Categories: हिंदी

भारत, इसका एसडीजी प्रतिज्ञा लक्ष्य एवं इसे लागू करने की रणनीति, द हिंदू संपादकीय विश्लेषण

द हिंदू संपादकीय विश्लेषण: यूपीएससी एवं अन्य राज्य पीएससी परीक्षाओं के लिए प्रासंगिक विभिन्न अवधारणाओं को सरल बनाने के उद्देश्य से द हिंदू अखबारों के संपादकीय लेखों का संपादकीय विश्लेषण। संपादकीय विश्लेषण ज्ञान के आधार का विस्तार करने के साथ-साथ मुख्य परीक्षा हेतु बेहतर गुणवत्ता वाले उत्तरों को तैयार करने में सहायता करता है। आज का हिंदू संपादकीय विश्लेषण ‘भारत, इसका एसडीजी प्रतिज्ञा लक्ष्य तथा इसे लागू करने की रणनीति’ एसडीजी, संबंधित चुनौतियों एवं स्थिति में सुधार के तरीकों को प्राप्त करने में भारत के प्रदर्शन पर चर्चा करता है।

भारत एवं सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी)

भारत की जी20 अध्यक्षता के तहत वित्त मंत्रियों एवं केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की पहली बैठक के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी चिंता व्यक्त की कि सतत विकास लक्ष्यों (सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स/एसडीजी) को प्राप्त करने की दिशा में प्रगति विश्व स्तर पर धीमी हो रही है।

  • भारत की विशाल जनसंख्या के आकार को देखते हुए, एसडीजी को साकार करने में इसकी सफलता उन्हें विश्व स्तर पर प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है।
  • यद्यपि भारत के आगामी दशक में विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की संभावना है, यह सुनिश्चित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि यह वृद्धि सामाजिक एवं मानव विकास पर प्रगति में परिवर्तित हो।
  • अतः, प्रधान मंत्री की चिंता तत्काल ध्यान देने योग्य है।

विभिन्न एसडीजी में भारत का प्रदर्शन

एसडीजी के ढांचे में आर्थिक विकास, सामाजिक कल्याण एवं पर्यावरणीय धारणीयता से संबंधित 17 लक्ष्यों को शामिल किया गया है, जिसमें 231 विशिष्ट संकेतक शामिल हैं जिन्हें वर्ष 2030 तक प्राप्त किया जाना चाहिए। एक हालिया अध्ययन में 33 कल्याण संकेतकों पर भारत की प्रगति का आकलन किया गया है, जिसमें नौ एसडीजी शामिल हैं एवं सकारात्मक तथा संबंधित रुझानों की मिश्रित तस्वीर प्रदान करते हैं।

