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भारत-जर्मनी साझेदारी: प्रासंगिकता
- जीएस 2: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह तथा भारत से जुड़े एवं / या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।

भारत-जर्मनी संबंध: संदर्भ
- हाल ही में, बायर्न नामक जर्मन नौसेना का युद्धपोत भारत में उतरा। यह भारत-जर्मनी संबंधों के इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
भारत-जर्मनी साझेदारी: प्रमुख बिंदु
- भारत-प्रशांत क्षेत्र हाल के दिनों में विभिन्न देशों के लिए एक आकर्षण का केंद्र बन गया है।
- जर्मनी भी इस क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभाना चाहता है जब उसने भारत-प्रशांत नीति दिशानिर्देशों को प्रकाशित किया एवं यह भारत को एक प्रमुख प्रतिभागी, रणनीतिक साझेदार एवं केंद्र में दीर्घकाल से लोकतांत्रिक मित्र के रूप में देखता है।
- जर्मनी की अपनी भारत प्रशांत (इंडो-पैसिफिक) नीति के अतिरिक्त, यूरोपीय संघ की भी अपनी इंडो-पैसिफिक रणनीति है जो विगत वर्ष प्रकाशित हुई थी।
- अभिसरण बिंदु: भारत एवं जर्मनी दोनों का विचार है कि व्यापार मार्ग मुक्त/खुले रहने चाहिए, नौवहन की स्वतंत्रता को बरकरार रखा जाना चाहिए एवं विवादों को अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर शांतिपूर्वक हल किया जाना चाहिए।
- भारत एक समुद्री महाशक्ति है एवं मुक्त तथा समावेशी व्यापार का प्रबल समर्थक है – और इसलिए, उस मिशन का एक प्राथमिक भागीदार है।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र के बारे में
- भारत प्रशांत क्षेत्र वैश्विक जनसंख्या का लगभग 65% एवं विश्व के 33 महानगरों में से 20 का आवास है।
- यह क्षेत्र वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 62% एवं विश्व के व्यापारिक व्यापार का 46% हिस्सा गठित करता है।
- यद्यपि, यह क्षेत्र समस्त वैश्विक कार्बन उत्सर्जन के आधे से अधिक का स्रोत भी है।
- यह इस क्षेत्र के देशों को जलवायु परिवर्तन एवं सतत ऊर्जा उत्पादन तथा उपभोग जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने में प्रमुख भागीदार बनाता है।
- 20% से अधिक जर्मन व्यापार भारत प्रशांत प्रतिवैस (इंडो-पैसिफिक नेबरहुड) में किया जाता है एवं यही कारण है कि जर्मनी एवं भारत को विश्व के इस भाग में स्थिरता, समृद्धि एवं स्वतंत्रता को अनुरक्षित रखने तथा समर्थन करने के लिए एक समान दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
भारत में जर्मन परियोजनाएं
- जर्मनी विकास परियोजनाओं में प्रति वर्ष लगभग 3 बिलियन यूरो (€)का निवेश करता है, जिसमें से 90% जलवायु परिवर्तन से निपटने, प्राकृतिक संसाधनों को सुरक्षित रखने के साथ-साथ स्वच्छ एवं हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कार्य करता है।
- जर्मनी महाराष्ट्र के धुले (सकरी) में एक विशाल सौर संयंत्र के निर्माण का सहयोग कर रहा है। 125 मेगावाट की क्षमता के साथ, यह 2,20,000 घरों को ऊर्जा आपूर्ति करता है एवं 155,000 टन की वार्षिक कार्बन डाइऑक्साइड बचत सृजित करता है।
भारत-जर्मनी संबंध: आगे की राह
- दोनों नेताओं ने जलवायु परिवर्तन को कार्य सूची (एजेंडे) में शीर्ष स्थान पर रखते हुए साझा चुनौतियों से निपटने के लिए अपने सहयोग को बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की है।
- जहां 2022 में जर्मनी जी 7 बैठक की मेजबानी करेगा, वहीं भारत उसी वर्ष जी 20 बैठक की मेजबानी करेगा। दोनों देशों के पास संयुक्त एवं समन्वित कार्रवाई का अवसर है।



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