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भारत के सकल घरेलू उत्पाद पर प्रदूषण का प्रभाव- लैंसेट आयोग की रिपोर्ट

भारत के सकल घरेलू उत्पाद पर प्रदूषण का प्रभाव- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 3: पर्यावरण- संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण।

भारत के सकल घरेलू उत्पाद पर प्रदूषण का प्रभाव- लैंसेट आयोग की रिपोर्ट_3.1

समाचारों में भारत के सकल घरेलू उत्पाद पर प्रदूषण का प्रभाव

  • प्रदूषण एवं स्वास्थ्य पर लैंसेट आयोग की नवीनतम रिपोर्ट का कहना है कि प्रदूषण के आधुनिक रूपों के कारण आर्थिक क्षति भारत, चीन एवं नाइजीरिया में 2000  तथा 2019 के मध्य जीडीपी के अनुपात के रूप में बढ़ी है।

 

लैंसेट कमीशन की रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष

  • प्रदूषण के कारण मृत्यु में वृद्धि: लैंसेट रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदूषण के आधुनिक रूपों के कारण होने वाली मौतों में वृद्धि दक्षिण एशिया, पूर्वी एशिया एवं दक्षिण पूर्व एशिया में विशेष रूप से स्पष्ट थी।
  • बढ़ी हुई मौतों के कारण: इसके लिए उत्तरदायी कारकों में सम्मिलित हैं-
    • बढ़ता परिवेशी वायु प्रदूषण,
    • बढ़ता रासायनिक प्रदूषण,
    • जरण आबादी तथा
    • प्रदूषण के संपर्क में आने वाले लोगों की बढ़ी हुई संख्या।
  • प्रदूषण के कारण समय से पूर्व होने वाली मौतें: कुल मिलाकर, प्रदूषण के परिणामस्वरूप, प्रति वर्ष 90 लाख लोग समय से पूर्व मर जाते हैं, जो संपूर्ण विश्व में होने वाली छह मौतों में से एक के बराबर है।
    • वायु प्रदूषण विश्व में सर्वाधिक मौतों का कारण बना हुआ है, जिससे 2019 में लगभग 6.7 मिलियन मौतें हुईं।
    • जल प्रदूषण लगभग 1.4 मिलियन मौतों के लिए जिम्मेदार था।
  • प्रदूषण की आर्थिक लागत: लैंसेट रिपोर्ट ने अनुमान लगाया कि भारत, चीन, इथियोपिया, नाइजीरिया, अमेरिका एवं यूरोपीय संघ सहित छह क्षेत्रों में प्रदूषण के कारण समय से पूर्व किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर भविष्य के उत्पादन का वर्तमान मूल्य खो जाता है।
    • जीवाश्म ईंधन से होने वाले वायु प्रदूषण की वैश्विक लागत लगभग 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति दिन होने का अनुमान है।

भारत के सकल घरेलू उत्पाद पर प्रदूषण का प्रभाव- लैंसेट आयोग की रिपोर्ट_4.1

भारत की जीडीपी पर प्रदूषण का प्रभाव- भारत पर लैंसेट रिपोर्ट

  • प्रदूषण: लैंसेट की रिपोर्ट कहती है कि भारत के 93 प्रतिशत हिस्से में प्रदूषण की मात्रा डब्ल्यूएचओ के दिशा निर्देशों से काफी ऊपर है।
    • यह रिपोर्ट कहती है कि 2019 में, भारत में प्रदूषण से संबंधित मौतों की अनुमानित संख्या सर्वाधिक थी।
  • समय से पूर्व मौतें: विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट 2021 में पाया गया है कि दिल्ली सहित उत्तरी भारतीय शहरों में प्रमुख प्रदूषकों में से एक, पीएम 2.5, भारत में 3,000,000 से अधिक समय से पूर्व (असमय) होने वाली मौतों का कारण है।
  • स्वास्थ्य तथा जीवन लागत: समय से पूर्व होने वाली मौतों के कारण जीवन के 62,700,000 वर्षों का नुकसान होता है, दमा (अस्थमा) के कारण 2,700,000 आकस्मिकी कक्ष का दौरा, 2,000,000 अपरिपक्व जन्म एवं 1,755,200,000 कार्य अनुपस्थिति होते हैं।
  • प्रदूषण की आर्थिक लागत: लैंसेट रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2000 में, भारत ने प्रदूषण के परिणामस्वरूप अपने सकल घरेलू उत्पाद के 3.2 प्रतिशत के समतुल्य उत्पादन खो दिया।
    • अध्ययन से पता चलता है कि प्रदूषण के कारण आर्थिक हानि अब भारत में सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 1 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया गया है।

 

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