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कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (सीबीएएम) यूरोपीय संघ (ईयू) द्वारा हस्ताक्षरित

कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म/सीबीएएम):  कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म यूरोपीय संघ (यूरोपियन यूनियन/EU) द्वारा प्रस्तावित एक नीति उपकरण है जो कार्बन रिसाव को हल करने तथा निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करने के निमित्त है। इसका उद्देश्य आयातित वस्तुओं पर उनके सन्निहित कार्बन उत्सर्जन के आधार पर कार्बन मूल्य रखना है, जो यूरोपीय संघ के उत्पादकों को यूरोपीय संघ के उत्सर्जन व्यापार प्रणाली (यूरोपियन यूनियन एमिशंस ट्रेडिंग सिस्टम/EU ETS) के तहत सामना करना पड़ता है। कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (CBAM) यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा एवं यूपीएससी मुख्य परीक्षा (जीएस पेपर 2- अंतर्राष्ट्रीय संबंध; जीएस पेपर 3- पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी) के लिए भी महत्वपूर्ण है।

कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (सीबीएएम) चर्चा में क्यों है?

हाल ही में, यूरोपीय आयोग के सह-विधि निर्माताओं ने कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (CBAM) पर हस्ताक्षर किए। कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (CBAM) उपकरण को यूरोपीय संघ में प्रवेश करने वाले कार्बन-गहन वस्तुओं के उत्पादन से जुड़े कार्बन उत्सर्जन के लिए एक समान लागत स्थापित करने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना गया है। इसका उद्देश्य न केवल यूरोपीय संघ के भीतर बल्कि यूरोपीय संघ के बाहर के देशों में भी स्वच्छ औद्योगिक व्यवहार को प्रोत्साहित करना है।

कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (CBAM) की व्याख्या

कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (CBAM) उस परिदृश्य से संबंधित है जहां यूरोपीय संघ के निर्माता कार्बन-गहन उत्पादन को कम कठोर जलवायु नीतियों वाले देशों में स्थानांतरित करते हैं, जिससे यूरोपीय संघ निर्मित वस्तुओं के आयात के साथ उच्च कार्बन फुटप्रिंट होता है। इसका प्राथमिक उद्देश्य ‘कार्बन रिसाव’ को रोकना है।

  • 2026 से प्रारंभ होकर, एक बार सीबीएएम पूर्ण रूप से क्रियान्वित हो जाने के पश्चात, यूरोपीय संघ (ईयू) में आयातकों को कार्बन मूल्य के समतुल्य कार्बन प्रमाणपत्र का क्रय करने की आवश्यकता होगी जो कि लागू होता यदि आयातित उत्पाद, इसके कार्बन मूल्य निर्धारण नियम का पालन करते हुए ईयू के भीतर उत्पादित किया गया होता।
  • दूसरी ओर, यदि एक गैर-यूरोपीय संघ उत्पादक पहले से ही आयातित वस्तुओं के उत्पादन से जुड़े कार्बन उत्सर्जन के लिए कीमत अथवा कर का भुगतान करता है, या तो अपने देश में या कहीं और, यूरोपीय संघ के आयातक के लिए संबंधित लागत में कटौती की जाएगी।
  • यूरोपीय आयोग, सदस्य राज्यों के संबंधित अधिकारियों के सहयोग से, आयातकों द्वारा की गई घोषणाओं की समीक्षा एवं सत्यापन के साथ-साथ सीबीएएम प्रमाणपत्रों के विक्रय हेतु केंद्रीय मंच का प्रबंधन करने के लिए उत्तरदायी होगा।
  • आयातकों को मई के अंत तक, विगत वर्ष के दौरान यूरोपीय संघ में आयातित माल की मात्रा के साथ-साथ उन वस्तुओं से जुड़े उत्सर्जन की घोषणा करनी होगी।

कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म/सीबीएएम) की आवश्यकता

इस तंत्र का प्राथमिक उद्देश्य कार्बन रिसाव को रोकना है तथा साथ ही गैर-यूरोपीय संघ के देशों में उत्पादकों द्वारा पर्यावरण के अनुकूल विनिर्माण पद्धतियों को अपनाने को प्रोत्साहित करना है।

  • इसके अतिरिक्त, इसका उद्देश्य यूरोपीय संघ के भीतर निर्मित आयातित वस्तुओं एवं उत्पादों के मध्य उचित प्रतिस्पर्धा स्थापित करना है।
  • यह पहल व्यापक यूरोपीय हरित समझौते (ग्रीन डील) का एक अभिन्न अंग है, जो 1990 के स्तर की तुलना में 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में 55% की कमी प्राप्त करने तथा 2050 तक यूरोप को एक जलवायु-तटस्थ महाद्वीप में रूपांतरित करने का प्रयास करती है।

गैर-यूरोपीय संघ के देशों पर प्रभाव

प्रारंभ में, कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (CBAM) उन विशिष्ट वस्तुओं एवं पूर्ववर्तियों पर लागू होगा जिनके पास उच्च कार्बन फुटप्रिंट हैं तथा कार्बन रिसाव का खतरा है। इसमें सीमेंट, लौह एवं इस्पात, एल्यूमीनियम, उर्वरक,  विद्युत तथा हाइड्रोजन जैसे क्षेत्र शामिल हैं।

