Home   »   The Need to Reopen Anganwadis   »   The Need to Reopen Anganwadis

संपादकीय विश्लेषण- आंगनबाड़ियों को पुनः खोलने की आवश्यकता

आंगनबाड़ियों को पुनः खोलने की आवश्यकता- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: केंद्र एवं राज्यों द्वारा आबादी के कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं एवं इन योजनाओं का प्रदर्शन;
    • इन कमजोर वर्गों की सुरक्षा एवं बेहतरी के लिए गठित तंत्र, कानून, संस्थान एवं निकाय।

 

आंगनबाड़ियों को पुनः खोलने की आवश्यकता- संदर्भ

  • कर्नाटक, बिहार एवं तमिलनाडु शीघ्र ही अपनी आंगनवाड़ी खोल रहे हैं अथवा खोलने पर विचार कर रहे हैं। अप्रैल 2020-लॉकडाउन के बाद से आंगनबाड़ियों को बंद कर दिया गया है।
  • उनके बंद होने से सेवा वितरण पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ा एवं एक महत्वपूर्ण सामाजिक सुरक्षा जाल कमजोर हुआ।

संपादकीय विश्लेषण- आंगनबाड़ियों को पुनः खोलने की आवश्यकता_3.1

आंगनबाड़ियों को पुनः खोलने की आवश्यकता

  • आंगनबाड़ियों के बारे में: आंगनबाड़ियों को एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) के एक भाग के रूप में निर्मित किया गया है। आईसीडीएस भारत में 0-6 वर्ष की आयु के लगभग 88 मिलियन बच्चों को आच्छादित करता है।
  • प्रमुख कार्य: आंगनबाड़ी, विशेष रूप से निम्न-आय वाले परिवारों के बच्चों की देखभाल, स्वास्थ्य एवं पोषण, शिक्षा, पूरक पोषण, टीकाकरण, स्वास्थ्य जांच एवं रेफरल सेवाएं प्रदान करके परिवारों की सहायता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
  • आंगनबाड़ियों को पुनः खोलने की आवश्यकता:
    • राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सेवा (एनएफएचएस)- 5 के आंकड़ों के अनुसार, 2019-20 में, पांच वर्ष की आयु के 15% से कम बच्चे किसी भी प्राथमिक-पूर्व (प्री-प्राइमरी) विद्यालय में पढ़ते हैं।
    • एक अनुमान से पता चलता है कि महामारी के दौरान महिलाओं द्वारा अवैतनिक कार्य पर खर्च किए जाने वाले समय में 30% की वृद्धि हो सकती है।
    • आठ राज्यों में एक कोविड-19 ग्रामीण घरेलू सर्वेक्षण में, 58% महिलाओं ने अवैतनिक कार्य में वृद्धि के लिए होम-स्कूलिंग को सर्वाधिक वृहद योगदानकर्ता बताया।

 

आंगनबाड़ियों को पुनः खोलने की आवश्यकता- प्रमुख महत्व

  • बाल कल्याण: नवंबर 2018 एवं नवंबर 2019 में पांच राज्यों में आईडी इनसाइट द्वारा किए गए सर्वेक्षण में पाया गया कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता परिवारों के लिए पोषण संबंधी जानकारी का प्राथमिक स्रोत थीं।
    • राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020, प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा (ईसीसीई) तक पहुंच को सार्वभौमिक बनाने के लिए आंगनवाड़ियों को केंद्र में रखती है।
  • आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना: छोटे बच्चों को आंगनबाड़ियों में भेजने से आर्थिक गतिविधियों सहित महिलाओं का समय रिक्त हो जाएगा।
  • आरंभिक बाल्यावस्था के विकास हेतु महत्वपूर्ण:  आरंभिक बाल्यावस्था की शिक्षा एवं पोषण सहायता के लिए एक मंच के रूप में, आंगनबाड़ी बच्चों की क्षमता को प्राप्त करने हेतु एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।

 

आंगनबाड़ियों को पुनः खोलने की आवश्यकता- संबद्ध चुनौतियां

  • प्रमुख ज्ञान का अभाव: 2018-19 के एक सर्वेक्षण में पाया गया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ सूचीबद्ध माताओं में, पूरक आहार एवं हाथ धोने जैसे प्रमुख स्वास्थ्य व्यवहार के बारे में ज्ञान कम था, जो 54% एवं 49% था।
  • उचित प्रशिक्षण का अभाव: आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के पास प्रायः आरंभिक बाल्यावस्था की देखभाल एवं शिक्षा (ईसीसीई) प्रदान करने के लिए योग अथवा प्रशिक्षण नहीं होता है।
  • प्रशासनिक कार्य का बोझ: प्रशासनिक उत्तरदायित्त्वों  में महत्वपूर्ण समय लगता है, एवं विद्यालय-पूर्व शिक्षा जैसी मुख्य सेवाओं को प्राथमिकता नहीं दी जाती है।
    • एक सामान्य कर्मी अनुशंसित दैनिक 120 मिनट की तुलना में अपने समय का अनुमानित 10% (प्रति दिन 28 मिनट) पूर्व-विद्यालय शिक्षा पर व्यय करता है।
  • अपर्याप्त बुनियादी ढांचा: नीति आयोग ने पाया कि मात्र 59% आंगनवाड़ियों में बच्चों एवं कार्यकर्ताओं के लिए बैठने हेतु पर्याप्त स्थान उपलब्ध था एवं उनमें आधे से अधिक अस्वच्छ थे।
  • विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में आंगनवाड़ी सेवाओं का अपर्याप्त उपयोग: एनएफएचएस -4 के आंकड़ों के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में, ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 42% की तुलना में आंगनवाड़ी में आरंभिक शिशु देखभाल सेवाओं का उपयोग मात्र 28% है।

संपादकीय विश्लेषण- आंगनबाड़ियों को पुनः खोलने की आवश्यकता_4.1

आंगनबाड़ियों को पुनः खोलने की आवश्यकता- आगे की राह

  • संसाधनों का निवेश करना: भारत को उन आंगनवाड़ियों में दृढ़ता से निवेश करना चाहिए जो बाल्यावस्था की सेवाओं पर विश्व का सर्वाधिक वृहद सामाजिक कार्यक्रम हैं।
  • आरंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा (ईसीसीई) तक पहुंच को सार्वभौमिक बनाना: इस संदर्भ में, हाल ही में, सरकार ने 2021-22 से आरंभ होकर, सभी आंगनवाड़ियों में ईसीसीई कार्यक्रम के चरणबद्ध रोलआउट का प्रस्ताव रखा, जिसमें प्रत्येक वर्ष एक भाग का -पांचवां हिस्सा शामिल है।
  • घरेलू दौरों को बढ़ावा देना: ओडिशा एवं आंध्र प्रदेश (एवं विश्व स्तर पर) में किए गए अध्ययनों से पता चला है कि घर के दौरे, जहां स्वयंसेवक बच्चों एवं देखभाल करने वालों के साथ कार्य करते हैं, ने संज्ञान, भाषा, प्रेरक विकास एवं पोषण सेवन में उल्लेखनीय सुधार किया है और साथ ही वृद्धिरोध (स्टंटिंग) को भी कम किया है
  • गृह-आधारित नवजात एवं छोटे बच्चों की देखभाल को बढ़ावा देना: आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ निर्बाध समन्वय के साथ, उन्हें बच्चे के जीवन के आरंभिक कुछ महीनों से आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।
  • आंगनबाड़ियों के पारिश्रमिक एवं वृत्ति विकास के अवसर: अनेक राज्यों को आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए करियर प्रोत्साहन और पारिश्रमिक में सुधार करना होगा।
  • अतिरिक्त आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का परिनियोजन: तमिलनाडु में हाल के एक अध्ययन में पाया गया कि एक अतिरिक्त कार्यकर्ता जो विद्यालय पूर्व शिक्षा के लिए समर्पित है, ने अधिगम एवं पोषण दोनों में लागत प्रभावी लाभ अर्जित किया है।

 

आंगनबाड़ियों को पुनः खोलने की आवश्यकता- निष्कर्ष

  • आरंभिक बाल्यावस्था की सेवाओं के विश्व के सर्वाधिक वृहद प्रदाता के रूप में, आंगनवाड़ी संपूर्ण भारत में बच्चों के जीवन के परिणामों में योगदान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • इन परिणामों में सुधार करने के लिए, हमें आंगनवाड़ियों में और अधिक महत्वपूर्ण निवेश करने की आवश्यकता है, एवं सिद्ध अभिनव अंतःक्षेपों को रोल आउट करना होगा।

 

अल्प उपयोग किया गया पोषण परिव्यय भारत की भौतिक विशेषताएं: भारतीय मरुस्थल आजादी का डिजिटल महोत्सव- डिजिटल भुगतान उत्सव ऑनलाइन गेमिंग: राज्यसभा द्वारा मुद्दे को उठाना
15वां वित्त आयोग स्मार्ट सिटीज मिशन विस्तारित राज्य वित्त: 2021-22 के बजट का एक अध्ययन मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का प्रभाव अध्ययन
कृषि क्षेत्र का डिजिटलीकरण: सरकार के कदम संपादकीय विश्लेषण: मिस्र में कॉप 27, खाद्य प्रणालियों पर ध्यान केंद्रित करना  राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण पारिस्थितिक संकट रिपोर्ट 2021

 

Sharing is caring!

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *