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भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी के लिए भेषज आयोग (फार्माकोपिया कमीशन फॉर इंडियन मेडिसिन एंड होम्योपैथी/पीसीआईएम एंड एच)

फार्माकोपिया कमीशन फॉर इंडियन मेडिसिन- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां- विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकार की नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा उनकी अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी के लिए भेषज आयोग (फार्माकोपिया कमीशन फॉर इंडियन मेडिसिन एंड होम्योपैथी/पीसीआईएम एंड एच)_3.1

भारतीय चिकित्सा के लिए भेषज आयोग चर्चा में क्यों है?

  • हाल ही में, भारत सरकार ने आयुष मंत्रालय के तहत एक अधीनस्थ कार्यालय के रूप में भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी (फार्माकोपिया कमीशन फॉर इंडियन मेडिसिन एंड होम्योपैथी/पीसीआईएम एंड एच) के लिए भेषज आयोग (फार्माकोपिया कमीशन) की स्थापना की है।

 

भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी (पीसीआईएम एंड एच) के लिए भेषज आयोग

  • भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी (पीसीआईएम एंड एच) के लिए भेषज आयोग के बारे में: आयोग को प्रारंभ में 2010 में भारतीय चिकित्सा (पीसीआईएम) के लिए भेषज आयोग के रूप में स्थापित किया गया था एवं उसी वर्ष बाद में सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत किया गया था।
  • मूल मंत्रालय: भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी के लिए भेषज आयोग (पीसीआईएम और एच) आयुष मंत्रालय के अधीन एक अधीनस्थ कार्यालय के रूप में कार्य करता है।
  • पीसीआईएम एंड एच का गठन: यह भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी (पीसीआईएम एंड एच) के भेषज आयोग एवं दो केंद्रीय प्रयोगशालाओं को मिलाकर बनाया गया है-
    • भारतीय चिकित्सा के लिए भेषज प्रयोगशाला (पीएलआईएम), गाजियाबाद एवं
    • होम्योपैथिक भेषज प्रयोगशाला (HPL)
  • महत्वपूर्ण कार्य:
    • आयोग आयुर्वेदिक, यूनानी, सिद्ध एवं होम्योपैथिक दवाओं के लिए भेषज मानकों के विकास में संलग्न है।
    • पीसीआईएम एंड एच भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी प्रणालियों के लिए केंद्रीय औषधि परीक्षण सह अपीलीय प्रयोगशाला के रूप में भी कार्य कर रहा है।

 

भारतीय चिकित्सा के लिए भेषज आयोग – प्रमुख उद्देश्य

  • गुणवत्ता मानक 
    • ‘भारतीय औषधि’ एवं ‘होम्योपैथी’ की दवाओं/सूत्रीकरण के लिए भेषज संग्रह (फार्माकोपिया) विकसित करना
    • ‘भारतीय चिकित्सा’ के सूत्र विकसित करना
    • प्रकाशित भेषज संग्रह एवं सूत्र-संहिता (फॉर्मूलरीज) को परिशोधित/अद्यतन/संशोधित करना जैसा आवश्यक समझा  जाए
    • पीसीआईएम एंड एच के कार्यात्मक क्षेत्र से संबंधित फार्माकोपिया / ‘भारतीय औषधि’ एवं ‘होम्योपैथी’ के सूत्रीकरण तथा अन्य संबंधित वैज्ञानिक / नियामक सूचनाओं हेतु सारांश पूरक प्रकाशित करना
  • शीर्ष प्रयोगशाला
    • ‘भारतीय चिकित्सा’ एवं ‘होम्योपैथी’ के लिए केंद्रीय औषधि परीक्षण सह अपीलीय प्रयोगशाला के रूप में कार्य करना
    • औषधि नियामक प्राधिकरणों एवं ‘भारतीय चिकित्सा’ तथा ‘होम्योपैथी’ से संबंधित गुणवत्ता नियंत्रण में संलग्न कर्मियों को क्षमता निर्माण प्रशिक्षण प्रदान करना
    • ‘भारतीय चिकित्सा’ एवं ‘होम्योपैथी’ एवं औषधि अनुसंधान की दवाओं / सूत्रीकरण के गुणवत्ता आश्वासन पर जागरूकता को प्रोत्साहित करना एवं बढ़ावा देना
  • प्रामाणिक संदर्भ सामग्री कोष 
    • ‘भारतीय चिकित्सा’ एवं ‘होम्योपैथी’ में प्रयुक्त कच्चे माल का एक प्रामाणिक संदर्भ कच्चे माल (आरआरएम) भंडार अनुरक्षित रखना
    • ‘भारतीय औषधि’ एवं ‘होम्योपैथी’ की दवाओं / सूत्रीकरण के लिए स्थापित चिकित्सीय महत्व के साथ रासायनिक अर्धांश के एक प्रामाणिक संदर्भ रासायनिक मार्कर (आरसीएम) रिपोजिटरी को अनुरक्षित रखना
  • विविध 
    • पीसीआईएम एंड एच के कार्यात्मक क्षेत्र से संबंधित ‘सरकार’ के अन्य कानूनों/योजनाओं/कार्यक्रमों के साथ-साथ ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 एवं उसके तहत नियमों के प्रावधानों के कार्यान्वयन/प्रवर्तन को प्रचारित/प्रोत्साहित करने/सुधारने के लिए किसी भी गतिविधि का प्रयोग करना।

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राष्ट्रीय आयुष मिशन (NAM) – प्रमुख बिंदु

  • राष्ट्रीय आयुष मिशन (NAM) के बारे में: राष्ट्रीय आयुष मिशन (नेशनल आयुष मिशन/NAM) आयुष मंत्रालय की एक प्रमुख योजना है, जिसे 2014 में विमोचित किया गया था।
    • राष्ट्रीय आयुष मिशन केंद्र सरकार की केंद्र प्रायोजित योजना है।
  • कार्यान्वयन: 12वीं योजना के दौरान राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के माध्यम से क्रियान्वित करने हेतु राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएम) प्रारंभ किया गया।
  • अधिदेश: राष्ट्रीय आयुष मिशन का उद्देश्य निम्नलिखित के माध्यम से आयुष चिकित्सा प्रणालियों को  प्रोत्साहित करना है-
    • लागत प्रभावी आयुष सेवाएं,
    • शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाना,
    • आयुर्वेद, सिद्ध एवं यूनानी तथा होम्योपैथी (एएसयू एंड एच) दवाओं के गुणवत्ता नियंत्रण के प्रवर्तन को सुगम बनाना एवं
    • आयुष कच्चे माल की सतत उपलब्धता।

 

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