Home   »   संपादकीय विश्लेषण: एलपीजी की ऊंची कीमतें...   »   संपादकीय विश्लेषण: एलपीजी की ऊंची कीमतें...

संपादकीय विश्लेषण: एलपीजी की ऊंची कीमतें वायु प्रदूषण की लड़ाई को झुलसा रही हैं

प्रासंगिकता

  • जीएस 2: आधारिक अवसंरचना: ऊर्जा, बंदरगाह, सड़कें, हवाई अड्डे, रेलवे इत्यादि।

 

प्रसंग

  • एलपीजी पुनर्भरण (रिफिल) का मूल्य इस वर्ष नवंबर में 50% से अधिक बढ़कर 900 रुपये प्रति सिलेंडर हो गया है, जबकि विगत एक वर्ष में यह लगभग 600 रुपये थी
  • मई 2020 के पश्चात से रिफिल सब्सिडी नहीं होने से, अनेक परिवारों के बारे में चिंता है जो अब जलावन की लकड़ी एवं गोबर के उपले जैसे ऊर्जा के प्रदूषणकारी स्रोतों का उपयोग करने की ओर वापस जा सकते हैं।

संपादकीय विश्लेषण: एलपीजी की ऊंची कीमतें वायु प्रदूषण की लड़ाई को झुलसा रही हैं_3.1

मुख्य बिंदु

  • खाना पकाने के लिए ठोस ईंधन का उपयोग भारत में वायु प्रदूषण में प्रमुख योगदानकर्ता है।
  • ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी 2019 के अनुसार, यह भारत में अमसामयिक (समय से पूर्व होने वाली) मौतों का कारण भी बन रहा है,  जिसके प्रत्येक वर्ष लगभग 600,000 से अधिक होने का अनुमान है।
  • सरकार ने स्वच्छ ईंधन को प्रोत्साहन देने हेतु प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना प्रारंभ की है।
  • इस योजना के तहत, सरकार ने 80 मिलियन से अधिक सब्सिडी वाले एलपीजी कनेक्शन वितरित किए।

 

उज्जवला की सफलता

  • ऊर्जा, पर्यावरण एवं जल परिषद (सीईईडब्ल्यू) तथा सतत ऊर्जा नीति के लिए पहल द्वारा आयोजित भारत आवासीय ऊर्जा सर्वेक्षण (आईआरईएस) 2020 के अनुसार:
    • एलपीजी ने अब बायोमास को भारत में खाना पकाने के सर्वाधिक आम ईंधन के रूप में प्रतिस्थापित कर दिया है
    • लगभग 85% भारतीय घरों में एलपीजी कनेक्शन है एवं 71% इसका उपयोग खाना पकाने हेतु अपने प्राथमिक ईंधन के रूप में करते हैं, जबकि एक दशक पूर्व यह मात्र 30% था।
    • रुझानों के इस उलटफेर के लिए उज्जवला की सफलता को उत्तरदायी ठहराया जा सकता है।
  • खाना पकाने के ठोस ईंधन के उपयोग में इस गिरावट ने वायु प्रदूषण में इस क्षेत्र के योगदान को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया होगा।

 

वर्तमान मुद्दे

  • एलपीजी की ऊंची कीमतों के कारण, लगभग 30% भारतीय परिवार खाना पकाने के अपने प्राथमिक ईंधन के रूप में बायोमास पर निर्भरता को जारी रखें हैं
  • बायोमास के उपयोग का प्रचलन मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, विशेष रूप से बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में केंद्रित है
  • शहरी मलिन बस्तियां भी महत्वपूर्ण हॉटस्पॉट हैं जहां खाना पकाने के लिए बायोमास का उपयोग व्यापक रूप से प्रचलित है।
  • इसके अतिरिक्त, निशुल्क बायोमास की सुगम उपलब्धता एवं एलपीजी रिफिल की होम डिलीवरी की कमी ठोस ईंधन के विश्वसनीय एवं किफायती प्रतिस्थापन के रूप में एलपीजी की प्रभावशीलता को और कम कर देती है।

 

प्रस्तावित समाधान

सब्सिडी को पुनः बहाल करना

  • अल्प आय वाले परिवारों के लिए एलपीजी रिफिल पर सब्सिडी पुनः बहाल करना।
  • कोविड-19 ने पहले ही नियमित आधार पर घरों में एलपीजी का खर्च उठाने की क्षमता को प्रभावित किया है। इस प्रकार, अनेक घरों में एलपीजी के उपयोग को समर्थन देने के लिए सब्सिडी को पुनः प्रारंभ करना महत्वपूर्ण होगा।
  • सरकार लाभार्थियों का अभिनिर्धारण करने के लिए विविध दृष्टिकोणों का भी पता लगा सकती है। इसमें सब्सिडी प्रावधान को वार्षिक सात से आठ एलपीजी रिफिल तक सीमित करना एवं मजबूत संकेतकों का उपयोग करके संपन्न परिवारों को सब्सिडी के दायरे से अपवर्जित करना शामिल हो सकता है।

