Categories: हिंदी

चीन के लिए प्रलय- भारत एलएसी पर सामरिक बैलिस्टिक मिसाइलों की तैनाती करेगा

इस लेख में हम क्या पढ़ेंगे – चीन के लिए प्रलय?”

इस लेख प्रलय फॉर चाइनामें प्रलय क्या है? प्रलय चर्चा में क्यों है?, चीन-भारत विवाद, प्रलय मिसाइल प्रणाली की प्रमुख विशिष्टताएं, डीआरडीओवास्तविक नियंत्रण रेखा (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल/एलएसी)  इत्यादि के बारे में पढ़ेंगे।

प्रलय चर्चा में क्यों है?

  • एक बड़े फैसले में, रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सशस्त्र बलों के लिए लगभग 120 प्रलय बैलिस्टिक मिसाइलों की खरीद को अपनी स्वीकृति प्रदान की है जो उन्हें चीन एवं पाकिस्तान के साथ सीमाओं पर तैनात करेगी।
  • ‘प्रलय’ एक अर्ध-बैलिस्टिक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है। अंतर्रोधी (इंटरसेप्टर) मिसाइलों को हराने में सक्षम होने के लिए उन्नत मिसाइल को एक तरह से विकसित किया गया है।

 

पृष्ठभूमि

प्रलय मिसाइल प्रणाली का विकास 2015 के आसपास प्रारंभ हुआ था एवं इस तरह की क्षमता के विकास को दिवंगत जनरल बिपिन रावत ने थल सेनाध्यक्ष के रूप में बढ़ावा दिया था।

 

प्रलय का उड़ान परीक्षण

  • दिसंबर 2021 में डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम द्वीप से रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ( डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन/डीआरडीओ) द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल ‘प्रलय’ का प्रथम उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक किया गया।
  • मिसाइल को चलंत प्रक्षेपक (मोबाइल लॉन्चर) से प्रक्षेपित किया जा सकता है। यह आधुनिक तकनीकों से लैस नई पीढ़ी की मिसाइल थी एवं इस हथियार प्रणाली के शामिल होने से सशस्त्र बलों को आवश्यक प्रोत्साहन मिलेगा।
  • इस मिसाइल का विगत वर्ष 21 दिसंबर एवं 22 दिसंबर को लगातार दो बार सफल परीक्षण किया गया था।

 

भारत की प्रलय मिसाइल एक विशेष अस्त्र क्यों है ?

  • अर्थ: प्रलय एक हिंदी का शब्द है जिसका अर्थ है “पूरी तरह से नष्ट हो जाना” या “अत्यधिक क्षति पहुंचाना” (महान विनाश या क्षति)।
  • किसने विकसित किया?: प्रलय के निर्माण का उत्तरदायित्व रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) का है।
  • अर्ध बैलिस्टिक प्रक्षेपवक्र: प्रलय मिसाइल ने वांछित अर्ध बैलिस्टिक प्रक्षेपवक्र का अनुसरण किया – एक कम घुमावदार पथ जो किसी वस्तु को फेंकने अथवा प्रक्षेपित करने के पश्चात लेता है। यह दिशा में परिवर्तन एवं सीमा परिवर्तन भी कर सकता है। इसने अपने लक्ष्य पर उच्च सटीकता के साथ प्रहार किया, यह सिद्ध करते हुए कि नियंत्रण मार्गदर्शन एवं मिशन एल्गोरिदम ने अपना काम किया। मिसाइल गाइडेंस एक ऐसा शब्द है जिससे पता चलता है कि किसी मिसाइल या निर्देशित बम को अपने लक्ष्य तक कैसे पहुंचाया जा सकता है।
  • कनस्तरीकृत मिसाइल: प्रलय एक कनस्तरीकृत मिसाइल है जिसे एक मजबूत धातु के कंटेनर में ले जाया जा सकता है जिसमें रसायन अथवा गैसें होती हैं।
  • सामरिक मिसाइल: सामरिक मिसाइलें कम दूरी की मारक क्षमता के हथियार हैं जिन्हें तत्काल युद्ध क्षेत्र में उपयोग के लिए डिज़ाइन किया गया है। अधिकांश समय, मारक क्षमता 300 किमी से कम होती है। अधिकांश सामरिक बैलिस्टिक मिसाइलें चलंत हैं, इसलिए वे जीवित रह सकती हैं तथा त्वरित रूप से उपयोग की जा सकती हैं। वे अपने लक्ष्यों को भेदने के लिए कई तरह के हथियार भी ले जा सकते हैं।
  • सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल: प्रलय सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है जो लगभग बैलिस्टिक मिसाइल की भांति है। उन्नत मिसाइल को इस तरह से बनाया गया था कि इंटरसेप्टर के लिए इसे रोकना अत्यंत कठिन हो गया था। मिसाइल रोधी प्रणाली को हराने के लिए यह एक निश्चित दूरी तक जाने के बाद अपनी उड़ान का मार्ग परिवर्तित कर सकता है।
  • अवरोधन करना कठिन: वर्तमान में, प्रलय बैलिस्टिक मिसाइलें 150 से 500 किलोमीटर तक के लक्ष्य को भेद सकती हैं एवं इंटरसेप्टर मिसाइलों के माध्यम से शत्रु के लिए अवरोधन करना अत्यंत कठिन है।
  • मार्ग बदलने की क्षमता: प्रलय हवा में एक निश्चित सीमा तय करने के बाद अपना मार्ग परिवर्तित करने की क्षमता रखती है।
  • ‘प्रलय’ एक ठोस प्रणोदक रॉकेट मोटर एवं अन्य नवीन तकनीकों द्वारा संचालित है। मिसाइल मार्गदर्शन प्रणाली में अत्याधुनिक मार्ग निर्देशन (नेविगेशन) एवं एकीकृत वैमानिकी शामिल है।

