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वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद

एफएसडीसी: यूपीएससी हेतु प्रासंगिकता

  • जीएस 3: भारतीय अर्थव्यवस्था एवं आयोजना, संसाधनों का अभिनियोजन, वृद्धि, विकास एवं रोजगार से संबंधित मुद्दे।

वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद_3.1

एफएसडीसी इंडिया: प्रसंग

 

वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद: प्रमुख बिंदु

  • परिषद ने एफएसडीसी के विभिन्न अधिदेशों एवं वैश्विक  तथा घरेलू विकास के मद्देनजर उत्पन्न होने वाली प्रमुख व्यष्टि-वित्तीय चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया।
  • परिषद ने नोट किया कि सरकार एवं सभी नियामकों को वित्तीय स्थितियों तथा महत्वपूर्ण वित्तीय संस्थानों के कामकाज पर निरंतर निगरानी रखने की आवश्यकता है, विशेष रूप से यह देखते हुए कि यह मध्यम एवं दीर्घ अवधि में वित्तीय कमजोरियों को उजागर कर सकता है।
  • परिषद ने वित्तीय क्षेत्र के आगे और विकास तथा व्यापक आर्थिक स्थिरता के साथ एक समावेशी आर्थिक विकास प्राप्त करने के लिए आवश्यक उपायों पर चर्चा की।

वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद

एफएसडीसी क्या है?

  • एफएसडीसी देश में वित्तीय स्थिरता बनाए रखने, अंतर-नियामक समन्वय बढ़ाने एवं वित्तीय क्षेत्र के विकास को प्रोत्साहित करने हेतु तंत्र को मजबूत तथा संस्थागत बनाने के लिए एक गैर-सांविधिक शीर्ष स्तर का मंच है। यह वित्त मंत्रालय के तहत 2010 में स्थापित किया गया था। यह 2008 के वैश्विक आर्थिक संकट की पृष्ठभूमि में वित्तीय क्षेत्र में सुधार पर रघुराम राजन समिति (2008) की सिफारिश पर स्थापित किया गया है।
  • एफएसडीसी देश में वित्तीय स्थिरता बनाए रखने, अंतर-नियामक समन्वय बढ़ाने और वित्तीय क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने के लिए तंत्र को मजबूत एवं संस्थागत बनाने के लिए एक गैर-सांविधिक शीर्ष स्तर का मंच है।
  • यह वित्त मंत्रालय के अधीन 2010 में स्थापित किया गया था।
  • यह 2008 के वैश्विक आर्थिक संकट की पृष्ठभूमि में वित्तीय क्षेत्र में सुधार पर रघुराम राजन समिति (2008) की सिफारिश के आधार पर स्थापित किया गया है।

 

एफएसडीसी परिषद की संरचना

  • एफएसडीसी परिषद के अध्यक्ष: केंद्रीय वित्त मंत्री
  • एफएसडीसी के सदस्यों में शामिल हैं
    • वित्तीय क्षेत्र के नियामकों के प्रमुख (आरबीआई, सेबी,  पीएफआरडीए, आईआरडीए एवं एफएमसी)
    • वित्त सचिव  एवं/या सचिव, आर्थिक मामलों के विभाग, सचिव, वित्तीय सेवा विभाग, तथा मुख्य आर्थिक सलाहकार।

 

एफएसडीसी  के कार्य 

एफएसडीसी के विभिन्न उत्तरदायित्व नीचे सूचीबद्ध किए गए हैं

  • परिषद देश में वित्तीय साक्षरता तथा वित्तीय समावेशन पर ध्यान केंद्रित करती है।
  • एफएसडीसी का उद्देश्य वित्तीय स्थिरता एवं विकास के तंत्र को सुदृढ़ एवं संस्थागत बनाना है।
  • यह अर्थव्यवस्था के मैक्रो-प्रूडेंशियल पर्यवेक्षण का अनुश्रवण भी करता है।
  • परिषद बड़े वित्तीय समूहों के कार्यकरण का आकलन करती है।
  • यह अंतर नियामक समन्वय को भी संबोधित करता है

वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद_4.1

एफएसडीसी की उप समिति

  • एफएसडीसी उप-समिति का गठन भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर की अध्यक्षता में किया गया है।
  • यह पूर्ण परिषद की तुलना में अधिक बार मिलता है।
  • एफएसडीसी के सभी सदस्य उप-समिति के सदस्य भी हैं।
  • इसके अतिरिक्त, आरबीआई के सभी चार डिप्टी गवर्नर  एवं एफएसडीसी के प्रभारी अतिरिक्त सचिव, डीईए भी उप समिति के सदस्य हैं।
  • एफएसडीसी की उप-समिति के विचार-विमर्श के परिणामस्वरूप, निम्नलिखित तकनीकी समूहों/कार्य समूहों का गठन किया गया है-
    • वित्तीय समावेशन एवं वित्तीय साक्षरता पर तकनीकी समूह।
    • अंतर नियामक तकनीकी समूह।
    • वित्तीय समूहों की निगरानी के लिए अंतर नियामक मंच (आईआरएफ-एफसी)
    • पूर्व चेतावनी समूह
    • वित्तीय संस्थानों के लिए समाधान व्यवस्था पर कार्य समूह
    • मैक्रो वित्तीय एवं निगरानी समूह।

 

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