सतत भूजल प्रबंधन पहल: भूजल एक बहुत ही महत्वपूर्ण आवश्यक सार्वजनिक वस्तु है जिसका धारणीय रूप से उपयोग किया जाना चाहिए एवं इसका दोहन नहीं किया जाना चाहिए। सरकार ने भूजल के उचित उपयोग के लिए विवेक सतत भूजल प्रबंधन पहल प्रारंभ की है। सतत भूजल प्रबंधन पहल यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा 2023 एवं यूपीएससी मुख्य परीक्षा (जीएस पेपर 3- प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा तथा संरक्षण) के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।
हाल ही में, जल शक्ति राज्य मंत्री, श्री विश्वेश्वर टुडू ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में केंद्र सरकार द्वारा की गई विभिन्न महत्वपूर्ण सतत भूजल प्रबंधन पहलों के बारे में जानकारी दी।
संविधान के भाग VII के तहत जल राज्य का विषय है। अतः, देश में जल संरक्षण सहित जल प्रबंधन पर विभिन्न पहल करना मुख्य रूप से राज्यों का उत्तरदायित्व है।
सरकार ने सतत भूजल प्रबंधन को प्रोत्साहित करने हेतु कई कदम उठाए हैं। उनमें से कुछ यहां हैं:
सरकार ने सतत भूजल प्रबंधन को प्रोत्साहित करने हेतु अटल भूजल योजना (ABY) योजना प्रारंभ की है। इस योजना का उद्देश्य प्रक्रिया में स्थानीय समुदायों को शामिल करके सात राज्यों के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में भूजल प्रबंधन में सुधार करना है।
सरकार ने देश भर में जलभृतों की पहचान करने एवं मानचित्रण करने के लिए राष्ट्रीय जलभृत मानचित्रण एवं प्रबंधन कार्यक्रम (नेशनल एक्विफर मैपिंग एंड मैनेजमेंट प्रोग्राम/NAQUIM) भी लागू किया है। इससे विभिन्न क्षेत्रों में भूजल उपलब्धता एवं गुणवत्ता को समझने में सहायता मिलेगी तथा भूजल संसाधनों की बेहतर योजना एवं प्रबंधन की सुविधा मिलेगी।
केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) देश भर में भूजल स्तर की निगरानी एवं आकलन हेतु कार्य कर रहा है। सीजीडब्ल्यूबी भूजल संसाधनों के सतत प्रबंधन के लिए राज्य सरकारों को तकनीकी सहायता एवं मार्गदर्शन प्रदान करता है।
सरकार ने ग्रामीण परिवारों को सुरक्षित एवं पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराने के लिए जल जीवन मिशन (JJM) भी प्रारंभ किया है। जल जीवन मिशन जल स्रोत की धारणीयता, भूजल पुनर्भरण एवं दूषित जल के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करता है।
हर खेत को पानी (एचकेकेपी) प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) का एक हिस्सा है, जिसका लक्ष्य जल निकायों में सुधार तथा पुनर्स्थापना करके खेती योग्य भूमि का विस्तार करना है। सरफेस माइनर इरिगेशन (SMI) एवं जल निकायों की मरम्मत, नवीनीकरण तथा पुनर्स्थापना (रिपेयर, रिनोवेशन एंड रीस्टोरेशन/RRR) योजनाओं का उद्देश्य टैंकों की भंडारण क्षमता में वृद्धि करना तथा खोई हुई सिंचाई क्षमता को पुनर्जीवित करना है, जिसके परिणामस्वरूप जल उपयोग दक्षता में सुधार, भूजल पुनर्भरण, पेयजल उपलब्धता में वृद्धि एवं टैंक कमांड का जलग्रहण सुधार होगा।
सरकार ने इसके सतत उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए भूजल निष्कर्षण के नियमन के लिए दिशानिर्देश विकसित किए हैं। दिशा निर्देश भूजल संसाधनों के आवंटन के लिए एक रूपरेखा प्रदान करते हैं एवं भूजल के कुशल उपयोग को प्रोत्साहित करते हैं।
सरकार ने भूजल प्रबंधन के लिए नवीन तकनीकों के उपयोग को प्रोत्साहित किया है, जैसे जलभृतों का कृत्रिम पुनर्भरण, वर्षा जल संचयन एवं सिंचाई के लिए उपचारित अपशिष्ट जल का उपयोग।
कुल मिलाकर, सतत भूजल प्रबंधन की दिशा में सरकार की पहल एवं कदमों का उद्देश्य किसानों, उद्योगों तथा समुदायों सहित सभी हितधारकों के लाभ के लिए भूजल संसाधनों का न्यायसंगत एवं सतत उपयोग सुनिश्चित करना है।
प्र. सतत भूजल प्रबंधन क्या है?
उत्तर: सतत भूजल प्रबंधन से तात्पर्य भूजल संसाधनों के प्रबंधन एवं संरक्षण से है जो पारिस्थितिक समग्रता को बनाए रखते हुए वर्तमान एवं भावी पीढ़ियों की आवश्यकताओं की पूर्ति करता है।
प्र. सतत भूजल प्रबंधन क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: सतत भूजल प्रबंधन महत्वपूर्ण है क्योंकि भूजल एक सीमित संसाधन है एवं इसके निरंतर उपयोग से जल की गुणवत्ता कम हो सकती है तथा इस पर निर्भर पारिस्थितिक तंत्र को हानि हो सकती है।
प्र. शपथ भूजल प्रबंधन पहल क्या हैं?
उत्तर: सतत भूजल प्रबंधन पहलों में नीतियां एवं नियम शामिल हो सकते हैं, जैसे कि जल-उपयोग प्रतिबंध अथवा मूल्य निर्धारण तंत्र, साथ ही ऐसी प्रौद्योगिकियां एवं पद्धतियां जो जल-उपयोग दक्षता में सुधार करती हैं, जैसे सूक्ष्म सिंचाई अथवा वर्षा जल संचयन।
प्र. व्यक्ति सतत भूजल प्रबंधन में कैसे योगदान दे सकते हैं?
उत्तर: व्यक्ति जल के उपयोग को कम करके, जल संरक्षण का अभ्यास करके एवं सतत जल प्रबंधन को प्रोत्साहित करने वाली नीतियों एवं पहलों का समर्थन करके सतत भूजल प्रबंधन में योगदान कर सकते हैं।
प्र. सतत भूजल प्रबंधन के क्या लाभ हैं?
उत्तर: सतत भूजल प्रबंधन के लाभों में बेहतर जल उपलब्धता एवं गुणवत्ता, जल उपयोग दक्षता में वृद्धि, सूखे तथा अन्य जल संबंधी तनावों के प्रति अधिक लोचशीलता एवं बेहतर पारिस्थितिकी तंत्र स्वास्थ्य शामिल हैं।
Sustainable groundwater management refers to the management and conservation of groundwater resources in a manner that meets the needs of present and future generations while also maintaining ecological integrity.
Sustainable groundwater management is important because groundwater is a finite resource, and its unsustainable use can lead to depletion, reduced water quality, and damage to ecosystems that depend on it.
Sustainable groundwater management initiatives may include policies and regulations, such as water-use restrictions or pricing mechanisms, as well as technologies and practices that improve water-use efficiency, such as precision irrigation or rainwater harvesting.
Individuals can contribute to sustainable groundwater management by reducing water use, practicing water conservation, and supporting policies and initiatives that promote sustainable water management.
The benefits of sustainable groundwater management include improved water availability and quality, increased water-use efficiency, greater resilience to drought and other water-related stresses, and improved ecosystem health.
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