यूपीएससी के लिए मनरेगा संबंधित मुद्दों का महत्व
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के लिए मनरेगा से संबंधित सभी मुद्दे अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। जैसा कि, मनरेगा योजना की स्थापना के पश्चात से, लगभग प्रत्येक वर्ष यूपीएससी यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा एवं मुख्य परीक्षा दोनों में इस योजना से जुड़े प्रश्न पूछता है।
सिविल सेवा मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम के तहत मनरेगा में जीएस पेपर 2: निर्धनता, सरकारी नीतियां एवं अंतः क्षेप, विकास से संबंधित मुद्दे एवं जीएस पेपर 3: रोजगार, वृद्धि एवं विकास शामिल है।
मनरेगा चर्चा में क्यों है?
- केंद्र सरकार ने हाल ही में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (महात्मा गांधी नेशनल रूरल एंप्लॉयमेंट गारंटी एक्ट/मनरेगा) योजना के कार्यान्वयन की समीक्षा के लिए एक पैनल/समिति का गठन किया है।
- पूर्व ग्रामीण विकास सचिव अमरजीत सिन्हा की अध्यक्षता वाली समिति की पहली बैठक 21 नवंबर, 2022 को हुई थी एवं उसे अपने सुझाव देने के लिए तीन माह का समय दिया गया है।
मनरेगा पैनल की पृष्ठभूमि
- फरवरी 2022 में ग्रामीण विकास पर बनी स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें बदलते समय एवं उभरती चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में संपूर्ण बदलाव का सुझाव दिया था।
- समिति ग्रामीण विकास विभाग से मनरेगा योजना की समग्र समीक्षा इस तरह से करने की पुरजोर सिफारिश करती है जिससे काम के गारंटीकृत दिनों को 100 से बढ़ाकर 150 दिन करना सुनिश्चित किया जा सके।
मनरेगा योजना के बारे में जानिए
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 में पारित किया गया था एवं यह मांग-संचालित योजना प्रत्येक ग्रामीण परिवार के लिए प्रति वर्ष 100 दिनों के अकुशल कार्य की गारंटी देती है जो इस कार्य को करने हेतु इच्छुक हैं।
- मनरेगा को ग्रामीण क्षेत्र के लिए निर्धनता उन्मूलन के साधन के रूप में प्रारंभ किया गया था, जो उन्हें गारंटीकृत काम एवं मजदूरी के रूप में एक सुरक्षा जाल प्रदान करता है।
- योजना के तहत वर्तमान में 15.51 करोड़ सक्रिय श्रमिक नामांकित हैं। किंतु उत्तर प्रदेश एवं बिहार जैसे राज्य जहां गरीबी का उच्च स्तर है, वे इस योजना का बेहतर उपयोग नहीं कर पाए हैं।
मनरेगा में सुधार पर ग्रामीण विकास पर स्थायी समिति ने क्या सिफारिश की?
- ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज पर संसदीय स्थायी समिति ने फरवरी 2022 में मनरेगा पर रिपोर्ट प्रस्तुत की।
- योजना के अपने महत्वपूर्ण विश्लेषण में, ग्रामीण विकास पर स्थायी समिति ने सुझाव दिया था कि योजना के तहत गारंटीकृत कार्य दिवसों की संख्या 100 से बढ़ाकर 150 कर दी जाए, इसकी मजदूरी को उर्ध्वगामी रूप से संशोधित किया जाए, 60:40 मजदूरी एवं सामग्री अनुपात की समीक्षा की जाए तथा सभी जॉब कार्ड धारकों को निशुल्क बुनियादी चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जाए।
- समिति ग्रामीण विकास विभाग से इस तरह से मनरेगा योजना की समग्र समीक्षा करने की पुरजोर सिफारिश करती है जिससे काम के गारंटीकृत दिनों को 100 से बढ़ाकर 150 दिन करना सुनिश्चित किया जा सके।
- समिति का यह भी दृढ़ मत है कि बढ़ती चिकित्सा आपात स्थिति की वर्तमान स्थिति में, यह अनिवार्य है कि मनरेगा के तहत काम करने वाले सभी मजदूरों को संबंधित गांवों के उनके द्वार पर जॉब कार्ड के साथ निशुल्क बुनियादी चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए।
- समिति का दृढ़ विश्वास था कि विभिन्न पहलुओं में श्रमिकों के कौशल विकास, लाभार्थियों के जीवन की गुणवत्ता को उन्नत करने के लिए प्रावधान की शुरूआत, मजदूरी हस्तांतरण एवं नौकरी के सत्यापन से जुड़ी बाधाओं को दूर करने के लिए प्रौद्योगिकियों तथा सॉफ्टवेयर के उपयोग में वृद्धि जैसी योजना में मूल्य संवर्धन कार्ड योजना के लिए आवश्यक परिवर्तन आवश्यक हैं।
- वर्ष-प्रति-वर्ष योजना के लिए बजटीय आवंटन एवं प्रत्येक वर्ष संशोधित अनुमानों में पर्याप्त वृद्धि का विश्लेषण करते हुए, समिति ने इस विचार को दृढ़ किया कि योजना निश्चित रूप से बढ़ती बजटीय मांग के कारण मांग में वृद्धि प्रदर्शित कर रही है।
- समिति का विचार है कि इतने बड़े परिमाण की योजना का बजटीय आवंटन अधिक व्यावहारिक तरीके से किया जाना चाहिए ताकि वर्ष के मध्य में धन की कोई कमी न हो एवं मजदूरी के भुगतान के लिए धन का प्रवाह हो, सामग्री का अंश निर्बाध रूप से बना रहे।
मनरेगा पैनल के क्या कार्य हैं?
- केंद्र ने मनरेगा योजना में सुधार के लिए, विशेष रूप से निर्धनता उन्मूलन उपकरण के रूप में कार्यक्रम की प्रभावकारिता का आकलन करने के लिए एक पैनल का गठन किया है।
- सिन्हा समिति ने मनरेगा कार्य की मांग, व्यय के रुझान एवं अंतर-राज्य विविधताओं तथा कार्य की संरचना के पीछे के विभिन्न कारकों का अध्ययन किया।
- यह सुझाव देगी कि मनरेगा को अधिक प्रभावी बनाने के लिए फोकस एवं शासन संरचनाओं में किन परिवर्तनों की आवश्यकता है।
- वर्तमान समिति इस तर्क पर भी विचार करेगी कि योजना के प्रथम बार आरंभ होने के पश्चात से काम उपलब्ध कराने की लागत में भी वृद्धि हुई है।
- मनरेगा के आलोचकों ने मूर्त संपत्ति निर्माण की कमी के लिए भी योजना की आलोचना की है। समिति इस बात का अध्ययन करेगी कि इस योजना के अंतर्गत वर्तमान में लिए जा रहे कार्य की संरचना में परिवर्तन किया जाना चाहिए अथवा नहीं। यह समीक्षा करेगी कि क्या इसे समुदाय-आधारित परिसंपत्तियों पर या व्यक्तिगत कार्यों पर, अधिक ध्यान देना चाहिए।
आगे क्या?
मनरेगा पैनल को कारणों की समीक्षा करनी होगी एवं निर्धन क्षेत्रों पर अधिक ध्यान देने के तरीकों की सिफारिश करनी होगी। उदाहरण के लिए, बिहार, निर्धनता के अपने स्तर के बावजूद, एक ठोस अंतराल निर्मित करने हेतु पर्याप्त कार्य सृजित नहीं करता है एवं स्पेक्ट्रम के दूसरे छोर पर हमारे पास केरल है जो आर्थिक रूप से बेहतर है किंतु परिसंपत्ति निर्माण के लिए इसका उपयोग कर रहा है। जबकि बिहार को मनरेगा की अधिक आवश्यकता है, हम कार्यक्रम की वर्तमान संरचना के कारण केरल को धन से वंचित नहीं कर सकते।