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संपादकीय विश्लेषण- क्रिप्टो परिसंपत्ति समस्या

क्रिप्टो परिसंपत्ति समस्या- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: शासन के महत्वपूर्ण पहलू- पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व तथा संस्थागत एवं अन्य उपाय।
  • जीएस पेपर 3: भारतीय अर्थव्यवस्था- नियोजन,  संसाधनों का अभिनियोजन, वृद्धि, विकास एवं रोजगार से संबंधित मुद्दे

संपादकीय विश्लेषण- क्रिप्टो परिसंपत्ति समस्या_3.1

क्रिप्टो परिसंपत्ति समस्या- संदर्भ

  • भारत सरकार के हालिया कदमों का विश्लेषण करते हुए, ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार आश्वस्त है कि क्रिप्टोकरेंसी एक खतरनाक प्रस्ताव है

 

क्रिप्टो परिसंपत्ति समस्या- क्रिप्टोकरेंसी के साथ संबद्ध चिंताएं

  • गोपनीयता: क्रिप्टोक्यूरेंसी अपेक्षाकृत अदृश्य वित्तीय संव्यवहार (लेनदेन) को सक्षम बनाती है, जिसमें अपराध, आतंकवाद,  धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग), कर चोरी,  इत्यादि के गंभीर निहितार्थ हैं।
  • सट्टा परिसंपत्ति: एक अन्य चिंता यह है कि एक क्रिप्टो व्यसन (उन्माद) विशुद्ध रूप से प्रत्याशित (सट्टा) निवेश से निर्मित हो रहा है। ऐसे बुलबुले के अंततः फूटने से लोगों को अत्यधिक नुकसान होगा।
  • समष्टि-आर्थिक स्थिरता के लिए खतरा: क्रिप्टोकरेंसी राज्य की समष्टि अर्थशास्त्रीय भूमिका के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है।

आईएमएफ क्रिप्टो रिपोर्ट

क्रिप्टो परिसंपत्ति समस्या- सरकार का स्टैंड

  • सरकार की दुविधा: सरकार का प्रस्ताव है कि क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध आरोपित किया जाए किंतु क्रिप्टो परिसंपत्तियों को वैध एवं दृढ़ता से विनियमित किया जाए।
    • यह स्थिति सरकार की दुविधा के कारण है क्योंकि वह किसी भी तकनीकी-प्रतिकूल छवि से बचना चाहती है
  • औचित्य: उपरोक्त के माध्यम से, सरकार का लक्ष्य निम्नलिखित मुद्दों का समाधान करना है-
    • अदृश्य वित्तीय संव्यवहार की समस्या का ध्यान रखा जाना,
    • निवेशकों के हितों की रक्षा की जाती है, एवं
    • तकनीक उद्योग की मांग आधी पूरी हो जाती है।

स्टेबल क्वाइन्स

क्रिप्टो परिसंपत्ति समस्या- सरकार के रुख से जुड़े मुद्दे 

  • परिसंपत्ति बनाम वैध मुद्रा: परिसंपत्ति एवं मुद्रा के मध्य का अंतर इतना विधिक नहीं हो सकता है क्योंकि यह   इस अंतर्निहित विशेषता के बारे में है कि किसे परिसंपत्ति अथवा मुद्रा माना जाए।
    • भूमि, स्वर्ण एवं स्टॉक विनिमय के सामान्य माध्यम बनने हेतु स्वयं को उधार नहीं देते क्योंकि ये परिसंपत्तियां  सरलता से विभाज्य एवं सुबाह्य (पोर्टेबल) नहीं हैं।
    • दूसरी ओर, क्रिप्टो भौतिक मुद्रा से भी अधिक विभाज्य एवं पोर्टेबल है।
    • एक बार वैध हो जाने पर, क्रिप्टो परिसंपत्तियां विनिमय का माध्यम बन सकती हैं।
  • सट्टा बनाम परिसंपत्ति निवेश: क्रिप्टो परिसंपत्तियां या तो ‘विशुद्ध रूप से सट्टा संपत्ति’ हैं अथवा उनमें कुछ अंतर्निहित मूल्य हैं, ऐसे में इस तरह के ‘मूल्य’  मात्र उनके भविष्य में विनिमय के माध्यम के रूप में शामिल हो सकते हैं।
    • विशुद्ध रूप से सट्टा परिसंपत्ति का अंतर्निहित मूल्य शून्य होता है (भूमि एवं स्वर्ण जैसी संपत्तियों के विपरीत)।
    • यदि सरकार एक विशुद्ध रूप से सट्टा संपत्ति को वैध बनाती है, तो यह निवेशकों को इसमें निवेश करने एवं बुलबुले में फूटने हेतु एक हरी झंडी प्रदान करती है।
    • जब बुलबुला फूटेगा, तो संभावना है कि सत्ताधारी सरकार को भारी राजनीतिक कीमत चुकानी पड़ सकती है।
  • ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने हेतु क्रिप्टो संपत्ति को वैध बनाने के पक्ष में कमजोर तर्क:
    • मुख्य रूप से ब्लॉकचेन तकनीक का समर्थन करने के लिए क्रिप्टो परिसंपत्तियों को वैध बनाना युद्ध के एक नए मोर्चे के रूप में अंतरिक्ष के उपयोग पर हस्ताक्षर करने सदृश है क्योंकि यह भारत के अंतरिक्ष उद्योग को बढ़ावा देगा।

संपादकीय विश्लेषण- क्रिप्टो परिसंपत्ति समस्या_4.1

क्रिप्टो परिसंपत्ति समस्या- आगे की राह 

  • अन्य क्षेत्रों में ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना: सरकार को ब्लॉकचेन का उपयोग करके विभिन्न नवाचारों एवं सेवाओं को प्रोत्साहन देना चाहिए।
  • सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी को बढ़ावा देना: वैध स्थिति वाली एक केंद्रीकृत डिजिटल मुद्रा को निजी क्रिप्टोकरेंसी के विकल्प के रूप में बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
  • अंतर्राष्ट्रीय रुख: यह सत्य है कि मात्र भारत के निर्णय से इस मुद्दे का निर्धारण नहीं होगा। किंतु चीन ने पहले ही क्रिप्टो मुद्रा पर प्रतिबंध आरोपित कर दिया है, इस स्तर पर भारत जो निर्णय लेता है, वह अत्यधिक मायने रखता है।
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