Categories: हिंदी

द हिंदू एडिटोरियल एनालिसिस- हाउ टू बी ए ग्रीन हाइड्रोजन सुपर पावर

द हिंदू संपादकीय विश्लेषण: यूपीएससी एवं अन्य राज्य पीएससी परीक्षाओं से संबंधित विभिन्न अवधारणाओं को सरल बनाने के उद्देश्य से द हिंदू समाचार पत्र संपादकीय लेखों का संपादकीय विश्लेषण। संपादकीय विश्लेषण ज्ञान के आधार का विस्तार करने के साथ-साथ बेहतर गुणवत्ता वाले मुख्य परीक्षा के लिए उत्तरों को तैयार करने में सहायता करता है। आज का हिंदू संपादकीय विश्लेषण भारत को हरित हाइड्रोजन महाशक्ति बनाने के तरीके सुझाता है।

हरित हाइड्रोजन चर्चा में क्यों है?

2023 के केंद्रीय बजट में राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के लिए 19,700 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। यह एक ऐसे कार्यक्रम को गति प्रदान करेगा जो भारत को हरित हाइड्रोजन (सुपर) शक्ति के रूप में स्थापित कर सकता है।

हमें ग्रीन हाइड्रोजन की आवश्यकता क्यों है?

भारत 2030 तक गैर-जीवाश्म स्रोतों से 50% बिजली क्षमता के लिए प्रतिबद्ध है। किंतु साथ ही उद्योग में एक ऊर्जा परिवर्तन की आवश्यकता है। भारत में अधिकांश औद्योगिक हरित गृह गैस उत्सर्जन स्टील, सीमेंट, उर्वरक एवं पेट्रोकेमिकल्स से होता है।

  • हरित हाइड्रोजन औद्योगिक उत्सर्जन को कम करने के साथ-साथ औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने का वादा करता है।
  • जल को हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन में विखंडित करना ऊर्जा गहन है। जब यह ऊर्जा नवीकरणीय/गैर-जीवाश्म स्रोतों से आती है, तो हमें हरित हाइड्रोजन प्राप्त होती है।
  • यह एक ऊर्जा स्रोत (भारी उद्योग, लंबी दूरी की गतिशीलता, विमानन एवं ऊर्जा भंडारण) तथा एक ऊर्जा वाहक (हरी अमोनिया के रूप में या प्राकृतिक गैस के साथ मिश्रित) के रूप में कार्य कर सकता है।

भारत के हरित हाइड्रोजन लक्ष्य

भारत 2030 तक कम से कम 50 लाख टन उत्पादन का लक्ष्य बना रहा है, जो किसी भी एक अर्थव्यवस्था से बड़ा है।

  • इससे 100-125 गीगावाट (GW) नवीकरणीय ऊर्जा, 60-100 गीगा वाट विद्युत अपघट्य (इलेक्ट्रोलाइज़र), 8 लाख करोड़ रुपये के निवेश अवसर एवं 50 एमएमटी वार्षिक उत्सर्जन में कटौती की मांग पैदा होगी।
  • प्रचुर मात्रा में धूप एवं महत्वपूर्ण पवन ऊर्जा संसाधनों के साथ, भारत भौगोलिक रूप से हरित हाइड्रोजन के न्यूनतम लागत वाले उत्पादकों में से एक बन गया है।

भारत को हरित हाइड्रोजन महाशक्ति बनाने के लिए पाँच प्राथमिकताएँ

वास्तविकता में रूपांतरित करने के दृष्टिकोण के लिए, सरकार एवं उद्योग जगत को पांच प्राथमिकताओं के साथ  सामंजस्य स्थापित कर कार्य करना चाहिए।

घरेलू मांग सुनिश्चित करना एवं हरित इस्पात का उत्पादन करना

घरेलू मांग महत्वपूर्ण है। यदि हम घरेलू स्तर पर बड़े प्रतिभागी नहीं हैं, तो हम अंतरराष्ट्रीय बाजार में बड़े प्रतिभागी नहीं हो सकते।

