Categories: हिंदी

पर्यावरण, सामाजिक एवं शासन (ESG) विनियम, वे सीएसआर से कैसे भिन्न हैं?

ईएसजी विनियम: पर्यावरण, सामाजिक एवं शासन (एनवायरनमेंटल, सोशल एंड गवर्नेंस/ESG) विनियमों में व्यवसाय के विभिन्न आर्थिक पहलुओं के प्रबंधन के दौरान व्यवसाय की विभिन्न सामाजिक एवं पर्यावरणीय लागतें शामिल हैं। पर्यावरण, सामाजिक एवं शासन (ईएसजी) विनियम यूपीएससी मुख्य परीक्षा (जीएस पेपर 2- विभिन्न क्षेत्रों के विनियमन एवं विकास के लिए शासन नीतियां तथा कार्यक्रम; जीएस पेपर 3- सरकार द्वारा पर्यावरण सुरक्षा एवं संरक्षण उपाय) के लिए महत्वपूर्ण है।

ईएसजी विनियमों का विकास

विगत एक दशक में, व्यवसायों को मापने का विचार केवल पारंपरिक आर्थिक निर्गत को मापने से लेकर उनके पर्यावरणीय प्रभाव, सामाजिक मुद्दों के प्रति प्रतिबद्धता इत्यादि को मापने तक विकसित हुआ है।

  • संपूर्ण विश्व के नियामकों एवं निगमों ने ईएसजी नियमों के विचार को अपनाया है जो निम्नलिखित व्यवसायों को मापता है-
    • पर्यावरणीय प्रभाव,
    • सामाजिक मुद्दों के प्रति प्रतिबद्धता एवं
    • उनके कॉर्पोरेट प्रशासन की सुदृढ़ता तथा शेयरधारक अधिकारों की सुरक्षा।
  • व्यापार को मापने के लिए ईएसजी ढांचे का विकास किया गया है-
    • आंशिक रूप से इस विश्वास के कारण कि कॉर्पोरेट नागरिकों के रूप में कंपनियों का एक पृथक उत्तरदायित्व है,
    • किंतु मुख्य रूप से इस बोध के कारण कि पर्यावरण, सामाजिक एवं प्रशासन (“ईएसजी”) के विचारों को निवेशकों द्वारा कंपनी के जोखिम प्रोफाइल में शामिल करने की आवश्यकता है। यह उद्यम का उचित आकलन करने हेतु किया जाना है।

भारत में ESG विनियमों की स्थिति

  • ऐसा कहने के पश्चात, वास्तविकता यह है कि ESG कानूनों एवं विनियमों का विकास अभी भी भारत में एक  आरंभिक अवस्था में है।
  • भारत में, प्रायः नियंत्रण एवं प्रकटीकरण को शामिल किए बिना पर्यावरण या कार्यस्थल की स्थितियों के संबंध में सुरक्षा प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है जो कि समकालीन ईएसजी विनियमन की पहचान है।

ESG एवं निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) के मध्य अंतर

निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व (कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी/सीएसआर)

भारत में एक दृढ़ निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व (कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी/सीएसआर) नीति है। भारत की सीएसआर नीति अधिदेशित करती है कि निगम उन पहलों में संलग्न हों जो समाज के कल्याण में योगदान करती हैं। 2013 के कंपनी अधिनियम (2014 एवं 2021 में संशोधित) ने भारत में विभिन्न कंपनियों के सीएसआर अधिदेश को संहिताबद्ध किया।

  • सीएसआर अधिदेश के तहत पात्रता मानदंड: कंपनी अधिनियम के तहत किसी भी वित्तीय वर्ष में 500 करोड़ रुपए की निवल संपत्ति अथवा 1,000 करोड़ रुपए के न्यूनतम कारोबार या 5 करोड़ रुपए के शुद्ध लाभ वाली कंपनियों को सीएसआर क्रियाकलापों पर विगत तीन वर्षों में अपने शुद्ध लाभ का कम से कम 2% व्यय करना आवश्यक है।
  • अर्ह सीएसआर गतिविधियां: अर्ह सीएसआर क्रियाकलापों की सूची अत्यंत व्यापक है, जिसमें सुरक्षित पेयजल को प्रोत्साहित करने हेतु ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण स्थलों की सुरक्षा का समर्थन करना शामिल है।