  • भारत ने विगत पांच वर्षों में 33 एसडीजी में से 14 एवं उनके संबंधित संकेतकों को हासिल करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है, जिसमें बिजली तक बेहतर पहुंच, पूर्ण टीकाकरण, स्वच्छता एवं नवजात तथा पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर में कमी शामिल है।
  • हालाँकि, यह प्रगति सभी जिलों में एक समान नहीं है, बड़ी संख्या में जिले इनमें से कुछ लक्ष्यों को प्राप्त करने में पिछड़ रहे हैं।
  • उदाहरण के लिए, जबकि नवजात एवं पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर का राष्ट्रीय औसत लक्ष्य अनुसार (‘ऑन-टारगेट’) है, फिर भी क्रमशः 286 एवं 208 जिले ऐसे हैं, जिन्होंने इन लक्ष्यों को हासिल नहीं किया है।
  • इसी तरह, बेहतर स्वच्छता तक पहुंच में महत्वपूर्ण प्रगति के बावजूद, 129 जिले अभी भी इस एसडीजी सूचक को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
  • 2016 एवं 2021 के बीच, विभिन्न संकेतकों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है, जैसे कि किशोर गर्भावस्था को कम करना, बहुआयामी निर्धनता को कम करना एवं अधिकांश जिलों में बैंक खातों तक महिलाओं की पहुंच बढ़ाना।
  • हालांकि, चिंताएँ हैं क्योंकि सुधार की वर्तमान गति 33 संकेतकों में से 19 के लिए एसडीजी लक्ष्यों को पूरा करने हेतु अपर्याप्त है।
  • खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन को प्रोत्साहित करने के राष्ट्रव्यापी प्रयास के बावजूद, दो-तिहाई से अधिक जिले (479) लक्ष्य से दूर (‘ऑफ-टारगेट’) बने हुए हैं।
  • इसी तरह, 415 एवं 278 जिले क्रमशः बेहतर पेयजल तथा हाथ धोने की सुविधाओं के लिए  लक्ष्य से दूर (‘ऑफ-टारगेट’) हैं।
  • लैंगिक असमानता एवं महिलाओं के कल्याण से संबंधित एसडीजी संकेतक भारत में विशेष रूप से चिंता का विषय हैं।
  • वर्तमान में कोई भी जिला 18 वर्ष की कानूनी आयु से पूर्व बालिका विवाह की प्रथा को पूर्ण रूप से समाप्त करने में सफल नहीं हुआ है।
  • प्रगति की गति भी धीमी है, तीन-चौथाई (539) से अधिक जिलों में 2030 तक बालिका विवाह के प्रसार को 0.5% तक कम करने के एसडीजी लक्ष्य को पूरा करने की संभावना नहीं है।
  • यह एक चिंताजनक प्रवृत्ति है, क्योंकि किशोर गर्भावस्था एवं जीवनसाथी के द्वारा की जाने वाली हिंसा जैसे संकेतक बाल विवाह से जुड़े हो सकते हैं।
  • भारत में मोबाइल फोन की व्यापक उपलब्धता (93% घरों) के बावजूद, केवल 56% महिलाओं के पास मोबाइल फोन होने की सूचना है, 567 जिलों को अभी भी लक्ष्य से दूर (‘ऑफ-टारगेट’) माना जाता है।

कोविड-19 दृष्टिकोण से सीखना

अत्यावश्यक समस्याओं का समाधान करने के लिए नीतियों का निर्माण करना तथा क्रियान्वित करना एक “अनुकूलन समस्या” के समान हो सकता है, जिसके लिए राजनीतिक प्रतिबद्धता, कुशल प्रशासन, पर्याप्त संसाधनों एवं परिशुद्ध आंकड़ों की आवश्यकता होती है। कोविड-19 महामारी के मामले में, भारत ने एक “इष्टतमीकरण” दृष्टिकोण अपनाया, जिसके कारण इस मुद्दे को प्रभावी ढंग से हल करने के लिए आवश्यक संसाधनों का आवंटन एवं ध्यान दिया गया। अपने एसडीजी लक्ष्यों को प्राप्त करने में भारत के प्रयासों को बेहतर बनाने के लिए इस दृष्टिकोण से मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्राप्त की जा सकती है।

  • भारत के कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम एवं व्यापक राहत पैकेज की सफलता काफी हद तक राष्ट्रीय से लेकर जिले तक, सभी स्तरों पर एक उत्तरदायी प्रशासनिक ढांचे द्वारा समर्थित मजबूत एवं सुसंगत राजनीतिक नेतृत्व के कारण थी।
    • यह सफल सामंजस्य सीखने एवं वास्तविक समय में समायोजन करने के लिए तैयार था।
    • अब एक समान मूल्यांकन-उन्मुख लोकाचार स्थापित करना अत्यावश्यक है जो पर्याप्त समर्थन के साथ भारत के जिला-स्तरीय एसडीजी को प्राप्त करने में सहायता करता है।
  • कोविड-19 के साथ भारत की सफलता का दूसरा सबक डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर एवं को- विन (Co-WIN) डेटा प्लेटफॉर्म एवं आरोग्य सेतु एप्लिकेशन जैसी नई पहलों को दिया गया है।
    • जनसंख्या स्वास्थ्य के प्रबंधन के लिए भारत को एक एकीकृत एवं सार्वजनिक डेटा मंच स्थापित करने की आवश्यकता है।
    • यह वर्तमान भंडारण (साइलो) प्लेटफॉर्म को एक एकल डिजिटल संसाधन में एकीकृत करके प्राप्त किया जा सकता है जो जिला प्रशासकों, राज्य के अधिकारियों तथा राष्ट्रीय नीति निर्माताओं के लिए सुलभ है।
  • बड़े पैमाने पर लक्षित एसडीजी रणनीति को लागू करने के लिए भारत के कोविड-19 राहत पैकेज में प्रदर्शित तात्कालिकता की समान भावना की आवश्यकता होती है।
    • भारत सरकार द्वारा 70 लाख करोड़ रुपए की प्रधान मंत्री गरीब कल्याण योजना का कार्यान्वयन, जो बाद में मार्च 2020 में बढ़कर लगभग 6.29 लाख करोड़ रुपए हो गया, जिसने 800 मिलियन लोगों को सहायता प्रदान की, इस तरह के एक सक्रिय कार्यक्रम का एक उदाहरण है।
    • इस राहत पैकेज में प्रत्यक्ष रूप से एवं आर्थिक सहायता पर व्यय के साथ-साथ अर्थव्यवस्था, छोटे व्यवसायों एवं कृषि को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से किए गए उपाय शामिल थे।
    • कोविड-19 के नकारात्मक प्रभावों को कम करके, विशेष रूप से संवेदनशील एवं सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूहों के लिए, इसने लोगों के कल्याण में सुधार पर केंद्रित सरकार समर्थित कार्यक्रम के महत्व का उदाहरण दिया।

निष्कर्ष

लोकतांत्रिक एवं खुली अर्थव्यवस्था के लिए ऐतिहासिक मिसाल के बिना, भारत को अपनी एक अरब से अधिक आबादी की विकास आकांक्षाओं को सतत एवं स्वस्थ तरीके से पूरा करने के लिए एक नई नीति तैयार करनी चाहिए।

  • हालांकि, व्यापक एवं महत्वाकांक्षी तरीके से कोविड-19 महामारी का प्रत्युत्तर देने में भारत की सफलता ने प्रदर्शित किया है कि बड़े पैमाने पर वितरण संभव है।
  • एसडीजी लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एक समान अग्रणी एवं राष्ट्रव्यापी प्रयास आवश्यक है, विशेष रूप से वे जो लैंगिक समानता, मूलभूत गुणवत्ता की आधारिक अवसंरचना तथा जनसंख्या स्वास्थ्य एवं कल्याण से संबंधित हैं।

 

manish

Recent Posts

Bodhisattvas: History, List of Bodhisattvas, Four Virtues

Bodhisattvas are people following Buddha's path to enlightenment, aiming to become Buddhas themselves. The term…

17 hours ago

Uttarakhand Judiciary Salary 2024, Check Salary Structure

The Uttarakhand High Court administers the Uttarakhand Judicial Service Examinations to appoint suitable candidates for…

20 hours ago

Chhattisgarh HC Assistant Syllabus 2024: Prelims and Mains (Download PDF)

The official website of the High Court of Chhattisgarh, Bilaspur has made available the Chhattisgarh…

20 hours ago

Muslim Population in India 2024, States with Highest Muslim Population

According to data presented in the Lok Sabha, the anticipated Muslim population in India for…

21 hours ago

MPPSC Exam Date 2024, Check New Prelims Exam Date

The Madhya Pradesh Public Service Commission (MPPSC) released the MPPSC Notification 2024 last year. However,…

21 hours ago

OPSC OCS Notification 2024 Out for 399 Vacancies, Check Details

The Odisha Public Service Commission (OPSC) has issued the Notification for the Odisha Civil Services…

21 hours ago