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विश्व शासन संकेतक

विश्व शासन संकेतक यूपीएससी: प्रासंगिकता

  • जीएस 2:द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह  तथा भारत से जुड़े एवं/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।

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विश्व शासन संकेतक विश्व बैंक: प्रसंग

  • हाल ही में, विश्व बैंक के विश्व शासन संकेतकों ने पाया कि भारत का स्कोर सभी पक्षों में अपने समकक्षों सेअत्यधिक नीचे था।

 

विश्व शासन संकेतक क्या है?

वर्ल्ड गवर्नेंस इंडेक्स शासन के छह आयामों के आधार पर 215 देशों के क्षेत्रों की रैंकिंग प्रदान करता है:

  • ‘अभिव्यक्ति तथा जवाबदेही’;
  • ‘राजनीतिक स्थिरता एवं हिंसा की अनुपस्थिति’;
  • ‘सरकार की प्रभावशीलता’;
  • ‘विनियामक की गुणवत्ता’;
  • ‘विधि का शासन’ एवं
  • ‘भ्रष्टाचार पर नियंत्रण’।

 

विश्व शासन संकेतक डेटा: प्रमुख बिंदु

  • विश्व बैंक के विश्व शासन संकेतकों के विश्लेषण में, वित्त मंत्रालय ने एक प्रस्तुति के माध्यम से बताया कि फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट में उल्लेखित कारकों के कारण भी देश को 2020 में विश्व के 25 सबसे बड़े लोकतंत्रों में स्कोरकी सर्वाधिक बृहद गिरावट दर्ज हुई।
  • प्रस्तुति से पता चलता है कि सरकार को एक संकट का अनुभव हुआ कि “थिंक टैंक, सर्वेक्षण एजेंसियों एवं अंतर्राष्ट्रीय मीडिया द्वारा भारत पर नवीनतम नकारात्मक टिप्पणी के कारण” भारत WGI स्कोर में गिरावट देख सकता है।
  • प्रस्तुति में उल्लेख किया गया है कि भारत का WGI स्कोर सभी छह संकेतकों पर BBB माध्यिका से काफी नीचे है।
    • बीबीबी स्टैंडर्ड एंड पुअर एवं फिच जैसी वैश्विक रेटिंग एजेंसियों द्वारा जारी एक निवेश-ग्रेड रेटिंग है।

 

क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के बारे में

  • एक सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग किसी देश या संप्रभु सत्ता की साख का एक स्वतंत्र मूल्यांकन है।
  • यह निवेशकों को किसी भी राजनीतिक जोखिम सहित किसी विशेष देश के ऋण में निवेश से जुड़े जोखिम के स्तर में अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकता है।

 

विश्व शासन संकेतक पद्धति: अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा नकारात्मक रिपोर्टिंग

  • फ्रीडम हाउस रिपोर्ट 2020 में विश्व के सर्वाधिक बड़े लोकतंत्र में चौंकाने वाले आघातों का उल्लेख है। इसने इस बात पर प्रकाश डाला कि “2019 में भारत की हिंदू राष्ट्रवादी सरकार द्वारा की गई कार्रवाइयों ने भारत  तथा भारतीय कश्मीर में लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन किया”।
  • अमेरिकी विदेश विभाग ने उल्लेख किया कि 2018 में, सरकार ने अधिकारियों की आलोचना करने के लिए कार्यकर्ताओं, अधिवक्ताओं, मानवाधिकार रक्षकों एवं पत्रकारों को उत्पीड़ित किया एवं अनेक बार मुकदमा चलाया। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उत्साह हीन करने के लिए कठोर राजद्रोह एवं आतंकवाद विरोधी कानूनों का इस्तेमाल किया गया।
  • इकोनॉमिक इंटेलिजेंस यूनिट (ईआईयू) ने बताया कि भारत ईआईयू के 2019 ग्लोबल डेमोक्रेसी इंडेक्स में 42वें स्थान से फिसलकर 51वें स्थान पर आ गया है एवं इसे ‘त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • बर्टेल्समैन ट्रांसफॉर्मेशन इंडेक्स (बीटीआई) में, सरकार ने नोट किया कि ‘राजनीतिक परिवर्तन’ के तहत: “2014 में ‘समेकन में लोकतंत्र’ की शीर्ष श्रेणी में होने से हम ‘दोषपूर्ण लोकतंत्र’ तक गिर गए हैं।
  • “हेरिटेज फाउंडेशन इंडेक्स ऑफ इकोनॉमिक फ़्रीडम में, प्रस्तुति में उल्लेख किया गया है कि “भारत का आर्थिक स्वतंत्रता स्कोर “अधिकतर अस्वतंत्र” रहा है, जब से हेरिटेज फाउंडेशन ने 2008 में डेटा प्रकाशित करना प्रारंभ किया था।

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विश्व शासन संकेतक डेटाबैंक: नकारात्मक धारणा

  • वित्त मंत्रालय का आर्थिक प्रभाग वैश्विक थिंक-टैंक, सूचकांकों एवं मीडिया द्वारा भारत पर नकारात्मक टिप्पणी का प्रतिरोध करने के लिए एक रणनीति का प्रारूप तैयार कर रहा है, इस चिंता के बीच कि इससे सॉवरेन रेटिंग को “कबाड़” (जंक) में पदावनत (डाउनग्रेड) किया जा सकता है।
  • जून 2020 में, वित्त मंत्रालय में तत्कालीन प्रधान आर्थिक सलाहकार, संजीव सान्याल ने व्यक्तिपरक कारकों पर एक प्रस्तुति तैयार की, जो सरकार के भीतर आंतरिक संचलन के लिए भारत की संप्रभु रेटिंग को प्रभावित करते हैं।

 

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