द हिंदू संपादकीय विश्लेषण: यूपीएससी एवं अन्य राज्य पीएससी परीक्षाओं के लिए प्रासंगिक विभिन्न अवधारणाओं को सरल बनाने के उद्देश्य से द हिंदू अखबारों के संपादकीय लेखों का संपादकीय विश्लेषण। संपादकीय विश्लेषण ज्ञान के आधार का विस्तार करने के साथ-साथ मुख्य परीक्षा हेतु बेहतर गुणवत्ता वाले उत्तरों को तैयार करने में सहायता करता है। आज का हिन्दू संपादकीय विश्लेषण ‘ए ग्राउंड व्यू ऑफ द इंडियन स्पेस पॉलिसी 2023’ हाल ही में जारी भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 और नीति की विभिन्न विशेषताओं पर चर्चा करता है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन/ISRO) ने अनेक वर्षों के विकास के बाद हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 का विमोचन किया है। उद्योग जगत ने भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 दस्तावेज़ के जारी होने पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है।
1990 के दशक से पूर्व, भारतीय अंतरिक्ष उद्योग एवं अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से इसरो के नियंत्रण में थे, निजी क्षेत्र की भागीदारी मुख्य रूप से इसरो के लिए डिजाइन और विशिष्टताओं के निर्माण तक सीमित थी।
सक्षम नीतिगत वातावरण प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा किए गए विगत अनेक प्रयास मायावी सिद्ध हुए हैं। उनमें से कुछ नीचे सूचीबद्ध हैं-
1997 में, उपग्रह संचार के लिए आरंभिक नीति पेश की गई, जिसमें उपग्रह उद्योग में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट/FDI) के लिए नियम सम्मिलित थे।
2001 में, सुदूर संवेदन से संबंधित आंकड़ों (रिमोट सेंसिंग डेटा) के लिए एक नीति पेश की गई थी एवं बाद में 2011 में संशोधित की गई थी। इसे 2016 में राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था, जिसे 2022 में और उदार बनाया गया था।
प्रक्रिया को सरल बनाने के प्रयास में, व्यापक परामर्श प्रक्रिया से गुजरने के बाद 2017 में एक अंतरिक्ष गतिविधियां मसौदा विधेयक पेश किया गया था।
भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 पूर्व में किए गए पहलों से अलग है, क्योंकि यह केवल 11 पृष्ठों का एक संक्षिप्त दस्तावेज है, जिसमें एक महत्वपूर्ण हिस्सा शर्तों एवं संक्षिप्त रूपों को परिभाषित करने के लिए समर्पित है।
भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 विभिन्न प्रमुख भूमिकाओं पर प्रकाश डालती है जो यह भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र की वृद्धि एवं विकास में निभाएगी। कुछ महत्वपूर्ण विशेषताओं पर नीचे चर्चा की गई है-
भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023, दस्तावेज़ में “सुरक्षा” के केवल एक संदर्भ के साथ मुख्य रूप से अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के नागरिक एवं शांतिपूर्ण अनुप्रयोगों पर केंद्रित है।
भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 एक विशिष्ट दृष्टिकोण की रूपरेखा तैयार करती है एवं अंतरिक्ष विभाग, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (इंडियन नेशनल- स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर/IN-SPACe) कथा न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) सहित विभिन्न संस्थाओं की जिम्मेदारियों को परिभाषित करती है।
IN-SPACe की स्थापना 2020 में हुई थी, जबकि NSIL का गठन 2019 में अंतरिक्ष विभाग के तहत इसरो की वाणिज्यिक शाखा के रूप में कार्य करने के लिए अब बंद एंट्रिक्स के प्रतिस्थापन के रूप में किया गया था।
भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 के अनुसार, इसरो अब परिचालन अंतरिक्ष प्रणालियों के निर्माण में संलग्न नहीं होगा, तथा इसके स्थान पर व्यावसायिक उपयोग के लिए परिपक्व प्रणालियों को उद्योगों में स्थानांतरित करेगा।
भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 के तहत, निजी क्षेत्र सहित गैर-सरकारी संस्थाओं (एनजीई) को अंतरिक्ष क्षेत्र में एंड-टू-एंड क्रियाकलाप, जैसे अंतरिक्ष वस्तुओं की स्थापना एवं संचालन, भू-आधारित परिसंपत्ति तथा संबंधित सेवाएं संचार, सुदूर संवेदन एवं नौवहन इत्यादि संचालित करने की अनुमति है।
भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 के अनुसार, अंतरिक्ष गतिविधियों में संलग्न गैर-सरकारी संस्थाओं (नॉन गवर्नमेंट एंटिटीज/एनजीई) को इन-स्पेस द्वारा जारी किए जाने वाले दिशानिर्देशों एवं नियमों का अनुपालन करना चाहिए।
भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 में अनेक खामियां हैं जिन्हें अभी भी अधिक व्यापक एवं प्रासंगिक बनाने के लिए समाप्त करने की आवश्यकता है। उनमें से कुछ की चर्चा नीचे की गई है-
जबकि भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 IN-SPACe के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका की रूपरेखा तैयार करती है, इसमें आवश्यक कदम उठाने के लिए कोई विशिष्ट समय सीमा शामिल नहीं है।
एक नियामक निकाय की स्थापना के लिए विधायी प्राधिकरण की आवश्यकता होती है, जैसा कि भारतीय रिजर्व बैंक, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड तथा भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण के मामलों में देखा गया है।
जबकि अंतरिक्ष नीति 2023, अंतरिक्ष में भारत के भविष्य के लिए एक आशाजनक दृष्टि की रूपरेखा तैयार करती है, इस दृष्टि को वास्तविकता में रूपांतरित करने हेतु आवश्यक कानूनी ढांचे के लिए ठोस समयरेखा के बिना यह कम पड़ जाता है। यह अनिवार्य है कि भारत को द्वितीय अंतरिक्ष युग में प्रेरित करने के लिए एक स्पष्ट समय सीमा स्थापित की जाए।
प्र. भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 क्या है?
उत्तर. भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 भारत सरकार द्वारा जारी किया गया एक नीति दस्तावेज है जो अगले दशक के लिए अंतरिक्ष अन्वेषण एवं उपयोग के लिए देश के दृष्टिकोण तथा उद्देश्यों को रेखांकित करता है। यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन/ISRO), अंतरिक्ष विभाग एवं अन्य संबंधित संस्थाओं के लिए दिशा निर्देश तथा रणनीति प्रदान करता है।
प्र. भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 की प्रमुख विशेषताएं क्या हैं?
उत्तर. भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 की प्रमुख विशेषताओं में अंतरिक्ष गतिविधियों में गैर-सरकारी संस्थाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करना, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी विकास एवं व्यावसायीकरण में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना तथा अन्य अंतरिक्ष यात्री देशों के साथ सहयोग में वृद्धि करना शामिल है। नीति राष्ट्रीय सुरक्षा एवं आर्थिक समाज विकास के लिए अंतरिक्ष अनुसंधान एवं विकास के महत्व पर भी बल देती है।
प्र. भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 का निजी क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर. भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 गैर-सरकारी संस्थाओं को अंतरिक्ष वस्तुओं, भू-आधारित परिसंपत्ति तथा संबंधित सेवाओं की स्थापना एवं संचालन सहित अंतरिक्ष क्षेत्र में एंड-टू-एंड गतिविधियां करने की अनुमति प्रदान करें निजी क्षेत्र को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करेगी। निजी क्षेत्र की कंपनियों को अंतरिक्ष परिवहन हेतु प्रक्षेपण वाहनों को डिजाइन एवं संचालित करने, अपना आधारभूत संरचना स्थापित करने एवं क्षुद्रग्रह संसाधनों की व्यावसायिक पुनर्प्राप्ति में संलग्न होने की भी अनुमति होगी।
प्र. भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 के तहत भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) की क्या भूमिका है?
उत्तर. IN-SPACe से सरकारी संस्थाओं एवं गैर-सरकारी संस्थाओं दोनों द्वारा अंतरिक्ष गतिविधियों को अधिकृत करने के लिए एकल-खिड़की एजेंसी के रूप में कार्य करने की अपेक्षा है। यह भारत में अंतरिक्ष उद्योग के विकास को भी प्रोत्साहित करेगा एवं समर्थन करेगा, उद्योग समूह का निर्माण करेगा तथा दायित्व के मुद्दों पर दिशानिर्देश जारी करेगा। IN-SPACe अंतरिक्ष से संबंधित गतिविधियों में निजी क्षेत्र के लिए एक समान स्तरीय प्रतिभागिता सुनिश्चित करने के लिए एक स्थिर एवं अनुमानित नियामक ढांचा प्रदान करेगा।
प्र. भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 कब क्रियान्वित होगी?
