कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न अधिनियम: PoSH अधिनियम का उद्देश्य कार्यस्थलों पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न को रोकना एवं उसका समाधान करना, शिकायतों के निवारण के लिए एक तंत्र प्रदान करना तथा महिलाओं के लिए सुरक्षित कार्य वातावरण को प्रोत्साहित करना है। PoSH अधिनियम 2013 यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा एवं यूपीएससी मुख्य परीक्षा (जीएस पेपर 2- विभिन्न संसदीय अधिनियम; महिलाओं की सुरक्षा सहित भारत में कमजोर वर्गों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न उपाय) के लिए भी महत्वपूर्ण है।
भारत की सर्वोच्च न्यायालय की खंडपीठ ने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध एवं निवारण) अधिनियम, 2013 (PoSH) के लागू होने के दस वर्षों के बाद इसके कार्यान्वयन के बारे में चिंता व्यक्त की है, जिसमें महत्वपूर्ण कमियों तथा स्पष्टता की कमी को उजागर किया गया है।
1992 में, राजस्थान सरकार की महिला विकास परियोजना से जुड़ी एक सामाजिक कार्यकर्ता भंवरी देवी के साथ पांच लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया था, जब उसने एक वर्ष की बच्ची के विवाह को रोकने के लिए हस्तक्षेप किया।
कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के विरुद्ध महिलाओं का संरक्षण विधेयक प्रारंभ में कृष्णा तीरथ द्वारा प्रस्तावित किया गया था, जिन्होंने 2007 में महिला एवं बाल विकास मंत्री के रूप में कार्य किया था।
अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, कर्मचारी की परिभाषा कंपनी कानून के दायरे तक सीमित नहीं है।
PoSH अधिनियम 2013 के तहत, यौन उत्पीड़न में निम्नलिखित “अवांछित कृत्य अथवा व्यवहार” में से “किसी एक या अधिक” को प्रत्यक्ष रूप से अथवा निहित रूप से शामिल किया गया है-
इसके अतिरिक्त, PoSH अधिनियम में पांच परिस्थितियों का उल्लेख है जो यौन उत्पीड़न की श्रेणी में आती हैं-
पीओएसएच कानून निर्धारित करता है कि 10 कर्मचारियों से अधिक कार्यबल वाले किसी भी नियोक्ता को एक आंतरिक परिवाद समिति (इंटरनल कंप्लेंट्स कमिटी/आईसीसी) स्थापित करनी होगी। यह समिति कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के संबंध में औपचारिक शिकायत दर्ज कराने के लिए महिला कर्मचारियों हेतु एक मंच के रूप में कार्य करती है।
हाल के एक फैसले में, सर्वोच्च न्यायालय ने PoSH अधिनियम द्वारा अनिवार्य रूप से आंतरिक परिवाद समितियों (इंटरनल कंप्लेंट्स कमिटी/ICCs) की स्थापना में कई कमियों पर प्रकाश डाला। इसने एक समाचार पत्र की रिपोर्ट का हवाला दिया जिसमें खुलासा किया गया था कि देश के 30 राष्ट्रीय खेल संघों में से 16 ने अभी तक आंतरिक परिवाद समिति (आईसीसी) का गठन नहीं किया है।
न्यायालय ने केंद्र, राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को यह सत्यापित करने के लिए समयबद्ध मूल्यांकन करने का निर्देश जारी किया कि मंत्रालयों, विभागों, सरकारी संगठनों, प्राधिकरणों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, संस्थानों एवं अन्य निकायों ने PoSH अधिनियम के अनुसार आंतरिक शिकायत समितियों (इंटरनल कंप्लेंट्स कमिटीज/आईसीसी) स्थानीय समितियों (लोकल कमेटीज/LCs) एवं आंतरिक समितियों ( इंटरनल कमेटीज/ICs) की स्थापना की है अथवा नहीं। इन संस्थाओं को आगे निर्देश दिया गया कि वे अपनी संबंधित समितियों के बारे में जानकारी अपनी आधिकारिक वेबसाइटों पर प्रकाशित करें।
प्र. PoSH अधिनियम किस लिए है?
उत्तर. PoSH अधिनियम कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध एवं निवारण) अधिनियम के प्रति संदर्भित है।
प्र. PoSH अधिनियम कब बनाया गया था?
उत्तर. PoSH अधिनियम 9 दिसंबर, 2013 को प्रवर्तन में आया था।
प्र. PoSH अधिनियम के क्या उद्देश्य हैं?
उत्तर. PoSH अधिनियम का उद्देश्य कार्यस्थलों पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न को रोकना एवं उसका समाधान करना, शिकायतों के निवारण के लिए एक तंत्र प्रदान करना तथा महिलाओं के लिए सुरक्षित कार्य वातावरण को प्रोत्साहित करना है।
प्र. PoSH अधिनियम किस पर लागू होता है?