  • 2021 में प्रकाशित एक रिपोर्ट में, व्यापार एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूनाइटेड नेशंस कॉन्फ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डेवलपमेंट/UNCTAD) ने रूस, चीन एवं तुर्की को इन क्षेत्रों में यूरोपीय संघ (ईयू) को उनके महत्वपूर्ण निर्यात के कारण CBAM के संपर्क में आने वाले देशों के रूप में अभिनिर्धारित किया।
  • विकासशील देशों में, भारत, ब्राजील एवं दक्षिण अफ्रीका को यूरोपीय संघ के साथ अपने व्यापार संबंधों के आधार पर सर्वाधिक प्रभावित होने का अनुमान लगाया गया था, जबकि मोजाम्बिक की पहचान न्यूनतम विकसित देश के रूप में की गई थी।
  • यह ध्यान देने योग्य है कि यूरोपीय संघ के देश सामूहिक रूप से भारत के कुल निर्यात मिश्रण का लगभग 14% हिस्सा गठित करते हैं, जिसमें इस्पात तथा एल्युमिनियम जैसे उत्पाद शामिल हैं।

भारत पर CBAM का प्रभाव

2019 एवं 2021 के मध्य, कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (CBAM) से प्रभावित पांच क्षेत्रों में भारत का निर्यात यूरोपीय संघ (EU) को इसके कुल निर्यात का 2% से भी कम का प्रतिनिधित्व करता है। जबकि विनियमन का तत्काल प्रभाव सीमित प्रतीत हो सकता है, इसके दीर्घकालिक परिणाम अनेक कारणों से गंभीर हो सकते हैं।

  • सर्वप्रथम, यह देखते हुए कि यूरोपीय संघ भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है एवं भारत की अनुमानित वृद्धि को देखते हुए, निर्यात (CBAM क्षेत्रों सहित) में उल्लेखनीय वृद्धि होने की संभावना है।
  • दूसरे, अतिरिक्त उद्योगों को शामिल करने के लिए CBAM का दायरा इसके मौजूदा क्षेत्रों से आगे बढ़ने की संभावना है।
  • अपने यूरोपीय समकक्षों की तुलना में भारतीय उत्पादों की उच्च कार्बन गहनता के कारण, आरोपित किए गए कार्बन प्रशुल्क अपेक्षाकृत अधिक होंगे, जिससे भारतीय निर्यात काफी कम प्रतिस्पर्धी होंगे।
  • अंत में, कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म सहित अंतर्राष्ट्रीय जलवायु नीतियां अन्य देशों को इसी तरह के नियमों को अपनाने के लिए प्रेरित करती हैं, इसका भारत के व्यापारिक संबंधों एवं भुगतान संतुलन पर  उल्लेखनीय प्रभाव पड़ेगा।

निष्कर्ष

उद्घाटनात्मक यूरोपीय संघ-भारत व्यापार एवं प्रौद्योगिकी परिषद के दौरान, एक संयुक्त वक्तव्य में यह घोषणा की गई थी कि दोनों पक्षों ने कार्बन सीमा उपायों पर अपनी भागीदारी बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की है, जो इस विषय पर चर्चा को और गहन करने की इच्छा का संकेत देता है।

 

कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (CBAM) के बारे में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न

प्र. कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (CBAM) क्या है?

उत्तर. कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिक यूरोपीय संघ (ईयू) द्वारा प्रस्तावित एक नीति उपकरण है जो कार्बन रिसाव को हल करने तथा निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करने के निमित्त है। इसका उद्देश्य आयातित वस्तुओं पर उनके सन्निहित कार्बन उत्सर्जन के आधार पर कार्बन मूल्य रखना है, जो यूरोपीय संघ के उत्पादकों को यूरोपीय संघ के उत्सर्जन व्यापार प्रणाली (ईयू ईटीएस) के तहत सामना करना पड़ता है।

प्र. सीबीएएम क्यों पेश किया जा रहा है?

उत्तर. सीबीएएम को कार्बन रिसाव को रोकने के लिए पेश किया गया है, जो तब होता है जब उद्योग कम कठोर जलवायु नीतियों वाले क्षेत्रों में स्थानांतरित होते हैं, जिससे वैश्विक उत्सर्जन में वृद्धि होती है। सीबीएएम यह सुनिश्चित करता है कि आयातित वस्तुओं को यूरोपीय संघ-निर्मित वस्तुओं के समतुल्य कार्बन मूल्य का सामना करना पड़े, यह एक समान स्तर के प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करता है तथा विश्व स्तर पर हरित निर्माण पद्धतियों को प्रोत्साहित करता है।

 

FAQs

कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (CBAM) क्या है?

कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिक यूरोपीय संघ (ईयू) द्वारा प्रस्तावित एक नीति उपकरण है जो कार्बन रिसाव को हल करने तथा निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करने के निमित्त है। इसका उद्देश्य आयातित वस्तुओं पर उनके सन्निहित कार्बन उत्सर्जन के आधार पर कार्बन मूल्य रखना है, जो यूरोपीय संघ के उत्पादकों को यूरोपीय संघ के उत्सर्जन व्यापार प्रणाली (ईयू ईटीएस) के तहत सामना करना पड़ता है।

सीबीएएम क्यों पेश किया जा रहा है?

सीबीएएम को कार्बन रिसाव को रोकने के लिए पेश किया गया है, जो तब होता है जब उद्योग कम कठोर जलवायु नीतियों वाले क्षेत्रों में स्थानांतरित होते हैं, जिससे वैश्विक उत्सर्जन में वृद्धि होती है। सीबीएएम यह सुनिश्चित करता है कि आयातित वस्तुओं को यूरोपीय संघ-निर्मित वस्तुओं के समतुल्य कार्बन मूल्य का सामना करना पड़े, यह एक समान स्तर के प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करता है तथा विश्व स्तर पर हरित निर्माण पद्धतियों को प्रोत्साहित करता है।

manish

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