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19वां आसियान-भारत शिखर सम्मेलन 2022- प्रमुख परिणाम एवं आगे की राह

आसियान-भारत शिखर सम्मेलन 2022: यूपीएससी के लिए प्रासंगिकता

  • 19 वां आसियान-भारत शिखर सम्मेलन 2022: भारत-आसियान शिखर सम्मेलन 2022 कंबोडिया के नोम पेन्ह में आयोजित किया जा रहा है। यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा (अंतर्राष्ट्रीय संगठन) एवं यूपीएससी मुख्य परीक्षा (अंतर्राष्ट्रीय संबंध- भारत तथा क्षेत्रीय समूहों के साथ इसके संबंध) के लिए आसियान-भारत शिखर सम्मेलन महत्वपूर्ण है।

आसियान-भारत शिखर सम्मेलन 2022 चर्चा में क्यों है?

  • उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने नोम पेन्ह, कंबोडिया में 19 वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर सहित भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।
  • आसियान-भारत शिखर सम्मेलन 2022 में, दोनों पक्षों ने आसियान-भारत संयुक्त वक्तव्य को अपनाया, संयुक्त वक्तव्य की प्रमुख विशेषताएं नीचे सूचीबद्ध हैं।

 

आसियान-भारत शिखर सम्मेलन 2022 संयुक्त वक्तव्य

  • 19 वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में, आसियान एवं भारत ने व्यापक रणनीतिक साझेदारी के लिए मौजूदा सामरिक साझेदारी के उन्नयन की घोषणा करते हुए एक संयुक्त वक्तव्य को अपनाया।
  • दोनों पक्षों ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता, समुद्री रक्षा एवं सुरक्षा, नौवहन की स्वतंत्रता  तथा  ऊपरी उड़ान (ओवरफ्लाइट) को बनाए रखने एवं प्रोत्साहित करने के महत्व की पुष्टि की।
  • संयुक्त वक्तव्य में विभिन्न क्षेत्रों में भारत-आसियान सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता को भी दोहराया गया जैसे-
    • समुद्री गतिविधियाँ,
    • आतंकवाद का मुकाबला,
    • अंतरराष्ट्रीय अपराध,
    • साइबर सुरक्षा,
    • डिजिटल अर्थव्यवस्था,
    • क्षेत्रीय संपर्क,
    • स्मार्ट कृषि,
    • पर्यावरण,
    • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, तथा
    • अन्य क्षेत्रों के साथ पर्यटन।
  • संयुक्त वक्तव्य में आसियान-भारत व्यापार समझौते (आसियान इंडिया ट्रेड इन गुड्स एग्रीमेंट/एआईटीआईजीए) की समीक्षा में तेजी लाने का भी प्रस्ताव है ताकि इसे अधिक उपयोगकर्ता-अनुकूल, सरल एवं व्यापार-सुविधाजनक बनाया जा सके।

 

आसियान-भारत शिखर सम्मेलन 2022 विशिष्ट/उल्लेखनीय क्यों है?

  • व्यापक रणनीतिक साझेदारी (कंप्रिहेंसिव स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप/सीएसपी): आसियान-भारत संबंध अब व्यापक रणनीतिक साझेदारी (सीएसपी) स्तर तक उन्नत हो गया है।
    • एक दशक पूर्व, 2012 के स्मारकीय शिखर सम्मेलन ने भारत एवं आसियान के मध्य सामरिक साझेदारी (एसपी) का समर्थन किया था।
    • दस वर्ष पश्चात, इस संबंध को अब सीएसपी में उन्नत कर दिया गया है। आसियान ने विगत वर्ष चीन एवं ऑस्ट्रेलिया के साथ सीएसपी पर हस्ताक्षर किए।
    • आसियान  तथा भारत ने एक संयुक्त वक्तव्य जारी किया जिसमें सीएसपी की पेशकश पर प्रकाश डाला गया।
  • उपराष्ट्रपति के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल: यह प्रथम अवसर है जब भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व उपराष्ट्रपति ने किया, जो एक सही निर्णय था।
    • आसियान शिखर सम्मेलन में उच्च स्तरीय राजनीतिक भागीदारी की आवश्यकता नहीं है। इसमें कई उच्च स्तरीय राजनीतिक नेताओं ने भाग लिया।
    • ऐसा इसलिए है क्योंकि उनमें से अनेक राजनीतिक नेता सीओपी 27, आसियान प्लस समिट, एपेक तथा जी-20 में भाग लेने के लिए एशिया के दौरे पर हैं। एक उड़ान, चार पड़ाव!
  • हिंद-प्रशांत पर फोकस: हिंद-प्रशांत (इंडो-पैसिफिक) ने केंद्रीय स्थान प्राप्त कर लिया है। आसियान ने आसियान के नेतृत्व वाले तंत्र के भीतर भारत-प्रशांत पर आसियान दृष्टिकोण के चार प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को मुख्यधारा में लाने के लिए नेताओं की घोषणा जारी की है।
    • यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र को आगे बढ़ने वाली वास्तविकता के रूप में स्पष्ट रूप से अभिनिर्धारित करने के अतिरिक्त अन्य कुछ नहीं है।
    • हिंद महासागर में भारत की रणनीतिक स्थिति तथा आईपीईएफ-सदस्यता इसे एक आवश्यक आर्थिक शक्ति बनाती है।

 