उत्तर. PoSH अधिनियम सभी महिला कर्मचारियों पर लागू होता है, जिनमें नियमित, अस्थायी, संविदात्मक, तदर्थ, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी, प्रशिक्षु, इंटर्न एवं यहां तक कि प्रमुख नियोक्ता के ज्ञान के बिना कार्यरत कर्मचारी भी शामिल हैं। यह संपूर्ण भारत में सार्वजनिक तथा निजी दोनों क्षेत्रों के संगठनों पर लागू होता है।
प्र. आंतरिक शिकायत समिति (इंटरनल कंप्लेंट्स कमिटीज/आईसीसी) की भूमिका क्या है?
उत्तर. आंतरिक परिवाद समिति (आईसीसी) कार्यस्थल के भीतर यौन उत्पीड़न की शिकायतों को प्राप्त करने एवं उनका समाधान करने हेतु उत्तरदायी है। इसकी अध्यक्षता एक महिला द्वारा की जानी आवश्यक है एवं इसमें कम से कम दो महिला कर्मचारियों के साथ एक अन्य कर्मचारी तथा एक योग्य बाहरी सदस्य शामिल होना चाहिए।
प्र. स्थानीय समिति (लोकल कमेटी/एलसी) की क्या भूमिका है?
उत्तर. 10 से कम कर्मचारियों वाले संगठनों एवं अनौपचारिक क्षेत्र की शिकायतों को दूर करने के लिए प्रत्येक जिले में स्थानीय समिति की स्थापना की जाती है। यह यौन उत्पीड़न की शिकायतों के निवारण तथा समाधान के लिए एक तंत्र प्रदान करता है।
प्र. क्या असंगठित क्षेत्र की महिला कर्मचारी PoSH अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज कर सकती हैं?
उत्तर. हाँ, अनौपचारिक क्षेत्र की महिला कर्मचारी, जिनमें घरेलू कामगार, घर आधारित कामगार एवं स्वैच्छिक सरकारी सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं, PoSH अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज करा सकती हैं। स्थानीय समिति ऐसी शिकायतों को दूर करने हेतु उत्तरदायी है।
प्र. PoSH अधिनियम का अनुपालन न करने के परिणाम क्या हैं?
उत्तर. पीओएसएच अधिनियम का अनुपालन न करने पर जुर्माना लगाया जा सकता है, जिसमें जुर्माना एवं अनुज्ञप्ति (लाइसेंस) अथवा संगठन का पंजीकरण रद्द करना शामिल है। अधिनियम जवाबदेही एवं प्रावधानों के अनुपालन के महत्व पर भी बल देता है।
PoSH अधिनियम कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध एवं निवारण) अधिनियम के प्रति संदर्भित है।
PoSH अधिनियम 9 दिसंबर, 2013 को प्रवर्तन में आया था।
PoSH अधिनियम का उद्देश्य कार्यस्थलों पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न को रोकना एवं उसका समाधान करना, शिकायतों के निवारण के लिए एक तंत्र प्रदान करना तथा महिलाओं के लिए सुरक्षित कार्य वातावरण को प्रोत्साहित करना है।
PoSH अधिनियम सभी महिला कर्मचारियों पर लागू होता है, जिनमें नियमित, अस्थायी, संविदात्मक, तदर्थ, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी, प्रशिक्षु, इंटर्न एवं यहां तक कि प्रमुख नियोक्ता के ज्ञान के बिना कार्यरत कर्मचारी भी शामिल हैं। यह संपूर्ण भारत में सार्वजनिक तथा निजी दोनों क्षेत्रों के संगठनों पर लागू होता है।
आंतरिक परिवाद समिति (आईसीसी) कार्यस्थल के भीतर यौन उत्पीड़न की शिकायतों को प्राप्त करने एवं उनका समाधान करने हेतु उत्तरदायी है। इसकी अध्यक्षता एक महिला द्वारा की जानी आवश्यक है एवं इसमें कम से कम दो महिला कर्मचारियों के साथ एक अन्य कर्मचारी तथा एक योग्य बाहरी सदस्य शामिल होना चाहिए।
10 से कम कर्मचारियों वाले संगठनों एवं अनौपचारिक क्षेत्र की शिकायतों को दूर करने के लिए प्रत्येक जिले में स्थानीय समिति की स्थापना की जाती है। यह यौन उत्पीड़न की शिकायतों के निवारण तथा समाधान के लिए एक तंत्र प्रदान करता है।
हाँ, अनौपचारिक क्षेत्र की महिला कर्मचारी, जिनमें घरेलू कामगार, घर आधारित कामगार एवं स्वैच्छिक सरकारी सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं, PoSH अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज करा सकती हैं। स्थानीय समिति ऐसी शिकायतों को दूर करने हेतु उत्तरदायी है।
पीओएसएच अधिनियम का अनुपालन न करने पर जुर्माना लगाया जा सकता है, जिसमें जुर्माना एवं अनुज्ञप्ति (लाइसेंस) अथवा संगठन का पंजीकरण रद्द करना शामिल है। अधिनियम जवाबदेही एवं प्रावधानों के अनुपालन के महत्व पर भी बल देता है।
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