  • ग्रीन हाइड्रोजन मिशन ने हरित हाइड्रोजन के उपभोग के लिए प्रत्यक्ष समर्थन के रूप में 13,000 करोड़ रुपए के साथ पांच वर्ष की अवधि के लिए ग्रीन हाइड्रोजन ट्रांज़िशन (स्ट्रैटेजिक इंटरवेंशन फॉरग्रीन हाइड्रोजन ट्रांजिशन/SIGHT) फंड के लिए एक रणनीतिक अंतःक्षेप पेश किया।
  • यह भारी उद्योगों को मांग बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करेगा, बड़े पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं की पेशकश करेगा जिससे आपूर्तिकर्ता कीमतों को कम कर सकते हैं।
  • तेल शोधनशालाओं (रिफाइनरियों) के लिए सम्मिश्रण अधिदेश एक और मांग प्रेरक हो सकता है। यूरिया उत्पादन संयंत्रों को इससे छूट दी गई है।
  • समय के साथ, बढ़ते हुए सम्मिश्रण अधिदेशों (यूरिया उर्वरकों सहित) के साथ लक्ष्यों को पूरा किया जा सकता है।
  • एक अन्य दृष्टिकोण सरकारी खरीद का लाभ उठाना है। विश्व में दूसरे सर्वाधिक वृहद इस्पात उत्पादक के रूप में, भारत सबसे बड़ा हरित इस्पात उत्पादक बनने की आकांक्षा कर सकता है।
  • ग्रीन हाइड्रोजन से बने ग्रीन स्टील की लागत वर्तमान में बहुत अधिक है, किंतु बृहद अर्थव्यवस्थाओं एवं उत्पादन तकनीकों में बदलाव के साथ इसे कम किया जा सकता है।
  • स्टील की सरकारी खरीद का एक हिस्सा ग्रीन स्टील में लगाया जा सकता है। भारत बाद में स्वयं को हरित इस्पात निर्यातक के रूप में स्थापित कर सकता था।

हरित हाइड्रोजन में निवेश को बढ़ावा देना

भारत घरेलू एवं विदेशी निवेश के लिए एक आकर्षक गंतव्य हो सकता है। भारत में घोषित/जारी हरित हाइड्रोजन उत्पादन परियोजनाएं अन्य की तुलना में बहुत कम हैं।

  • हरित हाइड्रोजन परिवहन के लिए कठिन एवं महंगा है।
  • मिशन उत्पादन, अंतिम उपयोग तथा निर्यात को मजबूत करने के लिए हरित हाइड्रोजन केंद्र की कल्पना करता है।
  • एक मिशन सचिवालय यह सुनिश्चित कर सकता है कि परियोजना को प्रदान की जाने वाली स्वीकृति सुव्यवस्थित हो तथा वित्तीय जोखिम कम हो।

घरेलू विद्युत अपघट्य निर्माण का समर्थन करें

प्रदर्शन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना के तहत विद्युत अपघट्य (इलेक्ट्रोलाइजर) निर्माण का समर्थन करने के लिए साइट (SIGHT) फंड 4,500 करोड़ रुपए की पेशकश करता है। वर्तमान में, निर्माता स्टैक आयात कर रहे हैं एवं उन्हें समन्वायोजन रहे हैं।

  • हमें भारत में इलेक्ट्रोलाइज़र के सर्वाधिक महत्वपूर्ण  तथा उच्च मूल्य वाले घटकों के निर्माण में – लक्षित सार्वजनिक धन के साथ – और अधिक प्रतिस्पर्धी बनना चाहिए।
  • मूल्य संवर्धन को लक्षित नहीं करने से इलेक्ट्रोलाइज़र तकनीकें एवं उत्पादन पुनः केंद्रित हो जाएगा।
  • चीन 2030 तक 38% इलेक्ट्रोलाइज़र क्षमता को नियंत्रित कर सकता है।
  • उच्च दक्षता लक्ष्यों, विशिष्ट अनुप्रयोग आवश्यकताओं को प्राप्त करने, गैर- स्वच्छ जल का उपयोग करने में सक्षम होने एवं महत्वपूर्ण खनिजों को प्रतिस्थापित करने के लिए इलेक्ट्रोलाइजर तकनीक में सुधार किया जाना चाहिए।

लोचशील आपूर्ति श्रृंखलाओं की स्थापना एवं प्रोत्साहित करना

लोचशील आपूर्ति श्रृंखलाओं को विकसित करने के लिए भारत को द्विपक्षीय साझेदारी स्थापित करनी चाहिए। विश्व स्तर पर, लगभग 63 द्विपक्षीय साझेदारियाँ उभरी हैं; जर्मनी, दक्षिण कोरिया एवं जापान के पास सर्वाधिक है। क्रमशः जापान  अथवा यूरोपीय संघ को बिक्री के लिए येन-  अथवा यूरो-नामित ऋण का उपयोग करने से पूंजी की लागत कम हो सकती है एवं हमें निर्यात प्रतिस्पर्धी बनने में सहायता प्राप्त हो सकती है।