ईएसजी विनियम

दूसरी ओर, सीएसआर की तुलना में ईएसजी नियम, प्रक्रिया एवं प्रभाव में भिन्न हैं। उदाहरण के लिए, यू.के. मॉडर्न स्लेवरी एक्ट, यूके में व्यवसाय वाली कंपनियों एवं £36 मिलियन से अधिक की वार्षिक बिक्री के साथ-

  • उनकी आपूर्ति श्रृंखला में मानव दुर्व्यापार, बाल श्रम एवं ऋण बंधन के जोखिमों का अभिनिर्धारण तथा विश्लेषण करने के लिए उनके द्वारा किए गए प्रयासों को प्रकाशित करने हेतु;
  • आंतरिक जवाबदेही प्रक्रियाओं की स्थापना;
  • आपूर्तिकर्ता अनुपालन का मूल्यांकन करना तथा इन मुद्दों के संबंध में आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधकों को प्रशिक्षित  करना।

भारत में ESG का महत्व

भारत में लंबे समय से पर्यावरण, सामाजिक एवं शासन के मुद्दों के बारे में विभिन्न कानून एवं निकाय मौजूद हैं, जिनमें 1986 का पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, अर्ध-न्यायिक संगठन जैसे राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण, श्रम संहिता की एक श्रृंखला एवं कर्मचारी संबद्धता तथा कॉर्पोरेट प्रशासन व्यवहार को नियंत्रित करने वाले कानून शामिल हैं। उल्लंघन के लिए पर्याप्त आर्थिक दंड हो सकता है।

  • जबकि ये कानून एवं निकाय महत्वपूर्ण पर्यावरणीय तथा सामाजिक सुरक्षा उपाय प्रदान करते हैं, भारत में नई पहलें आगे जाती हैं, दिशा-निर्देशों की स्थापना करती हैं जो विश्व के अन्य भागों में पाई जाने वाली ईएसजी आवश्यकताओं के समान निगरानी, ​​​​मात्रा एवं प्रकटीकरण पर बल देती हैं।
  • भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (द सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया/सेबी), ईएसजी निवेश में वृद्धि एवं ईएसजी जोखिमों के बारे में जानकारी के लिए निवेशकों की मांग के उत्तर में, भारत में 1,000 सबसे बड़ी सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा आवश्यक वार्षिक व्यावसायिक उत्तरदायित्व एवं स्थिरता रिपोर्ट (बिजनेस रिस्पांसिबिलिटी एंड सस्टेनेबिलिटी रिपोर्ट/बीआरएसआर) में काफी संशोधन किया गया है।
  • सेबी वर्तमान रिपोर्ट प्रारूप को विगत प्रकटीकरण आवश्यकताओं से “उल्लेखनीय प्रस्थान” के रूप में वर्णित करता है, जो वैश्विक मानकों के साथ संरेखित हैं एवं कंपनियों को हितधारकों के साथ सार्थक रूप से जुड़ने एवं निवेशक निर्णय लेने में वृद्धि करने की अनुमति  प्रदान करने हेतु “मात्रात्मक मेट्रिक्स पर  अत्यधिक बल” देते हैं।
    • प्रकटीकरण में हरित गृह गैस उत्सर्जन से लेकर कंपनी के लैंगिक तथा सामाजिक विविधता तक के आयाम शामिल हैं।

भारतीय कंपनियों के लिए निहितार्थ

ESG विनियमों का अनुपालन, भारत में और संपूर्ण विश्व दोनों में कहीं और, भारत के CSR नियमों की तुलना में काफी अलग चुनौती पेश करते हैं।

  • भारतीय कंपनियों द्वारा यू.एस., यू.के., यूरोपीय संघ तथा अन्य स्थानों के ईएसजी विनियमों का अनुपालन महत्वपूर्ण होगा।
    • ऐसा इसलिए है क्योंकि भारत चीन से बढ़ते अलगाव का पूरा लाभ उठाने एवं वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं एवं समग्र वैश्विक बाजार में अधिक प्रमुख भूमिका निभाने का इच्छुक है।
  • जैसा कि भारतीय कंपनियां अपने ईएसजी जोखिम प्रबंधन का विस्तार करना चाहती हैं, पूर्ण रूप से सम्यक् तत्परता एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। हालांकि, इसके लिए उप-आपूर्तिकर्ताओं को प्रश्नावली भरने से अधिक की आवश्यकता होती है।
    • सम्यक तत्परता जिसका अर्थ जांच  है, का अर्थ है गहराई तक जाना।
  • स्थिति के आधार पर, इसमें कंपनी के अभिलेख को देखना, पूर्व कर्मचारियों का साक्षात्कार करना एवं संचालन का निरीक्षण करने के लिए विवेकपूर्ण दौरा करना शामिल हो सकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अंतर्राष्ट्रीय ESG मानकों का अनुपालन करने के उपाय प्रभावी हैं।

निष्कर्ष

वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपने अवसरों को अधिकतम करने की इच्छा रखने वाली कंपनियों को इन नई ESG आवश्यकताओं को अपनाने एवं तदनुसार अपने संगठनों को समायोजित करने की आवश्यकता है।

ईएसजी विनियमों के संदर्भ में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. भारत में कंपनियों के लिए अनिवार्य सीएसआर मानदंड क्या है?

उत्तर. कंपनी अधिनियम के तहत किसी भी वित्तीय वर्ष में 500 करोड़ रुपए की निवल संपत्ति अथवा 1,000 करोड़ रुपए के न्यूनतम कारोबार या 5 करोड़ रुपए के शुद्ध लाभ वाली कंपनियों को सीएसआर क्रियाकलापों पर विगत तीन वर्षों में अपने शुद्ध लाभ का कम से कम 2% व्यय करना आवश्यक है।

  1. ESG विनियम क्या हैं?

उत्तर. संपूर्ण विश्व के नियामकों एवं निगमों ने ईएसजी नियमों के विचार को अपनाया है जो निम्नलिखित व्यवसायों को मापता है- पर्यावरणीय प्रभाव, सामाजिक मुद्दों के प्रति प्रतिबद्धता एवं उनके कॉर्पोरेट प्रशासन की सुदृढ़ता तथा शेयरधारक अधिकारों की सुरक्षा।

 

FAQs

What is the Mandatory CSR criteria for Companies in India?

The Companies Act requires companies with a net worth of ₹500 crore or a minimum turnover of ₹1,000 crore or a net profit of ₹5 crore in any given financial year spend at least 2% of their net profit over the preceding three years on CSR activities.

What are the ESG Regulations?

Regulators and corporations around the world have embraced the idea of ESG regulations which measures businesses- Environmental impact, Commitment to social issues and Soundness of their corporate governance and protection of shareholder rights.

manish

Recent Posts

UPSC History Syllabus For Civil Service Exam Preparation

In the UPSC Exam History has a very important role, it is one of the…

41 mins ago

Model Prisons Act, 2023

The Model Prisons Act is a significant legislative initiative aimed at replacing the outdated Prisons…

3 hours ago

BPSC Previous Year Question Papers with Answers Pdf

For candidates preparing for the BPSC Exam 2024, the previous year's question papers are a…

3 hours ago

Latest Crime Rate Report of India 2024, State Wise Crime Rate

According to the National Crime Records Bureau, India's crime rate (incidents per 100,000 people) dropped…

5 hours ago

Prehistoric Age in India, History and Importance

Prehistoric Age in India: The Prehistoric Period, commonly known as the "Stone Age," denotes an…

6 hours ago

Mughal Empire 1526-1857 Family Tree, History, Rulers and Maps

The Mughal Empire, spanning from 1526 to 1857, held considerable sway and influence over a…

7 hours ago