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जैव विविधता पर अभिसमय (कन्वेंशन ऑन बायोडायवर्सिटी/CBD) का सीओपी 15 क्या है?

जैव विविधता पर अभिसमय के सीओपी 15 की यूपीएससी के लिए प्रासंगिकता

जैव विविधता पर अभिसमय का सीओपी 15: यूपीएससी परीक्षा के उद्देश्य हेतु, जैव विविधता पर अभिसमय के सीओपी 15 एवं संबंधित घटनाओं का प्रत्येक गंभीर उम्मीदवार को अध्ययन करना चाहिए। 

2020 के बाद वैश्विक जैव विविधता ढांचा (ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क/GBF) एवं संबंधित निर्णय सीओपी 15 में प्रगति के एक महत्वपूर्ण बिंदु को चिन्हित करेंगे, अतः यह  यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा एवं यूपीएससी मुख्य परीक्षा 2023-24 दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। 

यह जीएस 2: महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान एवं जीएस 3: पर्यावरण संरक्षण का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

सीओपी 15 चर्चा में क्यों है?

  • केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने मॉन्ट्रियल, कनाडा में जैविक विविधता पर अभिसमय (CBD) के पक्षकारों के सम्मेलन (कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज/COP 15) की पंद्रहवीं बैठक में भारत का राष्ट्रीय वक्तव्य दिया। यह 07 दिसंबर से 14 दिसंबर तक आयोजित किया जा रहा है।
  • सीबीडी के सीओपी 15 में, मंत्रियों से अपेक्षा की जाती है कि वे 2020 के बाद के जीबीएफ एवं संबंधित निर्णयों पर समझौतों के अंतिम चरणों का समर्थन करें, ताकि एक प्रभावी वैश्विक जैव विविधता फ्रेमवर्क (जीबीएफ) सहित सम्मेलन के सफल परिणाम को सुनिश्चित किया जा सके।

 

सीओपी 15  के क्या उद्देश्य हैं?

  • जैविक विविधता पर अभिसमय के सदस्य महत्वाकांक्षी उत्तर-2020 वैश्विक जैव विविधता ढांचा (ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क/GBF) को अंतिम रूप प्रदान करने हेतु 15वें सम्मेलन (COP15) के लिए एक साथ एकत्रित हुए हैं, जो यह सुनिश्चित करेगा कि अभिसमय के तीन उद्देश्यों को 2030 तक प्राप्त किया जाए।
  • सीओपी 15 वैश्विक उद्देश्यों एवं लक्ष्यों को निर्धारित करेगा तथा वर्ष 2030 तक लोगों को प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने के लिए उठाए जाने वाले कदमों का विवरण देगा एवं एक महत्वाकांक्षी 2050 दृष्टिकोण को गति प्रदान करेगा।
  • इस उद्देश्य तक पहुँचने के लिए वैश्विक जैव विविधता ढांचे में चार उद्देश्य तथा 20-22 लक्ष्य शामिल होंगे जिन पर सीओपी 15 के दौरान भी सहमति स्थापित की जाएगी।

जैव विविधता पर अभिसमय (कन्वेंशन ऑन बायोडायवर्सिटी/CBD) क्या है?

  • सीबीडी एक अंतरराष्ट्रीय विधिक रूप से बाध्यकारी संधि है, जो संपूर्ण विश्व की सरकारों को जैव विविधता की सुरक्षा हेतु प्रतिबद्ध करती है।
  • यह पृथ्वी पर जीवन के समस्त रूपों – पारिस्थितिक तंत्र, पशुओं, पौधों, कवक तथा सूक्ष्म जीवों को समाहित करता है एवं सतत विकास – अर्थात, जैव विविधता को खतरे में डाले बिना मानव प्रगति को प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • जैव विविधता पर अभिसमय (CBD) पर 1992 में रियो डी जनेरियो में हस्ताक्षर किए गए थे एवं 29 दिसंबर 1993 को यह प्रवर्तन में आया था।
  • दुनिया भर में जैव विविधता की रक्षा के लिए क्या हासिल किया गया है और अभी भी क्या करने की आवश्यकता है, इसकी समीक्षा करने के लिए शासी निकाय प्रत्येक दो वर्ष में मिलते हैं।

 

सीओपी 15 क्यों महत्वपूर्ण है?

  • जबकि जलवायु संकट सुर्खियां बटोर रहा है, हम एक और भी अधिक अशुभ – तथा संभवतः इससे भी तीव्र गति से वृद्धि करते – जैव विविधता संकट के बीच में हैं।
  • दस लाख से अधिक पौधों एवं पशुओं की प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर हैं। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की नवीनतम लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट में पाया गया कि 1970 के बाद से वन्यजीवों में 69% की गिरावट आई है।
  • यदि हम जैव विविधता संकट को रोकने में विफल रहते हैं, तो हमारे वैश्विक प्रणालियों के लिए इसके गंभीर परिणाम होंगे, प्रकृति की स्वच्छ हवा एवं पानी, भोजन, दवाएं तथा सामग्री, जो मानवता के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण हैं, को प्रदान करने की क्षमता के विघटित होने की संभावना है।
  • हमारे ग्रह के भविष्य के साथ तथा हम  स्वयं अधर में लटके हुए हैं, जोखिम इससे और अधिक नहीं हो सकता।
  • चुनौती अलंघ्य महसूस हो सकती है, किंतु वास्तविकता यह है कि हमारा भाग्य अभी तक तय नहीं हुआ है।
  • यही कारण है कि सीओपी 15 इतना महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें इस खतरनाक प्रवृत्ति को प्रतिलोमित करने की क्षमता है, किंतु केवल तभी जब- इसी समय समन्वित वैश्विक कार्रवाई की जाए।

 

जैव विविधता को सुरक्षित करने हेतु भारत क्या कर रहा है?

भारत के पास विश्व की 17 प्रतिशत जनसंख्या, भू-क्षेत्र का मात्र 2.4 प्रतिशत एवं जल संसाधन का मात्र 4 प्रतिशत होने के बावजूद हम अपने प्रयासों में आगे बढ़ रहे हैं।

  • वृक्षावरण एवं वनावरण में वृद्धि: हमारी वन्यजीव आबादी के साथ-साथ हमारे वनों एवं वृक्षों  के आवरण में निरंतर वृद्धि हो रही है। प्रतिष्ठित चीता को भारतीय पर्यावासों में वापस लाने के लिए निश्चित कदम उठाए जा रहे हैं।
  • रामसर स्थल: भारत ने घोषित रामसर स्थलों की संख्या में पचहत्तर के वर्तमान आंकड़े में बड़ी छलांग लगाई है।
  • वन नीति: एक बड़े विकासशील देश के रूप में, हमारी वन नीति को लागू करना चुनौतीपूर्ण है किंतु हमारे वन सर्वेक्षण इसकी सफलता का प्रमाण हैं।
  • आइची लक्ष्य: आइची लक्ष्यों को लागू करने में भारत की बैलेंस शीट सक्रिय तथा दूरदर्शी है एवं भारत अपनी प्रतिबद्धताओं को पूर्ण करने हेतु अपने पथ पर पर है।
  • लाइफ अभियान: भारत के प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी का LiFE पर केंद्रित एक जन आंदोलन के लिए आह्वान – पर्यावरण के लिए जीवन शैली (लाइफ स्टाइल फॉर एनवायरमेंट) 20 अक्टूबर 2022 को संयुक्त राष्ट्र महासचिव श्री एंटोनियो गुटेरेस की उपस्थिति में गुजरात के एकता नगर में विमोचित किया गया।

 

एक नवीन वैश्विक जैव विविधता ढांचे को कैसा दिखना चाहिए?

  • वैश्विक जैव विविधता ढांचा को विज्ञान एवं साम्यता (इक्विटी) एवं  संसाधनों पर राष्ट्रों का संप्रभु अधिकार के आलोक में तैयार किया जाना चाहिए जैसा जैव विविधता पर अभिसमय में इस संदर्भ में प्रावधान किए गए है।
  • यदि जलवायु जैव विविधता से गहराई से जुड़ी हुई है, तो साम्यता एवं सामान्य किंतु विभेदित उत्तरदायित्व  तथा संबंधित क्षमताओं का सिद्धांत जैव विविधता पर समान रूप से लागू होना चाहिए।
  • हम केवल संरक्षण, परिरक्षण एवं पुनर्स्थापन नहीं कर सकते। हमें सतत उपयोग को भी प्रोत्साहित करना चाहिए और यह इस संदर्भ में है।
  • कार्यान्वयन के साधनों का प्रावधान हमारी महत्वाकांक्षा के अनुरूप होना चाहिए। एमडीजी के 8 लक्ष्य थे, एसडीजी के 17 लक्ष्य थे, एची जैव विविधता लक्ष्य 20 थे एवं  वैश्विक जैव विविधता ढांचा (ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क/जीबीएफ) के 23 लक्ष्य हो सकते हैं।
  • इन लक्ष्यों के माध्यम से बढ़ी हुई अपेक्षाएँ, विशेष रूप से सार्वजनिक वित्त के माध्यम से, कार्यान्वयन के समान साधनों की माँग करती हैं।
  • आधुनिक प्रौद्योगिकियां, विशेष रूप से सूचना प्रौद्योगिकी, हमारे लक्ष्यों की प्राप्त में सहायता कर सकती हैं। इसलिए डिजिटल अनुक्रमण सूचना को न्यायसंगत एवं निष्पक्ष तरीके से पहुंच तथा लाभ साझाकरण से जोड़ा जाना चाहिए।

 

निष्कर्ष

हम पृथ्वी ग्रह के केवल संरक्षक हैं एवं हमारा कर्तव्य है कि हम धरती माता की समृद्ध जैव विविधता को और समृद्ध करें, इसकी प्राचीन महिमा को पुनर्स्थापित करें तथा इसे समस्त – मानव जाति, प्रकृति एवं जीवन के सभी रूपों के लाभ के लिए अगली पीढ़ी को सौंप दें। इसे अपनाते हुए, विश्व को सीबीडी के मूलभूत सिद्धांतों को अक्षरश: एवं भावना दोनों में लागू करके एक न्यायसंगत तथा सतत विश्व की ओर आगे बढ़ने दें।

 

जैव विविधता पर सम्मेलन (सीबीडी) के सीओपी 15 के संदर्भ में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न

प्र. सीबीडी क्या है?

  • सीबीडी एक अंतरराष्ट्रीय विधिक रूप से बाध्यकारी संधि है, जो संपूर्ण विश्व की सरकारों को जैव विविधता की सुरक्षा हेतु प्रतिबद्ध करती है।
  • यह पृथ्वी पर जीवन के समस्त रूपों – पारिस्थितिक तंत्र, पशुओं, पौधों, कवक तथा सूक्ष्म जीवों को समाहित करता है एवं सतत विकास – अर्थात, जैव विविधता को खतरे में डाले बिना मानव प्रगति को प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • जैव विविधता पर अभिसमय (CBD) पर 1992 में रियो डी जनेरियो में हस्ताक्षर किए गए थे एवं 29 दिसंबर 1993 को यह प्रवर्तन में आया था।

प्र. आइची लक्ष्य कौन से हैं?

  • आइची जैव विविधता लक्ष्य वैश्विक जैव विविधता की रक्षा एवं संरक्षण के उद्देश्य से वैश्विक लक्ष्यों का एक महत्वाकांक्षी समुच्चयहै
  • वे ‘जैव विविधता के लिए रणनीतिक योजना 2011-2020’ के तहत अपनाई गई बीस कार्रवाइयाँ हैं।

 

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