 

सभी उपभोक्ताओं के लिए एलपीजी की समय पर उपलब्धता को बढ़ावा देना

  • शहरी मलिन बस्तियों में निवास करने वाले परिवारों में बायोमास के उपयोग के पीछे एलपीजी सिलेंडरों की खराब पहुंच एक प्रमुख कारक है। इसके अतिरिक्त,  मात्र आधे ग्रामीण एलपीजी उपयोगकर्ताओं को एलपीजी रिफिल की होम डिलीवरी प्राप्त होती है।
  • एलपीजी आपूर्ति श्रृंखला को सुदृढ़ करने एवं समय पर सेवा वितरण को लागू करने की आवश्यकता है, विशेष रूप से उन राज्यों में जहां बड़ी संख्या में उज्ज्वला कनेक्शन एवं स्लम आबादी है।
  • इसके लिए स्वयं सहायता समूहों को भी अनुबंधित किया जा सकता है। वे न केवल कुल मांग में सहायता करेंगे बल्कि सुदूर (दूर-दराज के) क्षेत्रों में रोजगार भी सृजित करेंगे।

 

स्थानीय रूप से उपलब्ध बायोमास हेतु एक नया बाजार निर्मित करना

  • प्रायोगिक पहलों को प्रारंभ किया जाना चाहिए जो विकेन्द्रीकृत प्रसंस्करण इकाइयों में स्थानीय रूप से उपलब्ध बायोमास के उपयोग को बढ़ावा देने पर केंद्रित हो जो औद्योगिक एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के लिए कोयले की ईंटों (ब्रिकेट) एवं गुटिकाओं (पैलेट) का निर्माण करती है।
    • उदाहरण के लिए, नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन ने हाल ही में अपने ऊर्जा स्टेशनों को चलाने हेतु बायोमास पैलेट की आपूर्ति के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं।
  • सरकार उद्यमियों को ऐसी गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित भी कर सकती है।
  • इसी तरह, किफायती परिवहन हेतु सतत वैकल्पिक (सस्टेनेबल अल्टरनेटिव टूवर्ड्स अफोर्डेबल ट्रांसपोर्टेशन) (सैटैट) योजना के तहत स्थापित किए जा रहे संपीड़ित (कंप्रेस्ड) बायोगैस (सीबीजी) उत्पादन संयंत्रों को स्थानीय रूप से उपलब्ध बायोमास (फसल के ठूंठ या उपले सहित) की आपूर्ति के लिए परिवारों को प्रोत्साहित किया जा सकता है।
  • इस तरह के उपाय स्थानीय आय एवं आजीविका के अवसरों में वृद्धि करने में सहायता करेंगे, बदले में ग्रामीण परिवारों को नियमित आधार पर एलपीजी का उपयोग करने हेतु प्रोत्साहित करेंगे।

 

संपादकीय विश्लेषण: एलपीजी की ऊंची कीमतें वायु प्रदूषण की लड़ाई को झुलसा रही हैं_4.1

निष्कर्ष

  • सरकार ने हाल ही में निर्धन परिवारों को 10 मिलियन अतिरिक्त निशुल्क एलपीजी कनेक्शन वितरित करने के लिए उज्ज्वला 2.0 योजना प्रारंभ की है।
  • यद्यपि, यदि हम चाहते हैं कि परिवार प्रदूषणकारी बायोमास से दूर रहें, तो रिफिल के लिए एलपीजी सिलेंडर की वहनीयता एवं समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करना अनिवार्य होगा।
  • इस तरह के प्रयास हमारे नागरिकों के स्वास्थ्य एवं कल्याण में सुधार लाने में अत्यंत सहायक सिद्ध होंगे।
जलवायु परिवर्तन के लिए पेरिस समझौता क्योटो प्रोटोकॉल विश्व असमानता रिपोर्ट 2022 संपादकीय विश्लेषण- आंगनबाड़ियों को पुनः खोलने की आवश्यकता
15वां वित्त आयोग स्मार्ट सिटीज मिशन विस्तारित राज्य वित्त: 2021-22 के बजट का एक अध्ययन मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का प्रभाव अध्ययन
अल्प उपयोग किया गया पोषण परिव्यय भारत की भौतिक विशेषताएं: भारतीय मरुस्थल कृषि क्षेत्र का डिजिटलीकरण: सरकार के कदम संपादकीय विश्लेषण: मिस्र में कॉप 27, खाद्य प्रणालियों पर ध्यान केंद्रित करना 

Sharing is caring!

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *