Table of Contents
भारत की भौतिक विशेषताएं-तटीय मैदान: प्रासंगिकता
- जीएस 1: संपूर्ण विश्व में प्रमुख प्राकृतिक संसाधनों का वितरण
भारत की भौतिक विशेषताएं
- भारत की भौतिक विशेषताओं को प्रमुख रूप से 6 भागों में विभाजित किया जा सकता है:
- उत्तरी एवं उत्तर-पूर्वी पर्वत
- उत्तरी मैदान
- प्रायद्वीपीय पठार
- भारतीय मरुस्थल
- तटीय मैदान
- द्वीपसमूह।
- हम पहले ही हिमालय, उत्तरी मैदान एवं प्रायद्वीपीय पठार के बारे में विस्तार से चर्चा कर चुके हैं। इस लेख में, हम भारत के तटीय मैदानों पर चर्चा करेंगे।
भारत की तटरेखा
- भारत में 7500 किलोमीटर से अधिक लंबी तटरेखा है जो 13 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को छूती है।
- भारत की सीधी और नियमित तटरेखा क्रिटेशियस काल के दौरान गोंडवानालैंड के भ्रंश के परिणामस्वरूप निर्मित हुई है।
- अवस्थिति एवं सक्रिय भू आकृतिकीय विज्ञान प्रक्रियाओं के आधार पर, इसे मोटे तौर पर दो भागों में विभाजित किया जा सकता है:
- पश्चिमी तटीय मैदान,
- पूर्वी तटीय मैदान।
भारत का पूर्वी तट
- भारत का पूर्वी तट पूर्वी घाट एवं बंगाल की खाड़ी के मध्य अवस्थित है।
- पूर्वी तट गंगा डेल्टा से कन्याकुमारी तक फैला हुआ है।
- पूर्वी तट में पूर्ण रूप से विकसित डेल्टा पाए जाते हैं, जो पूर्व की ओर बंगाल की खाड़ी में प्रवाहित होने वाली महानदी, गोदावरी, कृष्णा एवं कावेरी जैसी नदियों द्वारा निर्मित हैं।
- क्षेत्रीय नाम: ओडिशा में उत्कल तट; आंध्र प्रदेश एवं तमिलनाडु में कोरोमंडल तट या पायन घाट।
उन्मज्जन की तटरेखा
- उन्मज्जन की तटरेखा या तो भूमि के ऊपर उठने के कारण अथवा समुद्र के स्तर के कम होने के कारण निर्मित होती है। जलमग्न तट, जलमग्न तट रेखा के विपरीत है।
- पूर्वी तट की उद्गामी प्रकृति के कारण, इसमें बंदरगाहों एवं पोताश्रयों की संख्या कम है।
- महाद्वीपीय जलमग्न सीमा (कॉन्टिनेंटल शेल्फ) समुद्र में 500 किमी तक विस्तृत है, जिससे अच्छे बंदरगाहों एवं पोताश्रयों का विकास मुश्किल हो जाता है।
भारत का पश्चिमी तट
- भारत का पश्चिमी तट गुजरात में खंभात की खाड़ी (खंभात की खाड़ी) से कन्याकुमारी में केप कोमोरिन तक फैला हुआ है।
- पश्चिमी तट को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया जा सकता है – गुजरात में कच्छ एवं काठियावाड़ तट, महाराष्ट्र में कोंकण तट, कर्नाटक एवं केरल में गोवा तट तथा मालाबार तट।
- इस तटीय मैदान से प्रवाहित होने वाली नदियाँ डेल्टा का निर्माण नहीं करती हैं, बल्कि खोह, खाड़ियाँ एवं कुछ ज्वारनदमुखों का निर्माण करती हैं।
- डेल्टा: डेल्टा आर्द्रभूमियाँ हैं जो नदियों के रूप में निर्मित होते हैं एवं अपने जल तथा अवसाद को जल के दूसरे निकाय, जैसे महासागर, झील अथवा किसी अन्य नदी में रिक्त (खाली) कर देते हैं।
- खोह (कोव्स): एक खोह महासागर, झील अथवा नदी के तट पर एक प्रकार की छोटी, परिरक्षित खाड़ी है।
- संकरी खाड़ी (क्रीक्स): जल का एक संकीर्ण क्षेत्र जो समुद्र, एक झील इत्यादि से भूमि में प्रवाहित होता है।
- ज्वारनदमुख (एश्चुअरी): ज्वारनदमुख एवं उनके आस-पास की आर्द्रभूमि आमतौर पर पाए जाने वाले जल के निकाय होते हैं जहाँ नदियाँ समुद्र से मिलती हैं।
- मालाबार तट में ‘कयाल‘ (पश्चजल/बैकवाटर) के रूप में कुछ विशिष्ट विशेषताएं हैं, जिनका उपयोग मछली पकड़ने, अंतर्देशीय नौवहन एवं पर्यटकों के लिए इसके विशेष आकर्षण के कारण भी किया जाता है।
जलमग्न तट रेखा
- पश्चिमी तटीय मैदान जलमग्न तटीय मैदानों का एक उदाहरण हैं। इस जलमग्नता के कारण, यह एक संकरी पेटी है एवं बंदरगाहों तथा पोताश्रयों के विकास के लिए प्राकृतिक परिस्थितियाँ प्रदान करती है। कांडला, मझगांव, जेएलएन बंदरगाह न्हावा शेवा, मर्मागाओ, मैंगलोर, कोचीन इत्यादि पश्चिमी तट के किनारे अवस्थित कुछ महत्वपूर्ण प्राकृतिक बंदरगाह हैं।
- ऐसा माना जाता है कि द्वारका शहर, जो कभी पश्चिमी तट पर स्थित भारतीय मुख्य भूमि का हिस्सा था, जलमग्न हो गया है।




TSPSC Group 1 Question Paper 2024, Downl...
TSPSC Group 1 Answer key 2024 Out, Downl...
UPSC Prelims 2024 Question Paper, Downlo...