आसियान-भारत संबंध: आगे की राह

  • मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को लागू करना: आसियान एवं भारत को व्यापार तथा निवेश संबंधों को और प्रगाढ़ करना चाहिए।
    • 2010 में आसियान एवं भारत के मध्य वस्तुओं पर मुक्त व्यापार समझौता (फ्री ट्रेड एग्रीमेंट/एफटीए) के प्रवर्तन के पश्चात से 2019-20 में उनके मध्य व्यापार लगभग दोगुना होकर 87 अरब डॉलर से अधिक हो गया है।
    • हालांकि, महामारी से प्रेरित मंदी के कारण 2020-21 में यह घटकर 79 अरब डॉलर रह गया।
    • आसियान-भारत एफटीए (एआईएफटीए) का उन्नयन एवं इसका प्रभावी उपयोग आसियान तथा भारत दोनों के लिए सतत एवं समावेशी विकास को प्रोत्साहित करते हुए द्विपक्षीय व्यापार प्रवाह में आवश्यक गति जोड़ सकता है।
  • बाजार-संचालित उत्पादन नेटवर्क को प्रोत्साहन: आसियान-भारत संबंधों को बढ़ाने का एक अन्य बड़ा अवसर बाजार-संचालित उत्पादन नेटवर्क का विकास है।
    • महामारी ने आपूर्ति श्रृंखला नेटवर्क को बाधित कर दिया है तथा संपूर्ण विश्व में मध्यवर्ती आदानों एवं अंतिम  उत्पाद की आपूर्ति पर अविश्वसनीय रूप से अविश्वास किया गया है।
    • आसियान तथा भारत के मध्य मूल्य श्रृंखलाओं में वर्तमान जुड़ाव पर्याप्त नहीं है।
    • बिजली के उपकरण, औद्योगिक मशीनें, ऑटोमोबाइल, औषधि क्षेत्र, ऊर्जा उत्पादन करने वाली मशीनें  तथा दूरसंचार कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिनका आसियान एवं भारत के मध्य मूल्य श्रृंखलाओं में वचनबद्धता है।
    • आसियान एवं भारत उदीयमान परिदृश्य का लाभ उठा सकते हैं  एवं नवीन तथा लोचशील आपूर्ति श्रृंखलाओं के निर्माण के लिए एक दूसरे का समर्थन कर सकते हैं।
    • यद्यपि, इस अवसर का पता लगाने के लिए, आसियान एवं भारत को कौशल का उन्नयन करना चाहिए, रसद सेवाओं में सुधार करना चाहिए तथा परिवहन संबंधी आधारिक संरचना को मजबूत करना चाहिए।
  • निवेश पर ध्यान: निवेश सुधार भारत एवं आसियान दोनों के लिए एक अन्य चुनौती है।
    • मूल्य श्रृंखला एवं निवेश संबंधों को और मजबूत करने के लिए आसियान तथा भारत को उपयुक्त नीतियों को डिजाइन करने, निवेश व्यवस्था को सरल बनाने एवं निवेश प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने में सहयोग करना चाहिए।
    • आपसी हित के क्षेत्रों में भारत तथा आसियान के मध्य व्यापार एवं आर्थिक सहयोग जैसे-
      • वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक), संपर्क, स्टार्ट-अप तथा नवाचार, युवाओं एवं महिलाओं का सशक्तिकरण  तथा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज/एमएसएमई) का विकास।
      • ये आसियान-भारत संबंधों को अधिक ऊंचाई पर ले जाने के लिए एक महत्वपूर्ण चालक सिद्ध होंगे।
  • सीएसपी संयुक्त वक्तव्य ने संपर्क का विस्तार कर दिया है। भारत के लिए, ‘संपर्क को जोड़ना’ (कनेक्टिंग द कनेक्टिविटीज) अच्छा फल प्रदान कर सकता है यदि आवश्यक एवं पर्याप्त वास्तुकला समग्र रूप से सौम्य है तथा क्षेत्रीय आधारिक अवसंरचना के सहयोग के लिए एक आधार के रूप में कार्य करता है।
    • जब हम आसियान के साथ संपर्क की बात करते हैं तो हमें अपने पूर्वोत्तर को नहीं भूलना चाहिए।
    • किसी तरह, सीएसपी संयुक्त वक्तव्य ने पूर्वोत्तर के महत्व का स्मरण किया।
  • भारत-आसियान संबंधों के सामाजिक-आर्थिक पहलुओं पर ध्यान: हम सहमत हैं कि आसियान-भारत संबंधों में सामाजिक-सांस्कृतिक मुद्दे विशेष महत्व रखते हैं।
    • 10 आसियान राज्य 29 भारतीय राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की सांस्कृतिक प्रतिकृति मात्र हैं।
    • आसियान के लिए हमारा सांस्कृतिक दृष्टिकोण समावेशी तथा व्यापक होना चाहिए।

 

निष्कर्ष

  • एक मजबूत आसियान-भारत साझेदारी बहुपक्षवाद को सुदृढ़ करेगी, जो इस समय अस्तित्व की बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है।
  • एसपी से सीएसपी की ओर बढ़ते हुए, संकीर्ण मतभेदों को छोड़कर, क्षेत्रीय चुनौतियों तथा उपयुक्त समाधानों को एक साथ संबोधित करना, यही वह है जिसकी हमें आवश्यकता है तथा जिसका हमें सम्मान करने की आवश्यकता है।

 

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