द हिंदू संपादकीय विश्लेषण: यूपीएससी एवं अन्य राज्य पीएससी परीक्षाओं से संबंधित विभिन्न अवधारणाओं को सरल बनाने के उद्देश्य से द हिंदू समाचार पत्र संपादकीय लेखों का संपादकीय विश्लेषण। संपादकीय विश्लेषण ज्ञान के आधार का विस्तार करने के साथ-साथ बेहतर गुणवत्ता वाले मुख्य परीक्षा के लिए उत्तरों को तैयार करने में सहायता करता है। आज का हिंदू संपादकीय विश्लेषण भारत को हरित हाइड्रोजन महाशक्ति बनाने के तरीके सुझाता है।
2023 के केंद्रीय बजट में राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के लिए 19,700 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। यह एक ऐसे कार्यक्रम को गति प्रदान करेगा जो भारत को हरित हाइड्रोजन (सुपर) शक्ति के रूप में स्थापित कर सकता है।
भारत 2030 तक गैर-जीवाश्म स्रोतों से 50% बिजली क्षमता के लिए प्रतिबद्ध है। किंतु साथ ही उद्योग में एक ऊर्जा परिवर्तन की आवश्यकता है। भारत में अधिकांश औद्योगिक हरित गृह गैस उत्सर्जन स्टील, सीमेंट, उर्वरक एवं पेट्रोकेमिकल्स से होता है।
भारत 2030 तक कम से कम 50 लाख टन उत्पादन का लक्ष्य बना रहा है, जो किसी भी एक अर्थव्यवस्था से बड़ा है।
वास्तविकता में रूपांतरित करने के दृष्टिकोण के लिए, सरकार एवं उद्योग जगत को पांच प्राथमिकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित कर कार्य करना चाहिए।
घरेलू मांग महत्वपूर्ण है। यदि हम घरेलू स्तर पर बड़े प्रतिभागी नहीं हैं, तो हम अंतरराष्ट्रीय बाजार में बड़े प्रतिभागी नहीं हो सकते।
भारत घरेलू एवं विदेशी निवेश के लिए एक आकर्षक गंतव्य हो सकता है। भारत में घोषित/जारी हरित हाइड्रोजन उत्पादन परियोजनाएं अन्य की तुलना में बहुत कम हैं।
प्रदर्शन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना के तहत विद्युत अपघट्य (इलेक्ट्रोलाइजर) निर्माण का समर्थन करने के लिए साइट (SIGHT) फंड 4,500 करोड़ रुपए की पेशकश करता है। वर्तमान में, निर्माता स्टैक आयात कर रहे हैं एवं उन्हें समन्वायोजन रहे हैं।
लोचशील आपूर्ति श्रृंखलाओं को विकसित करने के लिए भारत को द्विपक्षीय साझेदारी स्थापित करनी चाहिए। विश्व स्तर पर, लगभग 63 द्विपक्षीय साझेदारियाँ उभरी हैं; जर्मनी, दक्षिण कोरिया एवं जापान के पास सर्वाधिक है। क्रमशः जापान अथवा यूरोपीय संघ को बिक्री के लिए येन- अथवा यूरो-नामित ऋण का उपयोग करने से पूंजी की लागत कम हो सकती है एवं हमें निर्यात प्रतिस्पर्धी बनने में सहायता प्राप्त हो सकती है।
वैश्विक हरित हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था के लिए नियम विकसित करने हेतु भारत को प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के साथ समन्वय करना चाहिए। सामान्य वैश्विक ढांचों के अभाव में, नियमों एवं मानकों के लिए प्रयास संरचित अंतर-सरकारी प्रक्रियाओं के स्थान पर निजी निगमों के संगठन द्वारा संचालित किए जा रहे हैं।
भारत को हरित हाइड्रोजन पर एक वैश्विक नेटवर्क को प्रोत्साहित करना चाहिए जिसके माध्यम से कंपनियां सहयोग कर सकें। हरित हाइड्रोजन 21वीं सदी का एक महत्वपूर्ण औद्योगिक ईंधन होगा। भारत हमारे सामूहिक हित एवं ग्रह के हित में नेतृत्व प्रदर्शित करने के लिए अच्छी स्थिति में है।
प्रश्न. भारत का हरित हाइड्रोजन लक्ष्य क्या है?
उत्तर. भारत 2030 तक कम से कम 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य बना रहा है, जो कि किसी भी एक अर्थव्यवस्था से बड़ा है।
प्रश्न. ग्रीन हाइड्रोजन कैसे बनाया जाता है?
उत्तर. जल को हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन में विखंडित करना ऊर्जा गहन है। जब यह ऊर्जा नवीकरणीय/गैर-जीवाश्म स्रोतों से आती है, तो हमें हरित हाइड्रोजन प्राप्त होती है।
India is targeting at least five million tonnes of Green Hydrogen production by 2030, which is larger than that of any single economy.
Splitting water into hydrogen and oxygen is energy-intensive. When this energy comes from renewable/non-fossil sources, we get green hydrogen.
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