  • कई द्विपक्षीय सौदे आयात-निर्यात पर केंद्रित हैं किंतु कुछ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण या निवेश से संबंधित हैं।
  • भारत को समान विचारधारा वाले देशों के साथ व्यापार, मूल्य श्रृंखला, अनुसंधान एवं विकास तथा मानकों पर सहयोग करना चाहिए।
  • मिशन  अनुसंधान एवं विकास ( रिसर्च एंड डेवलपमेंट/आरएंडडी) के लिए 400 करोड़ रुपये आवंटित करता है, जिसे प्रौद्योगिकी सह-विकास में निजी पूंजी में समूह का लाभ उठाया जा सकता है।
  • भारतीय कंपनियों को अच्छे नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों एवं सस्ते वित्त वाले देशों में संयुक्त परियोजनाओं पर विचार करना चाहिए।

वैश्विक हरित हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था के लिए नियम विकसित करें

वैश्विक हरित हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था के लिए नियम विकसित करने हेतु भारत को प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के साथ समन्वय करना चाहिए। सामान्य वैश्विक ढांचों के अभाव में, नियमों एवं मानकों के लिए प्रयास संरचित अंतर-सरकारी प्रक्रियाओं के स्थान पर निजी निगमों के संगठन द्वारा संचालित किए जा रहे हैं।

  • प्रमुख बाजारों में पहले से ही परस्पर विरोधी नियमों एवं संरक्षणवादी उपायों के संकेत हैं। इसने भारत की महत्वाकांक्षाओं को खतरे में डाल दिया।
  • भारत की जी-20 समूह की अध्यक्षता वैश्विक हरित हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था के लिए नियम निर्मित करने का एक अवसर है।
  • इन नियमों को परिचालन संबंधी खतरों, औद्योगिक प्रतिस्पर्धात्मकता एवं सामरिक खतरों को संबोधित करना चाहिए।

निष्कर्ष

भारत को हरित हाइड्रोजन पर एक वैश्विक नेटवर्क को प्रोत्साहित करना चाहिए जिसके माध्यम से कंपनियां सहयोग कर सकें। हरित हाइड्रोजन 21वीं सदी का एक महत्वपूर्ण औद्योगिक ईंधन होगा। भारत हमारे सामूहिक हित एवं ग्रह के हित में नेतृत्व  प्रदर्शित करने के लिए अच्छी स्थिति में है।

 

हरित हाइड्रोजन के संदर्भ में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न. भारत का हरित हाइड्रोजन लक्ष्य क्या है?

उत्तर. भारत 2030 तक कम से कम 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य बना रहा है, जो कि किसी भी एक अर्थव्यवस्था से बड़ा है।

 

प्रश्न. ग्रीन हाइड्रोजन कैसे बनाया जाता है?

उत्तर. जल को हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन में विखंडित करना ऊर्जा गहन है। जब यह ऊर्जा नवीकरणीय/गैर-जीवाश्म स्रोतों से आती है, तो हमें हरित हाइड्रोजन प्राप्त होती है।

 

 

FAQs

What is India's Green Hydrogen Targets?

India is targeting at least five million tonnes of Green Hydrogen production by 2030, which is larger than that of any single economy.

How Green Hydrogen is Produced?

Splitting water into hydrogen and oxygen is energy-intensive. When this energy comes from renewable/non-fossil sources, we get green hydrogen.

manish

Recent Posts

Indian Western and Eastern Ghats: Difference, Significances

The Western and Eastern Ghats are two formidable mountain ranges in India, with the Deccan…

46 mins ago

Indian Postal Service (IPoS)- Function, Pay Scale, Eligibility

The Indian Postal Service holds a prestigious position among India's Group 'A' Civil Services, managing…

2 hours ago

UP Higher Judiciary Previous Year Papers, Download PDF

The Allahabad High Court is recruiting advocates for the Uttar Pradesh Higher Judicial Service (HJS)…

3 hours ago

Crown Rule in India: Legislation and Regulatory Frameworks

The term "Crown rule in India" denotes the direct governance exercised by the British Crown…

4 hours ago

Himalayan Ranges: Exploring the Greater, Middle, and Shiwalik Ranges

The Himalayan mountain range delineates the boundary between the Indian subcontinent and the Tibetan Plateau…

21 hours ago

India’s Geographical Extent and Frontiers: A Detailed Overview

India, the seventh-largest country in the world, is distinguished from the rest of Asia by…

22 hours ago