सूचना का अधिकार अधिनियम- प्रमुख प्रावधान

सूचना का अधिकार अधिनियम- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: शासन के महत्वपूर्ण पहलू– नागरिक चार्टर, पारदर्शिता एवं जवाबदेही तथा संस्थागत एवं अन्य उपाय

सूचना का अधिकार अधिनियम- पृष्ठभूमि

  • सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 एक संसदीय विधान है जो नागरिकों के सूचना के अधिकार से संबंधित नियमों एवं प्रक्रियाओं को निर्धारित करता है।
  • ‘सूचना का अधिकार’ भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 केअंतर्गत ‘ वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार’ के अंतर्गत निहित है।
    • सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 संसद द्वारा नागरिकों के इस अंतर्निहित मौलिक अधिकार को सशक्त करने का एक प्रयास था।
  • हम पहले ही सूचना का अधिकार अधिनियम की प्रमुख अवधारणाओं, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि एवं इसके उद्देश्यों पर चर्चा कर चुके हैं। इस लेख में, हम आरटीआई अधिनियम 2005 की विभिन्न महत्वपूर्ण विशेषताओं पर चर्चा करेंगे।

यूपीएससी ईएसआईसी उप निदेशक की निशुल्क अध्ययन सामग्री प्राप्त करने के लिए इस फॉर्म को भरें

सूचना का अधिकार अधिनियम- प्रमुख प्रावधान

  • धारा 2(एच): सार्वजनिक प्राधिकरणों को परिभाषित करता है। इसके अंतर्गत, सार्वजनिक प्राधिकरण का तात्पर्य केंद्र सरकार, राज्य सरकार या स्थानीय निकायों के अंतर्गत समस्त प्राधिकरण एवं निकाय हैं।
    • सार्वजनिक निधि से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पर्याप्त रूप से वित्त पोषित नागरिक समाज भी आरटीआई के दायरे में आते हैं।
  • धारा 4 (1)(बी): सरकार को सूचनाओं को अनुरक्षित रखना एवं अग्र-सक्रिय रूप से प्रकट करना होता है।
  • धारा 6: सूचनाओं की प्राप्ति हेतु एक सरल प्रक्रिया का निर्धारण करता है।
  • धारा 7: पीआईओ द्वारा सूचना (सूचनाएं) प्रदान करने हेतु एक समय सीमा निर्धारित करता है।
  • धारा 8: केवल न्यूनतम सूचनाओं को प्रकटीकरण से उन्मुक्ति (छूट) प्रदान की गई है।
    • धारा 8(1): इसमें सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत सूचना प्रस्तुत करने से छूट का उल्लेख है।
    • धारा 8(2): यह आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम ऑफिसियल सीक्रेट्स एक्ट, 1923 के अंतर्गत उन्मुक्ति प्राप्त सूचनाओं के प्रकटीकरण का प्रावधान करती है यदि इससे व्यापक जनहित का संबंध हो।
  • धारा 19: यह अपील के लिए दो स्तरीय तंत्र का प्रावधान करता है।
  • धारा 20: यह स-समय सूचना प्रदान करने में विफलता, मिथ्या, अपूर्ण अथवा भ्रामक या विकृत सूचनाओं के   प्रकटीकरण के मामले में दंड का प्रावधान करता है।
  • धारा 23: अधीनस्थ न्यायालयों को वादों या आवेदनों पर विचार करने से निवारित करता है।
    • यद्यपि, संविधान के अनुच्छेद 32 एवं 226 के अंतर्गत भारत के सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों का रिट अधिकार क्षेत्र अप्रभावित रहता है।
  • सूचना आयुक्त एवं पीआईओ: आरटीआई अधिनियम केंद्रीय तथा राज्य स्तर पर सूचना आयुक्तों की नियुक्ति का प्रावधान करता है।
    • जन सूचना अधिकारी: वे सरकारी अधिकारी होते हैं जो आरटीआई अधिनियम के अंतर्गत सूचना मांगने वाले व्यक्ति को सूचना देने हेतु उत्तरदायी होंगे।

manish

Recent Posts

Mahadevi Verma Early Life, Education, Professional Career

Mahadevi Verma, a prominent figure in Hindi literature, left an indelible mark as a poet,…

12 hours ago

Medical Council of India-History, Objective, Function

The Medical Council of India (MCI), established in 1934 under the Indian Medical Council Act…

12 hours ago

National Crime Records Bureau (NCRB) – Highlight, Objective

The National Crime Records Bureau (NCRB), a renowned governmental organization in India, is entrusted with…

12 hours ago

Indian Constitution Features: Basic Structure and More

The inception of the Indian Constitution is marked by its preamble, which encapsulates its ideals,…

17 hours ago

Indian Western and Eastern Ghats: Difference, Significances

The Western and Eastern Ghats are two formidable mountain ranges in India, with the Deccan…

20 hours ago

Indian Postal Service (IPoS)- Function, Pay Scale, Eligibility

The Indian Postal Service holds a prestigious position among India's Group 'A' Civil Services, managing…

21 hours ago