 

सशस्त्र बलों ने प्रलय को क्यों चुना?

पृथ्वी का बेहतर प्रतिस्थापन

  • इसे भारतीय सेना की सूची में पृथ्वी मिसाइल को प्रतिस्थापित करने हेतु डिज़ाइन किया गया है। अंतर यह है कि पृथ्वी मिसाइल एक तरल-ईंधन संचालित मिसाइल है जिसे संभालना अत्यंत कठिन है एवं प्रक्षेपण से पूर्व इसमें फिर से ईंधन भरना चाहिए। तरल ईंधन अत्यंत संक्षारक होते हैं, जिसका अर्थ है कि वे उस धातु के कंटेनर को नष्ट कर देते हैं जिसमें उन्हें संग्रहित रखा जाता है। एक मिसाइल में, यदि तरल ईंधन को लंबे समय तक संग्रहित किया जाता है, तो मिसाइल सामग्री क्षतिग्रस्त हो जाएगी या रिसाव भी हो सकता है।
  • प्रलय एक ठोस ईंधन संचालित प्रक्षेपास्त्र है एवं इसमें सर्वाधिक अद्यतन इलेक्ट्रॉनिक्स प्रयुक्त किए गए हैं। पृथ्वी 1990 के दशक में भारतीय शस्त्रागार में शामिल होने वाली प्रथम मिसाइलों में से एक थी। प्रलय को युद्ध के लिए तैयार स्थितियों में लंबे समय तक संग्रहित किया जा सकता है एवं ईंधन से भरी पृथ्वी मिसाइलों के विपरीत तेजी से दागा जा सकता है।
  • पृथ्वी मिसाइलों को समय-समय पर अपग्रेड किया गया है एवं अब वे अपने जीवन काल के अंत में आ गई हैं तथा भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा प्रलय मिसाइलों का ऑर्डर दिया गया है।

कम दूरी के लिए ब्रह्मोस से बेहतर

  • भारत के पास समान उद्देश्य के लिए एक ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल भी है, लेकिन इसकी कीमत लगभग 22 करोड़ रुपये है। अनुमान है कि प्रलय में इसकी एक तिहाई लागत आएगी। ब्रह्मोस मात्र 200 किलो वजन को ही ले जा सकती है। इस वजह से भारतीय सेना को 150 किलोमीटर से ज्यादा मारक क्षमता वाली ऐसी मिसाइल की आवश्यकता महसूस हुई है जो ज्यादा बड़ा पेलोड भी ले जा सके। वारहेड के आकार के आधार पर इस मिसाइल की मारक क्षमता 150 से 500 किलोमीटर है।
  • प्रलय मिसाइल 350 किलोग्राम एवं 700 किलोग्राम के बीच हाई एक्सप्लोसिव प्रीफॉर्मेड फ्रेगमेंटेशन वारहेड, पेनेट्रेशन कम ब्लास्ट (PCB)अथवा रनवे डेनियल पेनेट्रेशन सबमुनिशन (RDPS) ले जा सकती है।

 

क्या यह भारत की सैन्य रणनीति का नीतिगत बदलाव है?

  • प्रलय बैलिस्टिक मिसाइलों के अधिग्रहण को देश के लिए एक बड़े विकास के रूप में देखा जा रहा है, जिसकी अब ऐसी नीति है जो सामरिक भूमिकाओं में बैलिस्टिक मिसाइलों के उपयोग की अनुमति देती है। चीन एवं पाकिस्तान दोनों के पास बैलिस्टिक मिसाइलें हैं जो सामरिक भूमिकाओं के लिए हैं।
  • प्रलय मिसाइलों को शामिल करने के प्रस्ताव को ऐसे समय में स्वीकृति प्रदान की गई है जब रक्षा बल एक समर्पित रॉकेट बल निर्मित करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं जो लंबी दूरी से शत्रु के ठिकानों को मार गिरा सके। चीनी सेना के पास पहले से ही समर्पित रॉकेट फोर्स है।
  • प्रलय मिसाइल चीनी डोंगफेंग 12, रूसी 9 के 720 इस्कंदर मिसाइल एवं अमेरिकी सेना की प्रिसिजन स्ट्राइक मिसाइल (PrSM) की भांति है।
  • रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा विकसित इस मिसाइल को और विकसित किया जा रहा है तथा  यदि सेना चाहे तो इसकी मारक क्षमता में अत्यधिक वृद्धि की जा सकती है।
  • रक्षा पर दृष्टि रखने वालों का कहना है कि इस तरह की मिसाइल प्रणाली का उपयोग लंबी दूरी की शत्रु वायु रक्षा प्रणालियों एवं अत्यधिक महत्व वाले अन्य  प्रतिष्ठानों एवं हथियारों को नष्ट करने के लिए किया जा सकता है।

