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संपादकीय विश्लेषण- रूसी मान्यता

यूक्रेनी क्षेत्र की रूसी मान्यता- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध- भारत के हितों पर विकसित एवं विकासशील देशों की नीतियों  तथा राजनीति का प्रभाव।

संपादकीय विश्लेषण- रूसी मान्यता_3.1

यूक्रेनी क्षेत्र की रूसी मान्यता- संदर्भ

  • हाल ही में, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पूर्वी यूक्रेन में डोनेट्स्क एवं लुहान्स्क के डोनबास क्षेत्र के अंतस्थ क्षेत्र (ओब्लास्ट) के लिए एक औपचारिक मान्यता की घोषणा की है।
  • यह यूरोपीय देशों एवं रूस के मध्य वर्तमान राजनयिक प्रयासों की दिशा को परिवर्तित कर देता है।

रूस-यूक्रेन संघर्ष पर भारत का रुख

वर्तमान रूस-यूक्रेन तनाव में इसका क्या अर्थ है?

  • मिन्स्क समझौते का उल्लंघन: डोनबास क्षेत्र के कुछ हिस्सों को नियंत्रित करने वाले दो अलगाववादी समूहों की रूसी मान्यता यह संकेत देती है कि रूस अब “मिन्स्क समझौते” के आधार पर वार्ता में दिलचस्पी नहीं रखता है।
    • मिन्स्क समझौते – 2014 एवं 2015 में वार्ता हुई, किंतु पूर्ण रूप से लागू नहीं हुई – ने डोनबास अंतस्थ क्षेत्र (एन्क्लेव) के लिए “विशेष दर्जा” सुरक्षित किया था।
  • क्षेत्र पर रूसी सैनिक: रूस ने इस क्षेत्र में रूसी “शांति सैनिकों” को भी आदेश दिया है, एक ऐसा कदम जिससे यूक्रेनी सैनिकों के साथ संघर्ष छिड़ सकता है।
    • रूस का दावा है कि यह उस “आक्रमण” से अत्यंत कम है जिसके बारे में यू.एस. तथा उसके नाटो सहयोगी चेतावनी देते रहे हैं एवं यूक्रेन से आगे कोई युद्ध स्थिति नहीं होनी चाहिए।
  • युद्ध का खतरा बना हुआ है: यूक्रेनी धरती पर रूसी सैन्य बलों की उपस्थिति का अर्थ है कि संघर्ष का खतरा तब भी बना रहेगा जब यूक्रेन की सीमा पर एवं बेलारूस में सैन्य अभ्यास के लिए रूसी सैनिकों को वापस ले लिया जाए।
  • नाटो की आसन्न भूमिका: नाटो के बिना सुरक्षा गारंटी पर महत्वपूर्ण वार्ता हेतु बैठे बिना स्थिति “प्रबंधित”  अथवा “नियंत्रित” नहीं होने वाली है, जिसकी रूस दो दशकों से मांग कर रहा है।
    • रूस के पड़ोसी देशों में नाटो के विस्तार को किस प्रकार नियंत्रित किया जाए  एवं इस क्षेत्र में पश्चिमी सैनिकों तथा हथियारों की भारी उपस्थिति के बारे में नाटो के साथ कुछ चर्चा की भी आवश्यकता है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका एवं अन्य यूरोपीय शक्तियों के लिए दुविधा: यू.एस. एवं उसके यूरोपीय सहयोगियों को यह तय करना होगा कि क्या वे प्रतिबंधों, सैन्य कार्रवाई के साथ अपनी प्रतिक्रिया  व्यक्त करेंगे अथवा राजनयिक वार्तालाप पर वापस आएंगे।
  • भारतीय हितों पर प्रभाव: भारतीय विदेश मंत्री यूरोप में हैं। उन्होंने अपने यूरोपीय वार्ताकारों का ध्यान हिंद प्रशांत (इंडो-पैसिफिक) की ओर स्थानांतरित करने का प्रयत्न किया है, यह रूस की कार्रवाई है जो वार्ता पर हावी है।
    • इसके अतिरिक्त, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मास्को का दौरा कर रहे हैं, दो दशकों में किसी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की यह प्रथम बार यात्रा है एवं नई दिल्ली इन नवीन स्थापित संबंधों को करीब से देख रही है।
    • रूसी S-400 मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति: तनाव का समय और भी असुविधाजनक है, यह देखते हुए कि रूसी S-400 मिसाइल  प्रणाली की आपूर्ति जारी है।
      • एस. प्रशासन को अभी यह तय करना है कि भारत के विरुद्ध काट्सा (सीएएटीएसए) प्रतिबंधों को माफ किया जाए या लागू किया जाए।

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रूस-यूक्रेन संघर्ष

  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ( यूनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल/यूएनएससी) में भारत ने श्री पुतिन की घोषणा के बारे में कोई आलोचनात्मक टिप्पणी नहीं करते हुए कूटनीति एवं युद्ध की तीव्रता में कमी (डी-एस्केलेशन) की अपील की।
  • यह न केवल भारत की पारंपरिक सैद्धांतिक स्थिति का अभिकथन है, या व्यावहारिकता में एक अध्ययन है, बल्कि उस कठिन स्थिति का प्रतिबिंब भी है जिसमें नई दिल्ली संघर्ष को लेकर स्वयं को पाती है, जो अब एक नए चरण में प्रवेश करती प्रतीत होती है।

 

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