर्ष’।
  • प्रमुख गतिविधियां: उत्सव का प्रारंभ जे चोंखापा की जयंती एवं निर्वाण वर्षगांठ के उत्सव के साथ हुआ, जिसमें मठों, स्तूपों, आवासीय एवं अन्य स्थानों जैसे धार्मिक स्थानों की सजावट की गई।
    • लोसर उत्सव की पूर्व संध्या पर दिवंगत प्रियजनों के लिए यादगार भोजन प्रसाद के साथ भी मनाया जाता है।
    • लोसर उत्सव नए साल से नौ दिनों तक जारी रहता है जिसमें देवता एवं देवी के नाम पर प्रार्थना की जाती है, इबेक्स के सम्मान में नृत्य एवं गीत तथा कैलाश पर्वत की तीर्थ यात्रा होती है।
    • नव वर्ष का स्वागत आइबेक्स सूर्य तथा चंद्रमा के आटे की प्रतिमा तथा रसोई की दीवारों पर आटे से रंगे भाग्यशाली संकेतों के साथ किया जाता है।
    • नए साल का तीसरा दिन वर्ष के प्रथम चंद्रमा के दर्शन के साथ आने वाले वर्ष में भरपूर फसलों की प्रार्थना के साथ मनाया जाता है।

 

नेपाल के प्रधानमंत्री- पुष्प कमल दहल प्रचंड

नेपाल के प्रधानमंत्री चर्चा में क्यों है?

  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कॉमरेड प्रचंड को नेपाल का प्रधानमंत्री चुने जाने पर अपनी शुभकामनाएं दी है।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “भारत एवं नेपाल के मध्य अद्वितीय संबंध गहरे सांस्कृतिक जुड़ाव एवं गर्म लोगों से लोगों के मध्य जोशपूर्ण संबंधों पर आधारित है। मैं इस मित्रता को और मजबूत करने के लिए आपके साथ मिलकर काम करने की आशा करता हूं।”

पुष्प कमल दहल प्रचंडनेपाल के नए प्रधानमंत्री

  • नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने पुष्प कमल दहल को हिमालयी राष्ट्र- नेपाल का प्रधानमंत्री नियुक्त किया।
  • पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र) के संसदीय दल के नेता हैं।
  • यह तीसरी बार होगा जब पूर्व माओवादी विद्रोही नेता इस हिमालयी देश के प्रधानमंत्री होंगे।
    • उन्होंने 2008-09 में  इस पद पर अपनी सेवाएं प्रदान की जब सत्ता के बंटवारे को लेकर राजनीतिक संकट के कारण उन्हें पद छोड़ना पड़ा।
    • उनका दूसरा कार्यकाल 2016 में आया जब उन्होंने मधेसी आंदोलनकारियों द्वारा 2015-16 के दौरान नेपाल की आर्थिक नाकेबंदी की पृष्ठभूमि के विरुद्ध श्री ओली से पदभार संभाला।

 

न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने से संबंधित संसदीय समिति

न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु में वृद्धि करना चर्चा में क्यों है?

  • न्याय विभाग ने एक संसदीय पैनल से कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु में वृद्धि करने से निष्पादन ना करने वाले न्यायाधीशों की सेवा के वर्षों में वृद्धि हो सकती है एवं सरकारी कर्मचारियों द्वारा समान मांग उठाने पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ सकता है।
  • न्याय विभाग ने कार्मिक, विधि एवं न्याय पर संसदीय पैनल के समक्ष एक प्रस्तुति दी, जिसकी अध्यक्षता भाजपा सांसद एवं बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने की।

न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु

  • पृष्ठभूमि: उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाकर 65 वर्ष करने के लिए 2010 में 114 वां संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया गया था। हालांकि, इसे संसद में विचार के लिए नहीं लिया गया था एवं 15 वीं लोकसभा के विघटन के साथ यह  विधेयक समाप्त हो गया था।
  • जुलाई में, केंद्रीय विधि मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद को सूचित किया था कि सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु  में वृद्धि करने संबंधी कोई प्रस्ताव नहीं है।
  • प्रमुख सुझाव: विधि एवं न्याय मंत्रालय के विभाग ने प्रस्तुति दी जिसमें उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु में वृद्धि करने की संभावना सहित न्यायिक प्रक्रियाओं तथा सुधारों का विवरण शामिल था।
    • इसने यह भी कहा कि उच्च न्यायपालिका में नियुक्तियों में पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित करने के उपायों के साथ-साथ न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु में वृद्धि करने पर भी विचार किया जाएगा।

 

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