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भारत की भौतिक विशेषताएं: प्रासंगिकता
- जीएस 1: विश्व भर में प्रमुख प्राकृतिक संसाधनों का वितरण
भारत की भौतिक विशेषताएं
- भारत की भौतिक विशेषताओं को प्रमुख रूप से 6 भागों में विभाजित किया जा सकता है:
- उत्तरी एवं उत्तर-पूर्वी पर्वत
- उत्तरी मैदान
- प्रायद्वीपीय पठार
- भारतीय मरुस्थल
- तटीय मैदान
- द्वीप समूह।
- हम पूर्व में ही हिमालय, उत्तरी मैदानों, प्रायद्वीपीय पठारों एवं भारत के तटीय मैदानों के संदर्भ में व्यापक रूप से चर्चा कर चुके हैं। इस लेख में, हम भारतीय मरुस्थल पर चर्चा करेंगे।
भारतीय मरुस्थल
- अवस्थिति: अरावली पहाड़ियों के उत्तर पश्चिम में।
- अभिविन्यास: अभिविन्यास के आधार पर, मरुस्थल को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है: उत्तरी भाग सिंध की ओर एवं दक्षिणी भाग कच्छ के रण की ओर प्रवण है।
- विशेषताएं: यह अनुदैर्ध्य टीलों एवं चापाकार टिब्बा (बरखानों) से युक्त अनुदैर्ध्य स्थलाकृति की भूमि है।
- बरखान: बरखान अर्धचंद्राकार रेत के टीले होते हैं जो रेगिस्तानी रेत से बनते हैं। बरखानों की एक विभेदक विशेषता यह है कि यह सदैव वायु की दिशा में होता है। यह तब निर्मित होता है जब रेगिस्तान में अत्यधिक मात्रा में रेत उपस्थित होती है।
भारतीय मरुस्थल: मरुस्थली
- मरुस्थलीय क्षेत्र में प्रति वर्ष 150 मिमी से कम वर्षा होती है।
- इस कारण से, इसकी जलवायु न्यून वनस्पति आवरण के साथ शुष्क जलवायु है।
- न्यून वर्षा एवं उच्च वाष्पीकरण इसे जल के अभाव वाला क्षेत्र बनाते हैं।
- इन विशिष्ट विशेषताओं के कारण ही इस क्षेत्र को मरुस्थली के नाम से भी जाना जाता है।
भारतीय मरुस्थल: भूवैज्ञानिक इतिहास
- मेसोजोइक युग के दौरान, भारतीय मरुस्थल समुद्र के नीचे था।
- साक्ष्य: आकल में काष्ठ के जीवाश्म उद्यान एवं जैसलमेर के समीप ब्रह्मसर के आसपास समुद्री निक्षेप।
- रेगिस्तान की अंतर्निहित चट्टान संरचना प्रायद्वीपीय पठार का विस्तार है, यद्यपि, अत्यधिक शुष्क परिस्थितियों के कारण, इसकी सतह की विशेषताओं को भौतिक अपक्षय एवं पवन क्रियाओं द्वारा उत्कीर्णित किया गया है।
भारतीय मरुस्थल: विशेषताएं
- थार मरुस्थल: भारत में थार मरुस्थल का लगभग 85% भाग है जबकि शेष पाकिस्तान में है।
- थार रेगिस्तान में जीव: काला हिरण, चिंकारा, भारतीय जंगली गधा, काराकल, लाल लोमड़ी, मयूर, भेड़िया, रेतका पक्षी (सैंड ग्रोउस), तेंदुआ, एशियाई जंगली बिल्ली।
- रेगिस्तानी भूमि की विशेषताएं: छत्रक शैल, स्थानांतरी टिब्बा (स्थानीय रूप से ध्रियां कहलाते हैं) एवं मरूद्यान (नखलिस्तान) (अधिकांशत: इसके दक्षिणी भाग में)।
- उर्वरता: शुष्क नदी तलों (जैसे सरस्वती) की उपस्थिति से संकेत मिलता है कि यह क्षेत्र कभी उपजाऊ था।
- राजस्थान बागर क्षेत्र में अनेक छोटी मौसमी धाराएँ हैं। ये धाराएं रोही नामक कुछ उपजाऊ क्षेत्रों में कृषि कार्यों में सहयोग करती हैं।
- बागर: अर्ध-मरुस्थली क्षेत्र जो अरावली के पश्चिम में स्थित है।
- नदियाँ: इस क्षेत्र की अधिकांश नदियाँ (जैसे, लूनी) हिमालयी नदियां जो सदावाही (बारहमासी) हैं, के विपरीत अल्पकालिक हैं ।
- लूणी का उद्गम अरावली श्रेणी की पुष्कर घाटी में होता है।
- कुछ नदियाँ ऐसी होती हैं जो कुछ दूरी तक प्रवाहित होने के बाद लुप्त हो जाती हैं एवं झील या प्लाया से जुड़कर अंतः स्थलीय जल अपवाह प्रणाली का एक विशिष्ट संदर्भ प्रस्तुत करती हैं। झीलों एवं प्लाया में खारा जल होता है जो नमक प्राप्त करने का मुख्य स्रोत है।
- थार मरुस्थल को विश्व का सर्वाधिक समृद्ध मरुस्थल कहा जाता है क्योंकि यह भारत एवं विश्व में ऊन का सर्वाधिक वृहद उत्पादक है। इसके अतिरिक्त, जिप्सम और काओलिन जैसे खनिज भी इस क्षेत्र में पाए जाते हैं।