 

प्रलय मिसाइल के संदर्भ में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न

प्र. प्रलय मिसाइल का विकास किसने किया है?

उत्तर. प्रलय मिसाइल का निर्माण करने की जिम्मेदारी रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की है।

प्र. अग्नि 5 की मारक क्षमता क्या है?

उत्तर. अग्नि 5 मिसाइल की मारक क्षमता 5000 से 7000 किलोमीटर है। इस मारक क्षमता के साथ, अग्नि-5 मिसाइल लगभग पूरे एशिया को, जिसमें चीन का सबसे उत्तरी भाग भी शामिल है, साथ ही साथ यूरोप के कुछ क्षेत्रों को अपनी  मारक क्षमता के अंतर्गत ला सकता है।

प्र. सामरिक मिसाइल क्या है?

उत्तर. सामरिक मिसाइलें छोटी दूरी के प्रक्षेपास्त्र हैं जिन्हें युद्ध क्षेत्र में तत्काल उपयोग के लिए डिज़ाइन किया गया है। अधिकांश समय, इनकी मारक क्षमता 300 किमी से कम होती है। अधिकांश सामरिक बैलिस्टिक मिसाइलें  चलंत अथवा मोबाइल हैं, इसलिए वे गतिशील रह सकती हैं एवं त्वरित रूप से उपयोग की जा सकती हैं। वे अपने लक्ष्यों को भेदने के लिए कई तरह के हथियार भी ले जा सकते हैं।

 

वीर बाल दिवस का क्या महत्व है? सब कुछ जानिए! द हिंदू संपादकीय विश्लेषण| वन अधिकार एवं विरासत संरक्षण यूपीएससी के लिए दैनिक समसामयिकी 27 दिसंबर 2022, प्रीलिम्स बिट्स विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों के नाम पीडीएफ डाउनलोड करें सामान्य जागरूकता
प्रोजेक्ट लायन- लायन @ 47: शेरों के आवासों को सुरक्षित एवं पुनर्स्थापित करने हेतु अमृतकाल के लिए विजन भारत के ब्रांड एंबेसडरों की सूची 2022, पीडीएफ डाउनलोड करें यूपीएससी परीक्षा के लिए दैनिक करेंट अफेयर्स 26 दिसंबर | प्रीलिम्स बिट्स समुद्री जलदस्युता रोधी विधेयक 2022 क्या है? यूपीएससी के लिए जानें
एनएफएसए के सभी लाभार्थियों को एक वर्ष के लिए निशुल्क राशन: यूपीएससी के लिए सब कुछ जानें हांगकांग लेबलिंग मुद्दे पर विश्व व्यापार संगठन बनाम अमेरिका |यूपीएससी के लिए संपादकीय विश्लेषण म्यांमार पर पहला यूएनएससी संकल्प क्या है? भारत ने मतदान में भाग क्यों नहीं लिया? साहित्य अकादमी पुरस्कार 2022 घोषित, पुरस्कार विजेताओं की विस्तृत पीडीएफ सूची
manish

Recent Posts

Himalayan Ranges: Exploring the Greater, Middle, and Shiwalik Ranges

The Himalayan mountain range delineates the boundary between the Indian subcontinent and the Tibetan Plateau…

2 hours ago

India’s Geographical Extent and Frontiers: A Detailed Overview

India, the seventh-largest country in the world, is distinguished from the rest of Asia by…

3 hours ago

Haryana Judiciary Eligibility Criteria 2024, Age Limit and Qualifications

The Haryana Judiciary offers a prestigious and rewarding career path for individuals aspiring to become…

5 hours ago

Rajasthan Judiciary Exam Date 2024, Check New Exam Date

In a recent notice, the Rajasthan High Court released the new exam date for the…

6 hours ago

UPSC Calendar 2025 Announced at upsc.gov.in, Download PDF

The Union Public Service Commission (UPSC) has unveiled the UPSC Calendar 2025 on its official…

6 hours ago

HPPSC HPAS Salary 2024, Check Job Profile, Allowances

On April 5th, the Himachal Pradesh Public Service Commission (HPPSC) issued a new notification announcing…

6 hours ago