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बेरोजगारी के प्रकारों को समझना: संगठित, असंगठित, औपचारिक तथा अनौपचारिक

बेरोजगारी के प्रकारों को समझना

अर्थव्यवस्था में चार शब्द-संगठित, असंगठित, औपचारिक तथा अनौपचारिक- उम्मीदवारों के मन में अत्यधिक भ्रम उत्पन्न करते हैं। इस लेख में, हम इन  शब्दावलियों एवं भारतीय अर्थव्यवस्था में उनकी प्रासंगिकता पर चर्चा करेंगे।

बेरोजगारी के प्रकारों को समझना: संगठित, असंगठित, औपचारिक तथा अनौपचारिक_3.1

औपचारिक तथा अनौपचारिक क्षेत्र के मध्य अंतर

औपचारिक क्षेत्र

  • औपचारिक क्षेत्र वे क्षेत्र हैं जिन पर सरकार द्वारा कर आरोपित किया जाता है एवं उनके द्वारा अनुश्रवण किया जाता है तथा इसमें  सम्मिलित गतिविधियों को सकल घरेलू उत्पाद (ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट/जीडीपी) में शामिल किया जाता है।
  • एक औपचारिक अर्थव्यवस्था में, एक कार्यकर्ता:
    • नियोक्ता के साथ एक औपचारिक अनुबंध रखता है
    • पूर्व-परिभाषित कार्य स्थितियां एवं कार्य संबंधी उत्तरदायित्व होते हैं
    • भत्तों तथा अनुलाभों के साथ एक सुनिश्चित एवं समुचित निश्चित वेतन प्राप्त करता है
    • कार्य समय की निश्चित अवधि होती है
    • एक ही वातावरण में कार्य करने वाले लोगों के एक संगठित समूह का हिस्सा होता है तथा अपने अधिकारों के बारे में कानूनी एवं सामाजिक रूप से जागरूक होता है
    • स्वास्थ्य  एवं जीवन जोखिमों के प्रति सामाजिक सुरक्षा द्वारा आच्छादित किया गया होता है।

 

अनौपचारिक क्षेत्र

  • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ( इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन/आईएलओ) अनौपचारिक क्षेत्र को ऐसे व्यक्तियों (या परिवारों) के स्वामित्व वाले निजी अनिगमित उद्यमों के रूप में परिभाषित करता है जो अपने मालिकों से स्वतंत्र रूप से पृथक विधिक संस्थाओं के रूप में गठित नहीं होते हैं।
  • एक अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में, एक कर्मकार के पास:
    • अपने नियोक्ता के साथ कोई औपचारिक अनुबंध नहीं  होता है
    • कार्य करने की कोई व्यवस्थित स्थितियां नहीं होती है
    • अनियमित एवं विषम रूप से भुगतान किया जाता है।
    • अपनी शिकायतों को व्यक्त करने के लिए कोई मंच प्राप्त नहीं होता है
    • काम के कोई निश्चित घंटे नहीं होते हैं  तथा अधिकांशतः निर्वाह मात्र आय अर्जित कर दे हैं
    • किसी भी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा प्रणाली से आच्छादित नहीं होते हैं एवं उन्हें सामाजिक तथा आर्थिक रूप से अपनी रक्षा करने की आवश्यकता के बारे में जानकारी अत्यल्प होती है।

 

संगठित एवं असंगठित क्षेत्र के मध्य अंतर

संगठित क्षेत्र

  • संगठित क्षेत्र में ऐसे कर्मचारी सम्मिलित होते हैं जो निश्चित नियमों तथा शर्तों के अधीन कार्य करते हैं।
  • यहां, कंपनियां सरकार के साथ पंजीकृत होती हैं एवं लोगों को सुनिश्चित रूप से कार्य प्राप्त होता है तथा  नियोजन की शर्तें निश्चित एवं नियमित होती हैं।

 

असंगठित क्षेत्र

  • असंगठित क्षेत्र उन उद्यमों को संदर्भित करता है जिनकी गतिविधियां या डेटा संग्रह किसी विधिक प्रावधान के तहत विनियमित नहीं होते है अथवा यह क्षेत्र कोई नियमित लेखा नहीं रखते हैं।
  • असंगठित क्षेत्र में उद्यम हेतु राष्ट्रीय आयोग ( नेशनल कमीशन फॉर इंटरप्राइजेज इन द ऑर्गेनाइज्ड सेक्टर/एनसीईयूएस) ने अनुमान लगाया है कि 2005 में भारत में 423 मिलियन अनौपचारिक कर्मचारी थे, जिनमें से 395 मिलियन अनौपचारिक क्षेत्र से संबंधित थे।
  • इस क्षेत्र का महत्व इस तथ्य से स्पष्ट है कि सकल घरेलू उत्पाद का 50% से अधिक इसी क्षेत्र से आता है।

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असंगठित क्षेत्र एवं अनौपचारिक क्षेत्र में क्या अंतर है?

  • भारतीय आधिकारिक सांख्यिकीय दस्तावेज में, अनौपचारिक क्षेत्र का कोई उल्लेख नहीं है।
  • इसका उपयोग राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी (नेशनल अकाउंट स्टैटिसटिक्स/NAS) द्वारा भी नहीं किया जा रहा है। वास्तव में, NAS एक संगठित तथा असंगठित क्षेत्र का उपयोग करता है।
  • अतः, भारत में असंगठित/अनौपचारिक क्षेत्र शब्दों का परस्पर उपयोग किया जाता है।

 

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