Home   »   Agricultural Revolutions in India   »   पर्पल रिवॉल्यूशन एवं अरोमा मिशन

पर्पल रिवॉल्यूशन एवं अरोमा मिशन

बैंगनी क्रांति एवं सुगंध मिशन: प्रासंगिकता

  • जीएस 3: देश के विभिन्न हिस्सों में प्रमुख फसल-फसल प्रतिरूप।

पर्पल रिवॉल्यूशन एवं अरोमा मिशन_3.1

पर्पल रिवॉल्यूशन एवं अरोमा मिशन: संदर्भ

  • हाल ही में, केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्री ने डोडा तथा किश्तवाड़ जिलों की जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (दिशा) की बैठकों की अध्यक्षता की है तथा सूचित किया है कि लैवेंडर को डोडा ब्रांड उत्पाद के रूप में नामित किया गया है।

 

बैंगनी क्रांति एवं सुगंध मिशन: प्रमुख बिंदु

  • डोडा भारत की बैंगनी क्रांति (अरोमा मिशन) की जन्मस्थली है एवं लैवेंडर को कृषि-स्टार्टअप, उद्यमियों तथा किसानों को आकर्षित करने हेतु ‘एक जिला, एक उत्पाद’ पहल के तहत बढ़ावा दिया जा सकता है।
  • रैटल परियोजना, जो पाकल-दुल परियोजना एवं किरू परियोजना के साथ संपूर्ण क्षेत्र को ऊर्जा-अधिशेष क्षेत्र बनाती है, को अपनी पूरी क्षमता प्राप्त करने हेतु पुनर्जीवित किया गया है।

 

अरोमा मिशन

  • सीएसआईआर-आईआईआईएम का अरोमा मिशन नवोदित कृषकों एवं कृषि-प्रौद्योगिकीविदों को आजीविका के साधन प्रदान कर रहा है तथा स्टार्ट-अप इंडिया अभियान को बढ़ावा देते हुए उद्यमशीलता की भावना को प्रोत्साहित कर रहा है।
  • बैंगनी क्रांति (पर्पल रिवॉल्यूशन) के संबंध में, लैवेंडर की खेती के आकर्षक पहलुओं को प्रदर्शित करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए ताकि अरोमा मिशन के तहत स्टार्ट-अप को प्रोत्साहित किया जा सके।
  • इससे डोडा जिले की छवि में भी सुधार होगा जो कि पर्पल रिवॉल्यूशन की जन्मस्थली है।

 

भारत में पर्पल रिवॉल्यूशन

  • “बैंगनी क्रांति” (पर्पल रिवॉल्यूशन) जम्मू एवं कश्मीर कास्टार्ट-अप इंडियामें योगदान है। इसे एक सुगंध मिशन (अरोमा मिशन) भी कहा जाता है तथा इसे वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद ( काउंसिल आफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च/सीएसआईआर) के माध्यम से केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा विमोचित किया गया था।
  • सीएसआईआर ने अपनी जम्मू स्थित प्रयोगशाला, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन (आईआईआईएम) के माध्यम से डोडा, किश्तवाड़, राजौरी जिलों में खेती के लिए उच्च मूल्य वाली  महत्वपूर्ण तेल युक्त लैवेंडर फसलों की शुरुआत की थी।
  • अल्प अवधि में, कृषि स्टार्ट-अप के लिए खेती में अरोमा/लैवेंडर की खेती एक लोकप्रिय विकल्प बन गई है।

 

अरोमा मिशन का द्वितीय चरण

  • सीएसआईआर ने प्रथम चरण के पूर्ण होने के पश्चात अरोमा मिशन का द्वितीय चरण आरंभ किया है।
  • आईआईआईएम के अतिरिक्त, कई अन्य सीएसआईआर संस्थान भी अब अरोमा मिशन में भाग ले रहे हैं।
  • अरोमा मिशन के द्वितीय चरण में, देश भर में 75,000 से अधिक कृषक परिवारों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से 45,000 से अधिक कुशल मानव संसाधनों को सम्मिलित करने का प्रस्ताव है।

पर्पल रिवॉल्यूशन एवं अरोमा मिशन_4.1

अरोमा मिशन का प्रथम चरण 

  • अरोमा मिशन के प्रथम चरण के दौरान, सीएसआईआर ने 6000 हेक्टेयर भूमि पर खेती में  सहायता प्रदान की एवं संपूर्ण देश के 46 आकांक्षी जिलों को आच्छादित किया।
  • प्रथम चरण में 44,000 से अधिक व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया गया है तथा कई करोड़ कृषक राजस्व अर्जित किया गया है। देश के विभिन्न भागों में प्रमुख फसल-फसल पैटर्न।

 

राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) राष्ट्रीय सामुद्रिक सुरक्षा समन्वयक भारत में मृदा के प्रकार भाग -3 राष्ट्रीय वयोश्री योजना (आरवीवाई)
डीएनटी के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए योजना (सीड) ‘लाभार्थियों से रूबरू’ पहल | आजादी का अमृत महोत्सव संपादकीय विश्लेषण- एक ग्रहीय समायोजन मृदा के प्रकार भाग -2
मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 12-32) | धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28) फिनटेक ओपन हैकाथॉन टेरी का विश्व सतत विकास शिखर सम्मेलन (डब्ल्यूएसडीएस) न्यू इंडिया लिटरेसी प्रोग्राम (एनआईएलपी)

Sharing is caring!

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *