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संपादकीय विश्लेषण- कूलिंग द टेंपरेचर्स

ताइवान पर अमेरिका-चीन संघर्ष- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध- भारत के हितों पर विकसित एवं विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव।

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ताइवान पर यूएस-चीन संघर्ष चर्चा में क्यों है

  • ताइवान के आसपास के समुद्री एवं हवाई क्षेत्र में चीन द्वारा आयोजित चार दिवसीय सैन्य अभ्यास, बिना किसी घटना के 7 अगस्त को संपन्न हुआ, जो इस क्षेत्र के लिए राहत के रूप में है।

 

ताइवान पर यूएस-चीन संघर्ष

  • चीनी सैन्य अभ्यास: अभ्यास में चीनी सेना ने न केवल ताइवान जलडमरूमध्य के मध्य को पार किया, बल्कि ताइवान के ऊपर पारंपरिक मिसाइलों को दागा, यह एक ऐसा आक्रामक कृत्य था जो आसानी से अनपेक्षित संघर्ष का कारण बन सकता था।
  • ताइवान की प्रतिक्रिया: कि उन्होंने किसी भी घटना को अंजाम नहीं दिया, इसका श्रेय ताइवान की सेना की शांत प्रतिक्रिया को जाता है।
    • ताइवान ने कहा कि उसने चीन के अभ्यास की निगरानी की, जिनमें से कुछ अभ्यास ताइवान के 12 समुद्री मील  की सीमा के भीतर आयोजित किए गए थे, किंतु न तो चीनी विमानों एवं युद्धपोतों पर आक्रमण करने  एवं न ही मिसाइलों को मार गिराने का निर्णय लिया।
  • चीनी औचित्य: चीन का औचित्य यह है कि बीजिंग ने इस पूरे संकट को प्रेरित करने वाले अमेरिका द्वारा अनावश्यक उकसावे के रूप में जो देखा है, उसके बाद एक लाल रेखा खींचने के लिए यह एक आवश्यक प्रतिक्रिया थी।
    • यूएस हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी की हाल की ताइवान यात्रा, 25 वर्षों में इस तरह की प्रथम उच्च स्तरीय  संबद्धता, चीन के विचार में एक चीन नीति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को “खोखला” करने के वाशिंगटन के और सबूत थे।

 

ताइवान पर अमेरिका-चीन संघर्ष- अपेक्षित प्रभाव

यह देखना मुश्किल है कि तीनों पक्षों – यू.एस., ताइवान एवं चीन – को अंततः एक यात्रा से क्या लाभ प्राप्त होगा।

  • संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए: हाल के दौरे किसी भी सुविचारित दीर्घकालिक रणनीतिक उद्देश्यों की तुलना में सुश्री पेलोसी के राजनीतिक झुकाव से अधिक प्रेरित प्रतीत होते हैं।
    • यहां तक ​​​​कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन एवं अमेरिकी सेना ने भी ऐसी यात्रा के प्रति आगाह किया था जो वाशिंगटन के लिए कोई स्थायी रणनीतिक लाभ नहीं लाती है।
  • ताइवान के लिए: ताइवान के 23 मिलियन लोगों के लिए तथा राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन के लिए, चीन के दबाव के कारण बढ़ते वैश्विक अलगाव के बावजूद भी दुर्लभ हाई-प्रोफाइल विदेश यात्रा निस्संदेह स्वागत योग्य थी।
    • हालांकि, उस अल्पकालिक लाभ का का प्रतिसंतुलन (भरपाई) इस तथ्य से किया जा सकता है कि सुश्री पेलोसी ने निसंदेह ताइवान को एक बदतर रणनीतिक वातावरण के साथ छोड़ दिया है।
  • चीन के लिए: चीन की सेना ने संकेत दिया है कि उसकी कार्रवाइयों ने अब ताइवान जलडमरूमध्य में सैन्य गतिविधियों में एक नए सामान्य की शुरुआत की है, जिससे वह ताइवान के तटों के समीप आ गया है।
    • सुश्री पेलोसी की यात्रा के उत्तर में, बीजिंग ने पिछले हफ्ते कहा था कि वह तीन प्रमुख संवाद तंत्रों को रद्द करके वाशिंगटन के साथ सैन्य चैनलों को काट देगा, वह भी ऐसे समय में जब सैन्य तनाव प्रवर्धित हो (बढ़) गया था।

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आगे की राह 

  • अब तापमान को शीतल करने पर ध्यान देना चाहिए। ऐसा करना विश्व के दो सर्वाधिक वृहद शक्तियों के मध्य विश्वास के निम्न स्तर के साथ करने की तुलना में सरल होगा।
  • ऐसा कहा जाता है कि, युद्ध, को सेनापतियों पर छोड़ना अत्यंत महत्वपूर्ण है। राष्ट्रों के मध्य संबंधों के बारे में भी यही कहा जा सकता है: उन्हें राजनेताओं की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं का बंधक नहीं होना चाहिए।

 

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