उत्तर. भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 के कार्यान्वयन के लिए कोई विशिष्ट समय रेखा का उल्लेख नहीं किया गया है। हालांकि, यह अपेक्षा की जाती है कि आने वाले वर्षों में नीति के उद्देश्यों को वास्तविकता में रूपांतरित करने के लिए आवश्यक कानूनी एवं नियामक ढांचा तैयार किया जाएगा।
Follow US | |
UPSC Govt. Jobs UPSC Current Affairs UPSC Judiciary PCS Download Adda 247 App here to get the latest updates |
भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 भारत सरकार द्वारा जारी किया गया एक नीति दस्तावेज है जो अगले दशक के लिए अंतरिक्ष अन्वेषण एवं उपयोग के लिए देश के दृष्टिकोण तथा उद्देश्यों को रेखांकित करता है। यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन/ISRO), अंतरिक्ष विभाग एवं अन्य संबंधित संस्थाओं के लिए दिशा निर्देश तथा रणनीति प्रदान करता है।
भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 की प्रमुख विशेषताओं में अंतरिक्ष गतिविधियों में गैर-सरकारी संस्थाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करना, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी विकास एवं व्यावसायीकरण में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना तथा अन्य अंतरिक्ष यात्री देशों के साथ सहयोग में वृद्धि करना शामिल है। नीति राष्ट्रीय सुरक्षा एवं आर्थिक समाज विकास के लिए अंतरिक्ष अनुसंधान एवं विकास के महत्व पर भी बल देती है।
भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 गैर-सरकारी संस्थाओं को अंतरिक्ष वस्तुओं, भू-आधारित परिसंपत्ति तथा संबंधित सेवाओं की स्थापना एवं संचालन सहित अंतरिक्ष क्षेत्र में एंड-टू-एंड गतिविधियां करने की अनुमति प्रदान करें निजी क्षेत्र को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करेगी। निजी क्षेत्र की कंपनियों को अंतरिक्ष परिवहन हेतु प्रक्षेपण वाहनों को डिजाइन एवं संचालित करने, अपना आधारभूत संरचना स्थापित करने एवं क्षुद्रग्रह संसाधनों की व्यावसायिक पुनर्प्राप्ति में संलग्न होने की भी अनुमति होगी।
IN-SPACe से सरकारी संस्थाओं एवं गैर-सरकारी संस्थाओं दोनों द्वारा अंतरिक्ष गतिविधियों को अधिकृत करने के लिए एकल-खिड़की एजेंसी के रूप में कार्य करने की अपेक्षा है। यह भारत में अंतरिक्ष उद्योग के विकास को भी प्रोत्साहित करेगा एवं समर्थन करेगा, उद्योग समूह का निर्माण करेगा तथा दायित्व के मुद्दों पर दिशानिर्देश जारी करेगा। IN-SPACe अंतरिक्ष से संबंधित गतिविधियों में निजी क्षेत्र के लिए एक समान स्तरीय प्रतिभागिता सुनिश्चित करने के लिए एक स्थिर एवं अनुमानित नियामक ढांचा प्रदान करेगा।
भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 के कार्यान्वयन के लिए कोई विशिष्ट समय रेखा का उल्लेख नहीं किया गया है। हालांकि, यह अपेक्षा की जाती है कि आने वाले वर्षों में नीति के उद्देश्यों को वास्तविकता में रूपांतरित करने के लिए आवश्यक कानूनी एवं नियामक ढांचा तैयार किया जाएगा।
The 'India Employment Report 2024,' a joint project between the Institute for Human Development (IHD)…
The Bhakti and Sufi Movements are important for UPSC exam preparation as they form an…
Annually, the Bihar Public Service Commission conducts the Service Examination in Bihar to fill the…
The role of the Chief Election Commissioner of India holds significant constitutional authority, making it…
The Odisha Public Service Commission (OPSC) has announced the Odisha Judicial Service Examination 2024 through…
Candidates preparing for the HPPSC examination can greatly benefit from reviewing the comprehensive HPPSC HPAS…